Kolkata Doctor Case: जानिए- क्या होता है पॉलीग्राफ टेस्ट, संदीप घोष समेत 4 अन्यों का होगा, CBI को मिली मंजूरी

What is polygraph test: आरजी कर के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष को होगा टेस्ट.अदालत ने चार अन्य चिकित्सा पेशेवरों के लिए भी पॉलीग्राफ परीक्षण को मंजूरी दे दी, जो पीड़िता के सहकर्मी थे और अपराध की रात उसके साथ मौजूद थे.

Written by - Nitin Arora | Last Updated : Aug 22, 2024, 08:37 PM IST
  • पॉलीग्राफ टेस्ट क्या है?
  • लाई डिटेक्टर टेस्ट सीबीआई की कैसे मदद करेगा?
Kolkata Doctor Case: जानिए- क्या होता है पॉलीग्राफ टेस्ट, संदीप घोष समेत 4 अन्यों का होगा, CBI को मिली मंजूरी

Kolkata Doctor Case Update: कोलकाता की एक विशेष अदालत ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को आरजी कर अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष पर झूठ पकड़ने वाली मशीन से जांच करने की अनुमति दे दी है. इस अस्पताल में 31 वर्षीय प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ दुष्कर्म कर उसकी हत्या कर दी गई थी. अदालत ने चार अन्य चिकित्सा पेशेवरों के लिए पॉलीग्राफ परीक्षण को भी मंजूरी दे दी है, जो पीड़िता के सहकर्मी थे और अपराध की रात उसके साथ मौजूद थे.

दरअसल, सीबीआई जांच दल अपनी जांच के तहत पांच व्यक्तियों पर पॉलीग्राफ परीक्षण करने की योजना बना रहा था. ये टेस्ट उन लोगों द्वारा दिए गए बयानों की विश्वसनीयता निर्धारित करने के लिए डिजाइन किए गए हैं जो जांच से गुजर रहे हैं. अब जहां CBI को पॉलीग्राफ टेस्ट की अनुमति मिल गई है.

इससे पहले, 19 अगस्त को, टीम को मामले के मुख्य संदिग्ध संजय रॉय पर पॉलीग्राफ टेस्ट करने की मंजूरी मिली थी. इस फैसले के बाद कलकत्ता उच्च न्यायालय में अगली सुनवाई 29 अगस्त तक स्थगित कर दी गई.

संजय रॉय पर क्या आरोप हैं?
33 वर्षीय संजय रॉय पर घटना के शुरुआती घंटों में 31 वर्षीय दूसरे वर्ष के ट्रेनी डॉक्टर पर हमला करने और उसकी हत्या करने का आरोप है. रॉय, एक सिविक वॉलेंटियर है, जिन्हें 9 अगस्त को अस्पताल के सेमिनार हॉल में डॉक्टर का शव मिलने के अगले दिन गिरफ्तार किया गया था.

डॉ. घोष का कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में तबादला रद्द कर दिया गया. पूर्व प्रिंसिपल ने 9 अगस्त को अस्पताल के सेमिनार हॉल में युवा डॉक्टर का शव मिलने के तुरंत बाद 12 अगस्त को आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.

पॉलीग्राफ टेस्ट क्या है?
पॉलीग्राफ टेस्ट, जिसे आमतौर पर झूठ डिटेक्टर टेस्ट भी कहा जाता है. यह सवालों का जवाब देते समय व्यक्ति की शारीरिक प्रतिक्रियाओं को मापता है. अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन के अनुसार, यह परीक्षण यह निर्धारित करने का प्रयास करता है कि किसी व्यक्ति ने कोई अपराध किया है या नहीं, हालांकि यह सीधे ईमानदारी या सच्चाई का पता नहीं लगाता. यह मूल्यांकन पॉलीग्राफ ऑपरेटर द्वारा किए गए विश्लेषण पर निर्भर करता है.

पॉलीग्राफ मशीन पूछताछ के दौरान हृदय गति, रक्तचाप, श्वसन परिवर्तन और पसीने के स्तर सहित शारीरिक संकेतकों को रिकॉर्ड करती है. इन प्रतिक्रियाओं की निगरानी के लिए कार्डियो-कफ या इलेक्ट्रोड जैसे संवेदनशील उपकरणों का उपयोग किया जाता है, जिसमें एक संख्यात्मक मान निर्दिष्ट किया जाता है ताकि यह विश्लेषण किया जा सके कि व्यक्ति सच्चा है, धोखेबाज है या क्या है?

लाई डिटेक्टर टेस्ट सीबीआई की कैसे मदद करेगा?
रॉय के मामले में, पॉलीग्राफ परीक्षण के परिणाम उसके बयानों और बहानेबाजी में मिस्टेक को स्पष्ट कर सकते हैं. जांचकर्ता शारीरिक प्रतिक्रियाओं का मूल्यांकन करके धोखे के संकेतों की पहचान कर सकते हैं जो पूछताछ के दौरान काफी चीजों से पता लगेंगे.

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