AzadiSAT: इसरो ने लांच किया 'आजादीसैट' एसएसएलवी, 750 छात्राओं ने मिलकर किया है तैयार

इसरो ने रविवार को अपना छोटे उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) 'आजादीसैट' को लांच किया. यह सैटेलाइट भारत के 75 स्कूलों की 750 छात्राओं ने मिलकर तैयार किया है. जिन्हें 'स्पेस किड्स इंडिया' की टीम एकसाथ लेकर आई है.  

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Aug 7, 2022, 10:08 AM IST
  • आजादीसैट को लेकर ये है इसरो का उद्देश्य
  • 750 छात्राओं ने मिलकर तैयार किया आजादीसैट
AzadiSAT: इसरो ने लांच किया 'आजादीसैट' एसएसएलवी, 750 छात्राओं ने मिलकर किया है तैयार

नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने रविवार को अपना छोटे उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) 'आजादीसैट' को लांच किया. यह सैटेलाइट भारत के 75 स्कूलों की 750 छात्राओं ने मिलकर तैयार किया है. जिन्हें 'स्पेस किड्स इंडिया' की टीम एकसाथ लेकर आई है.   

आजादीसैट को लेकर ये है इसरो का उद्देश्य

इसरो ने 500 किलोग्राम तक के उपग्रहों को पृथ्वी की निचली कक्षा में 500 किलोमीटर तक स्थापित करने का मिशन शुरू किया है. उसका उद्देश्य तेजी से बढ़ते एसएसएलवी बाजार का बड़ा हिस्सा बनना है. इसरो ने रविवार को यह एसएसएलवी लांच कर दिया है. इस एसएसएलवी का उद्देश्य उपग्रह ईओएस-02 और आजादीसैट को पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित करना है. 

चेन्नई से करीब 135 किलोमीटर दूर सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसएचएआर) के पहले लॉन्च पैड से इसे प्रक्षेपित किया गया. प्रक्षेपण के करीब 13 मिनट बाद रॉकेट के इन दोनों उपग्रहों को निर्धारित कक्षा में स्थापित करने की उम्मीद है. अपने भरोसेमंद ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी), भूस्थैतिक उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी) के माध्यम से सफल अभियानों को अंजाम देने में एक खास जगह बनाने के बाद इसरो लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) से पहला प्रक्षेपण करेगा, जिसका उपयोग पृथ्वी की निचली कक्षा में उपग्रहों को स्थापित करने के लिए किया जाएगा. 

500 किलोग्राम तक के एसएसएलवी लांच करने की तैयारी में इसरो

इसरो के वैज्ञानिक ऐसे छोटे उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए पिछले कुछ समय से लघु प्रक्षेपण यान विकसित करने में लगे हुए हैं, जिनका वजन 500 किलोग्राम तक है और जिन्हें पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित किया जा सकता है. एसएसएलवी 34 मीटर लंबा है जो पीएसएलवी से लगभग 10 मीटर कम है और पीएसएलवी के 2.8 मीटर की तुलना में इसका व्यास दो मीटर है. 

एसएसएलवी का उत्थापन द्रव्यमान 120 टन है, जबकि पीएसएलवी का 320 टन है, जो 1,800 किलोग्राम तक के उपकरण ले जा सकता है. इसरो ने इंफ्रा-रेड बैंड्स में उन्नत ऑप्टिकल रिमोट सेंसिंग उपलब्ध कराने के लिए पृथ्वी अवलोकन उपग्रह का निर्माण किया है. ईओएस-02 अंतरिक्षयान की लघु उपग्रह श्रृंखला का उपग्रह है. 

750 छात्राओं ने मिलकर तैयार किया आजादीसैट

‘आज़ादीसैट’ में 75 अलग-अलग उपकरण हैं, जिनमें से प्रत्येक का वजन लगभग 50 ग्राम है. देशभर के ग्रामीण क्षेत्रों की छात्राओं को इन उपकरणों के निर्माण के लिए इसरो के वैज्ञानिकों द्वारा मार्गदर्शन प्रदान किया गया था जो 'स्पेस किड्स इंडिया' की छात्र टीम द्वारा एकीकृत हैं. आज़ादीसैट को 750 छात्राओं ने मिलकर तैयार किया है. ‘स्पेस किड्ज इंडिया’ द्वारा विकसित जमीनी प्रणाली का उपयोग इस उपग्रह से डेटा प्राप्त करने के लिए किया जाएगा.

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