नई दिल्लीः Haryana Election: हरियाणा में चुनाव प्रचार अपने चरम पर है. बीजेपी जहां लगातार तीसरी बार अपनी सरकार बनाने के लिए ताल ठोक रही है तो वहीं कांग्रेस राज्य में फिर से वापसी के लिए बेताब नजर आ रही है. 10 साल से बीजेपी शासित इस राज्य में जीटी रोड और अहीरवाल बेल्ट भारतीय जनता पार्टी के गढ़ माने जाते हैं. 2014 और 2019 में बीजेपी की सरकार हरियाणा में बनवाने में इस बेल्ट का काफी अहम योगदान रहा. ऐसे में 2024 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के लिए इन दोनों बेल्ट में ही अपने साथ वोटरों को जोड़े रखना बेहद जरूरी है.
गैर जाट क्षेत्र है जीटी रोड बेल्ट
पहले जीटी रोड बेल्ट की बात करें तो यहां से बीजेपी को 2014 में 21 सीटें मिली थीं जबकि 2019 में भी 12 सीटें उसके खाते में आई थीं. ये गैर जाट क्षेत्र है. बीजेपी ने भी पहले मनोहर लाल खट्टर और फिर नायब सिंह सैनी को सीएम बनाया. इससे संकेत गया कि बीजेपी राज्य में गैर जाटों की सियासत कर रही है.
जीटी रोड बेल्ट में पंचकूला, अंबाला, यमुनानगर, कुरुक्षेत्र, करनाल और पानीपत जिले आते हैं. यहां से बीजेपी के बड़े नेता खुद सीएम नायब सिंह सैनी, अनिल विज, कंवरपाल गुर्जर, महिपाल ढांडा, स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता हैं. बीजेपी की अगली सरकार की आस इन नेताओं के कंधों पर टिकी है.
बीजेपी का गढ़ रही है अहीरवाल बेल्ट
अहीरवाल बेल्ट की बात करें तो इस बीजेपी का गढ़ समझा जाता है और इस गढ़ के बीजेपी के सबसे बड़े नेता हैं राव इंद्रजीत सिंह. इस इलाके से बीजेपी ने 2014 में 11 में से 11 सीटें जीती थीं जबकि 2019 में 8 सीटें उसके पाले में आई थी. रेवाड़ी, गुरुग्राम और महेंद्रगढ़ का यह इलाका अहीर बाहुल्य है. यहां राव इंद्रजीत सिंह के इर्द-गिर्द राजनीति चलती है. अटेली से उनकी बेटी आरती सिंह पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ेंगी.
हालांकि कांग्रेस के पास भी यहां राव दान सिंह, अजय सिंह यादव बड़े चेहरे हैं. वे अहीरवाल बेल्ट में बीजेपी को नुकसान पहुंचा सकते हैं. ऐसे में इस बेल्ट में बीजेपी का प्रदर्शन यह तय कर सकता है कि वह हरियाणा में हैट्रिक मार पाएगी या नहीं.
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