नई दिल्लीः जम्मू-कश्मीर से जुड़ी बड़ी खबर आ रही है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 के नियमों में संशोधन करते हुए उपराज्यपाल को अधिक शक्तियां दे दी हैं. अब जम्मू-कश्मीर में भी दिल्ली की तरह उपराज्यपाल के पास अधिक शक्तियां होंगी. ये संशोधन ऐसे समय में किया गया है जब इस साल केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव कराए जाने की अटकलें हैं.
उपराज्यपाल के पास अधिक शक्तियां
इन संशोधनों से उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को अधिक शक्तियां मिल गई हैं. इस संशोधन का मतलब है कि केंद्र शासित प्रदेश में चुनी हुई सरकार के पास आंतरिक सुरक्षा, ट्रांसफर, अभियोजन और अटॉर्नी-जनरल समेत सरकारी वकीलों की नियुक्ति सहित अहम मामलों में सीमित शक्तियां होंगी.
Ministry of Home Affairs (MHA) amended Jammu and Kashmir Reorganization Act to give more power to the Lieutenant Governor.
The MHA notifies the amended Rules under Section 55 of the Jammu and Kashmir Reorganisation Act, 2019 inserting new Sections giving more power to the LG. pic.twitter.com/3gbaSTssNp
— ANI (@ANI) July 13, 2024
हालांकि केंद्र शासित प्रदेश में अभी निर्वाचित सरकार नहीं है लेकिन जब भी चुनाव होंगे और नई सरकार बनेगी, उसके पास सीमित शक्तियां होंगी. निर्वाचित सरकार उपराज्यपाल की मंजूरी के बाद ही ट्रांसफर-पोस्टिंग कर सकेगी.
क्या-क्या किए गए हैं संशोधन
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 की धारा 55 में जो संशोधन किया गया है उसमें 42ए के तहत अब पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था, अखिल भारतीय सेवा और एंटी करप्शन ब्यूरो के मामलों में वित्त विभाग से पहले मंजूरी जरूरी है. जब तक इसे चीफ सेक्रेटरी के जरिए एलजी के सामने नहीं रखा जाता है, तब तक इसे स्वीकार और अस्वीकार नहीं किया जाएगा. 42बी के तहत अभियोजन को मंजूर या नामंजूर करने या अपील करने के संबंध में कोई भी प्रस्ताव विधि विभाग के जरिए एलजी के सामने रखा जाएगा.
उमर अब्दुल्ला ने दी तीखी प्रतिक्रिया
वहीं इस फैसले पर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने एक्स पर लिखा, 'एक और संकेत है कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव नजदीक हैं. यही कारण है कि जम्मू-कश्मीर के लिए पूर्ण, अविभाजित राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए समयसीमा निर्धारित करने की दृढ़ प्रतिबद्धता इन चुनावों के लिए एक शर्त है. जम्मू-कश्मीर के लोग शक्तिहीन, रबर स्टांप सीएम से बेहतर के हकदार हैं, जिन्हें अपने चपरासी की नियुक्ति के लिए एलजी से भीख मांगनी पड़ेगी.'
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