नई दिल्ली: 26 जनवरी को जब आप सांसें थामे लहूलुहान होते लालकिले को देख रहे थे, तो उनके होठों पर साजिश को अंजाम देने की मुस्कुराहट थी. वो खुश हो रहे थे कि गणतंत्र पर गदर की टूलकिट साजिश को उनके मोहरों ने बखूबी हवा दे दी है.


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हिन्दुस्तान की छवि बिगाड़ने के लिये लालकिला कांड (Red Fort Violence) के बाद वो टूलकिट साजिश (Toolkit Case) के अगले टास्क को परवान चढ़ाने में लगे थे. हिंसा की अगली साजिश के लिये तारीख चुनी गई थी 14 फरवरी यानी वैलेंटाइन डे (Valentine Day) और टारगेट लालकिला कांड से ज्यादा हंगामा खड़ा करने का था. देश में भी और विदेश में भी.



दिल्ली पुलिस (Delhi Police) के हाथ लगे 120 जीबी डेटा की जांच में ये सब चौंकाने वाले खुलासे सामने आ रहे हैं.


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हिन्दुस्तान में अराजकता फैलाने की इस शातिर साजिश को अंजाम देने के लिये लाखों डॉलर की मोटी रकम खर्च की जा रही थी. इसके लिये साजिश के अलग-अलग मोहरे देश-विदेश में तैयार किये गए थे. सोशल मीडिया से लेकर आंदोलन की जमीन तक ये परदे के पीछे एक्टिव थे. और हिन्दुस्तान की लोकतांत्रिक व्यवस्था से लेकर सरकार तक छवि बिगाड़ने की बिसात बिछा रहे थे.


'120 जीबी' डेटा में साजिश की पूरी गवाही !


दिल्ली पुलिस (Delhi Police) के हाथों जो सबूत लगे हैं, वो ये साबित कर रहे हैं कि 26 नवंबर को दिल्ली की चौहद्दी पर प्रदर्शनकारियों के जुटने से ठीक महीने भर पहले टूलकिट साजिश के लिये पहली ऑनलाइन बैठक की गई थी. तारीख थी 20 अक्टूबर.


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कनाडा में बैठे खालिस्तानी गैंग के सरगना और टूलकिट साजिश (Toolkit Case) के मास्टरमाइंड मो धालीवाल की करीबी अनीता लाल इसकी कर्ताधर्ता थी. अनीता कनाडा के वैंकुबर में बैठकर मो धालीवाल के साथ इसे अंजाम दे रही थी.


ऐसी ऑनलाइन बैठकें कई दफा की गईं, जिसमें साजिश के मास्टरमाइंड नये-नये मोहरों को जोड़ते रहे. इसके लिये व्हाट्सऐप पर हर बार नया ग्रुप बनाया जाता और फिर उसे तय बैठक के बाद डिलीट कर दिया जाता, ताकि न कोई सबूत बचे, न दुनिया को भनक लग सके.


दिशा रवि भी बैठकों में रही शामिल


टूलकिट साजिश की जांच में अब 6 दिसंबर 2020 की तारीख सामने आई है. टूलकिट साजिश गैंग ने इस तारीख को भी ऑनलाइन बैठक की थी. इस ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर साजिश के इस जुटान में मो धालीवाल, अनीता लाल और उसका गुर्गा पीटर फ्रेडरिक समेत 10 लोग शरीक थे.



पुलिस जांच में ये बात सामने आ रही है कि इसमें बेंगलुरू से दिशा रवि भी शामिल थी. इसी के बाद दिशा रवि (Disha Ravi) ने इंटरनेशनल फार्मर स्ट्राइक ग्रुप बनाया था. इसमें बाद में मुंबई से निकिता जैकब और शांतनु मुलुक को जोड़ा गया था.


