Ajit Pawar: बदले-बदले 'पवार' नजर आते हैं... महाराष्ट्र में 'चाचा-भतीजा' फिर करेंगे खेल?

 Ajit Pawar Politics: NCP प्रमुख अजित पवार ने रक्षा बंधन से पहले ये माना कि बहन सुप्रिया के सामने उन्हें पत्नी को नहीं उतारना चाहिए था. ये बयान उन्होंने तब दिया है, जब ये खबरें सामने आई हैं कि RSS अजित पवार की भूमिका से खुश नहीं है.

Written by - Ronak Bhaira | Last Updated : Aug 14, 2024, 12:50 PM IST
  • 80-90 सीटें मांग रहे अजित पवार
  • RSS उनकी भमिका से नाखुश
Ajit Pawar: बदले-बदले 'पवार' नजर आते हैं... महाराष्ट्र में 'चाचा-भतीजा' फिर करेंगे खेल?

नई दिल्ली: Ajit Pawar Politics: महाराष्ट्र में लंबे समय से 'चाचा-भतीजा' पॉलिटिक्स चल रही है. समय-समय पर इसके एपिसोड्स रिलीज होते रहते हैं. अब रक्षा बंधन से पहले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के नेता अजित पवार ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि बहन सुप्रिया सुले के सामने पत्नी सुनेत्रा पवार को चुनाव लड़ाना गलत फैसला था. अजित पवार ने इस पर अफसोस जाहिर किया है. विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अजित पवार के इस बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं. आइए, जानते हैं कि अजित पवार ने ये बयान क्यों दिया है? 

सुप्रिया सुले Vs सुनेत्रा पवार
लोकसभा चुनाव 2024 में अजित पवार ने अपनी पत्नी सुनेत्रा पवार को बहन सुप्रिया सुले (शरद पवार की बेटी) के सामने चुनावी मैदान में उतारा था. महाराष्ट्र की बारामती लोकसभा सीट पर सबकी नजरें थीं. भाभी ने ननद को 1 लाख 58 हजार वोटों से मात दी थी. अजित पवार की पार्टी ने 4 सीटों पर चुनाव लड़ा था, महज 1 ही सीट जीत पाए.

क्या चाचा के पास लौटेंगे भतीजे?
अजित पवार आगामी विधानसभा चुनाव में 80-90 सीटों पर उम्मीदवार उतारना चाहते हैं. इसमें भी पवार वे 53 सीटें तो चाहते ही हैं, जिन पर 2019 के विधानसभा चुनाव में अविभाजित NCP ने जीत दर्ज की थी. अजित पवार ने मराठवाड़ा, पश्चिमी महाराष्ट्र और उत्तरी महाराष्ट्र में भी 20 सीटें मांगी हैं, यहां उनकी टक्कर कांग्रेस से हो सकती है. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना 100 और भाजपा 160-170 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है. महाराष्ट्र में 288 विधानसभा सीटे ही हैं, ऐसे में किसी न किसी को तो कंप्रोमाइज करना होगा. यदि अजित पवार को पर्याप्त सीटें नहीं मिलती हैं, तो उनकी पार्टी के नेता बिदक भी सकते हैं. अजित पवार सीटों के समझौते से संतुस्थ नहीं हुए तो बाकी संभावनों को भी नहीं नकारा जा सकता.

RSS बन सकता है महायुति में टूट की वजह?
RSS पहले से ही अजित पवार की भूमिका से खुश नहीं हैं. भाजपा की समन्वय बैठक और नागपुर में संघ के नेताओं की मीटिंग में अजित पवार का मुद्दा उठा था. संघ महायुति गठबंधन में अजित पवार के होने से नाखुश है. महाराष्ट्र के डिप्टी CM देवेंद्र फडणवीस ने भी 30 दिन के भीतर 3 बार संघ के पदाधिकारियों से मुलाकात की है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो फडणवीस संघ को पवार के लिए राजी कर रहे हैं. जबकि संघ नहीं चाहता कि आगामी विधानसभा चुनाव में अजित पवार को एडजस्ट किया जाए.  

अल्पसंख्यकों को साधना मजबूरी
हाल ही में अजित पवार ने वक्फ संशोधन बिल पर भी अपनी राय देखी थी. भाजपा की ओर से लोकसभा में लाए गए इस बिल के बारे में पवार ने कहा था- हमारी पार्टी वक्फ बोर्ड विधेयक में मुस्लिमों के साथ अन्याय नहीं होने देगी. आपको (मुस्लिम) इस बिल से जुडी कोई चिंता है, तो हम आपकी चिंता सुनेंगे. आपके साथ अन्याय नहीं होने देंगे. गौरतलब है कि अल्पसंख्यक NCP के कोर वोटर रहे हैं, अजित ये बेस नहीं खोना चाहते. 

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