मोदी सरकार की सफल सामरिक कूटनीति

मोदी सरकार अपने सफल नेतृत्व के लिये देश में ही नहीं विदेशों में भी जानी जाती है. भारत के शिखर पुरुष नरेन्द्र मोदी की वैश्विक छवि ने भारत को वैश्विक मुकाम हासिल कराया है. मोदी सरकार की सामरिक कूटनीतिक सफलता भी इसी वैश्विक तथ्य की एक बानगी है..  

Written by - Parijat Tripathi | Last Updated : Jun 3, 2020, 07:44 PM IST
    • सामरिक कूटनीति के क्षेत्र में मोदी सरकार सफल
    • टर्की के रूस से डिफेन्स डील ने अमेरिका को नाराज किया
    • अमेरिका ने तोड़े टर्की से संबन्ध
    • अब भारत ने भी किया रूस के साथ डिफेन्स डील
    • भारत के इस सत्य को अमेरिका को स्वीकार करना पड़ा
    • अब अमेरिका के साथ समृद्ध हैं अमेरिका के सामरिक संबन्ध
मोदी सरकार की सफल सामरिक कूटनीति

नई दिल्ली.  आज चीन जानता है कि नया भारत 1962 वाला भारत नहीं है. देश में समझौतेवादी विलासी जवाहरलाल नेहरू की सरकार नहीं है जो उसकी घुड़की पर घुटनों के बल आ जायेगी. मोदी के भारत को न चीन भयभीत कर सकता है न उस पर आक्रमण. मोदी ने देश के विश्वास को भी सशक्त किया है देश की सेना को भी. मोदी की सामरिक कूटनीति आत्मविश्वास पूर्ण नये भारत की सफलता के दर्पण में मुस्कुराती है.

 

नाटो में टर्की अमेरिका का विश्वस्त अनुचर था

टर्की का नाटो अर्थात नार्थ एटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन से एक लंबा मजबूत नाता रहा है. अमेरिका के इस संगठन में टर्की उसका एक ज़माने में विश्वस्त साथी रहा है. अमेरिका का टर्की प्रेम इस्लामी देशों में अपना विश्वस्त साथी तैयार करने की वजह था. अमेरिका ने टर्की को अपनी सभी महत्वपूर्ण रक्षा प्रणालियां और प्लेटफार्म दिये हुए हैं. यहां तक कि अमेरिका ने टर्की को अपना सबसे हाइटेक फाइटर जेट 5 का विमान F-35  भी दिया है. और तो और अमेरिका ने टर्की में F-16 और AMRAAM का मैनुफैक्चरिंग यूनिट तक स्थापित करवाया है.

रूस से डिफेन्स डील ने अमेरिका को नाराज किया

टर्की की रूस से डिफेन्स डील ने अमेरिका को नाराज किया और इसने अमेरिका को सोचने पर मजबूर कर दिया. टर्की ने रूस के साथ S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम का सौदा पक्का किया तो अमेरिका ने बुरा माना और अमेरिकी संसद में इसका विरोध हुआ. इसके बाद अमेरिका ने टर्की में अपने डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग यूनिटों पर ताला लगा दिया और उसे हर तरह के डिफेंस इक्विपमेंट्स देना बंद कर दिया. उसने टर्की को F-35 की सर्विस, स्पेयर्स और मेंटेनेंस की सुविधा भी हमेशा के लिये खत्म कर दी.

 

टर्की के मामले में अमेरिका ने कहा –राष्ट्र सर्वोपरि!

ये अमेरिका की राष्ट्र सर्वोपरि नीति का अनुपम उदाहरण है. आज की तारिख में टर्की की अमेरिकी डिफेंस मैनुफैक्चरिंग यूनिट बंद है. टर्की में अमेरिका से होने वाला हथियारों का आयात भी रुका पड़ा है. और टर्की के लिये दुखद ये भी है कि अब एफ-35 जेट वाली उसकी पूरी फ़्लीट जमीन पर खड़ी है या कहें पड़ी है. आर्थिक क्षति हुई है अमेरिका को लेकिन अमेरिका ने अपने पुराने सहयोगी देश के लिए भी अपनी डिफेंस एक्स्पोर्ट नीति से कोई समझौता नही किया.

अब ऐसा ही हुआ है भारत के साथ

अब ऐसा ही हुआ है भारत के साथ लेकिन इसमें विजेता रहा है भारत. दरअसल भारत ने भी रूस के साथ S-400 की डील साइन की है जो अमेरिका को नागवार गुजरा और उसने भारत को यह डील रोकने की हर संभव गुजारिश की लेकिन मोदी सरकार ने एक न सुनी. बात इतनी दूर तक गई कि अमेरिकी संसद में भी ये बात उठाई गई किन्तु दूरदर्शी अमेरिकी सांसदों ने भारत के साथ रक्षा सहयोग तथा मित्रता को प्राथमिकता  वरीयता दी और भारत के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं हुई. भारत के अंतर्राष्ट्रीय आदम कद को भांप कर अमेरिका ने इस मुद्दे को ही भूल गया है.

अमेरिका के साथ समृद्ध हैं सामरिक संबन्ध

भारत के अमेरिका के साथ सामरिक संबन्ध आज समृद्ध हैं. आज अमेरिकी पी8i, सी-130जे सुपर हरक्यूलिस, सी-17 ग्लोबमास्टर भारत के काम आ रहे हैं.  भारत ने अमेरिका से उसके सबसे उन्नत आर्म्ड ड्रोन्स प्रिडेटर के लिये ऑर्डर दिया हुआ है. और तो और  एम777 अल्ट्रा लाइट हॉविट्जर, सीएच-47 चिनूक तथा एएच-64 अपाचे भी भारत आने वाले हैं.  इन सभी की डिलीवरी और इन सभी डिफेंस प्लेटफॉर्म के लिए जरूरी सेवायें भी अमेरिका बिना नागा भारत को तय समय पर उपलब्ध करवा रहा है.

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