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6 दिसंबर की ऑनलाइन बैठक में जो टास्क दिया गया था, उसे पूरा करने के बाद 11 जनवरी को फिर टूलकिट साजिश गैंग ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर एकजुट हुआ था. इस बार उनकी तादाद 10 से बढ़कर 70 हो चुकी थी. यानी 35 दिनों में ही साजिश गैंग ने अपने मोहरों की तादाद सात गुना बढ़ा ली थी.


ये साजिश की मोहरों की तादाद इतने बड़े पैमाने पर क्यों बढ़ाई गई थी, उसके जवाब में आप 26 जनवरी को हुए लालकिला कांड (Red Fort Violence) और विदेश में भारतीय दूतावासों के बाहर के प्रदर्शन को याद कर लीजिए.


मौजूदा सबूत बता रहे हैं कि 11 जनवरी को टूलकिट साजिश की पूरी बिसात बिछाने में कनाडा से लेकर पाकिस्तान तक के मोहरे एक्टिव थे. और इसे अंजाम तक पहुंचाने की जिम्मेदारी पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन के सरगना मो धालीवाल के कंधे पर थी. 11 जनवरी को ऑनलाइन बैठक उसी ने बुलाई थी.


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टूलकिट के बाकी 'मोहरे' भी नहीं बचने वाले!


टूलकिट साजिश की उस बैठक में शामिल 70 किरदारों में से कइयों के नाम सामने आ चुके हैं. इसमें कनाडा के वैंकुवर से मो धालीवाल,अनीता लाल और पीटर फ्रेडरिक शामिल हुए. जबकि बेंगलुरू से दिशा रवि (Disha Ravi) और मुंबई से निकिता जैकब (Nikita Jacob) और शांतनु मुलुक शामिल हुए.



इसी बैठक में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI का गुर्गा और खालिस्तानी आतंकी भजन सिंह भिंडर उर्फ इकबाल चौधरी भी शामिल हुआ था.


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साजिश का ये शातिर खेल दिल्ली पुलिस के सामने नहीं खुल पाता, अगर 29 जनवरी को ग्रेटा थनबर्ग (Greta Thunberg) के ट्वीट में साजिश का टूलकिट गलती से शेयर नहीं हुआ होता.


ग्रेटा थनबर्ग के उसी ट्वीट में ये खुलासा था कि अन्नदाता आंदोलन की आड़ में हो रही इस साजिश के लिये ब्रिटेन, कनाडा, अमेरिका के सांसदों की लॉबिइंग की जा रही है. और उसी तर्ज पर हिन्दुस्तान में विपक्षी सांसदों को भी पाले में लिया जा रहा है.


आखिर टू​लकिट को डिलीट क्यों किया?


उस टूलकिट में साजिश के प्रमुख मोहरों के नाम, ईमेल थे. सोशल मीडिया से लेकर दिल्ली में हिंसा-हंगामे की रणनीति थी.


दिल्ली पुलिस (Delhi Police) के मुताबिक इस गलती की भनक लगते ही दिशा रवि ने ग्रेटा थनबर्ग से सबसे पहले ट्वीट डिलीट करवाया और फिर टूलकिट में बदलाव करने की कोशिश भी की. लेकिन तब तक साजिश की सारी कहानी खुल चुकी थी.


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सवाल तो ये है कि अगर टूलकिट में साजिश का प्लान नहीं था तो ग्रेटा ने डरकर उसे डिलीट क्यों किया? इसकी जरूरत क्यों पड़ी? डेटा डिलीट करने से पहले हुए व्हाट्स ऐप चैट में दिशा रवि ने क्यों लिखा कि गलती से टूलकिट शेयर होने के कारण वो UAPA यानी गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम कानून के तहत फंस सकती है?


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और अब जब दिल्ली पुलिस की जांच तेजी से आगे बढ़ रही है, दिशा रवि (Disha Ravi) ने कोर्ट में ये अर्जी क्यों लगाई है कि दिल्ली पुलिस अपनी जांच रिपोर्ट सार्वजनिक न करे.


टूलकिल में साजिश की बात खारिज करने वालों को सच्चाई की तह तक पहुंचने के लिये इन सवालों पर जरूर गौर करना चाहिए.


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