नई दिल्ली: किसान आंदोलन (Farmer Protest) में खालिस्तानी गैंग की घुसपैठ पर शिकंजा कसने लगा है. राष्ट्रीय जांच एजेंसी NIA एक्शन में है. आंदोलन (Protest) में शामिल 100 लोगों को पूछताछ का नोटिस भेजा गया है. जिसमें 20 नामचीन चेहरे हैं. यही नहीं, आंदोलन से जुड़े करीब 400 लोग NIA रडार पर हैं, ये जानकारी सामने आने के बाद खलबली मची हुई है. विपक्ष भी हल्ला मचा रहा है.
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गणतंत्र के खिलाफ षडयंत्र देश को कबूल नहीं!
सवाल ये है कि अन्नदाता आंदोलन (Kisan Andolan) की आड़ में अगर देशविरोधी साजिश के सबूत मिले हैं, तो उसकी NIA जांच पर छाती क्यों पीटी जा रही है?
क्या ये कह दिये जाने भर से अन्नदाता आंदोलन के कर्ता-धर्ताओं की जिम्मेदारी खत्म हो जाती है कि उकसावे की साजिश तो विदेश से हो रही है, उसे आंदोलन से नहीं जोड़ा जाए. ये अन्नदाता का अपमान है.
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किसान आंदोलन (Farmer Protest) के कर्ताधर्ताओं से ये सवाल आखिर क्यों नहीं पूछा जाना चाहिए कि उन्होंने अपने आंदोलन को राष्ट्रविरोधी तत्वों का अड्डा कैसे बनने दिया?
प्रतिबंधित संगठन SJF ने जब किसान आंदोलन में शामिल सिख प्रदर्शनकारियों को पैसों का लालच देकर उकसाना शुरू किया तो क्यों आपकी जुबां बंद रही?
क्या आपको नहीं मालूम कि आतंकी संगठन SJF किसान प्रदर्शनकारियों को उकसा रही है कि ट्रैक्टर मार्च के बहाने संसद पर कब्जा कर लो...इस राष्ट्रविरोधी साजिश को अगर आप हल्के में ले रहे हैं...तो ये नाकाबिले बर्दाश्त है.
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किसान आंदोलन के कंधे पर बंदूक रखकर देश से गद्दारी की बिसात बिछाई जा रही है ,तो हिन्दुस्तानी सियासत में हाशिये पर जाती कांग्रेस इसे 'आपदा में अवसर' की तरह भुनाने पर उतारू है. ये भूलकर कि ऐसी अनदेखी की जानलेवा कीमत कांग्रेस की कमान संभालने वाले गांधी परिवार को 1984 में चुकानी पड़ी थी.
गांधी परिवार की एक भूल ने देश को वो गहरा जख्म दिया, जिसे आज फिर खालिस्तानी गैंग किसान आंदोलन की आड़ में कुरेदकर देश को तोड़ने की साजिश रच रहा है.
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देशविरोधी साजिश की सियासी अनदेखी नहीं चलेगी!
पंजाब (Panjab) की जगह दिल्ली (Delhi) को किसान आंदोलन का नया मोर्चा बनाने का रणनीति जब बनी, तभी ये इशारा मिल गया था कि किसान आंदोलन की आड़ में खालिस्तान (Kalistan) के प्रेत को फिर जिंदा करने की खौफनाक साजिश हो रही है. 53 दिनों में ये बात पूरी तरह खुलकर सामने आ चुकी है.
किसान आंदोलन (Kisan Andolan) में खालिस्तानी गैंग की घुसपैठ की साजिश रचने वाला आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू विदेश में बैठकर प्रदर्शनकारी किसानों को देशद्रोह के लिये भड़का रहा है. इसके लिये डराने से लेकर पैसों का मोटा लालच शामिल है.
सवाल तो ये है कि ऐसे देशविरोधी खतरनाक उकसावे पर क्यों चुप रहे वो लोग, जो आंदोलन के हाईजैक होने की सच्चाई को नकारते हैं?
उन्होंने क्यों नहीं अपनी जुबां खोली, जब दिल्ली के राजपथ पर खालिस्तानी झंडा फहराने पर 2.50 लाख डॉलर के ईनाम का एलान किया गया?
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अपनी जिद पर अड़े किसान नेताओं ने सरकार पर एक पल में उंगली उठा दी, वहीं आंदोलन में खालिस्तानी गैंग की फंडिंग के खतरनाक खेल को समझते बूझते नजरअंदाज करते रहे.
नतीजा सुप्रीम कोर्ट के सवाल उठाने के बाद एनआई को एक्शन में आना पड़ा. और अब वो भी सवालों के घेरे में हैं.
'खालिस्तानी गैंग' पर NIA ने कसा शिकंजा!
किसान आंदोलन (Kisan Andolan) की आड़ में हो रही खालिस्तानी साजिश की तह तक पहुंचने के लिये NIA यानी राष्ट्रीय जांच एजेंसी अबतक 20 किसान नेताओं समेत सौ से ज्यादा लोगों को पूछताछ का नोटिस भेज चुकी है. जबकि 400 से ज्यादा चेहरे उसकी रडार पर हैं.
जिन बड़े चेहरों को NIA ने पूछताछ का नोटिस भेजा है, उसमें किसान आंदोलन के बड़े नेता बलदेव सिंह सिरसा और उनके बेटे मेहताब सिंह सिरसा शामिल हैं. सिरसा को बेटे समेत 17 जनवरी को पूछताछ का समन मिला था, लेकिन निजी कारणों का हवाला देते हुए उन्होंने 7 फरवरी से पहले पेशी से मना कर दिया.
सिरसा के अलावा किसान नेता हरमीत सिंह कादिया, सिख यूथ फेडरेशन के भाई रणजीत सिंह दमदमी टकसाल, पंजाबी गायक दीप सिद्धू और उनके भाई मनदीप सिद्धू, परमजीत सिंह अकाली और गुरमत प्रचार सेवा के सुरिंदर सिंह ठिकरीवाला जैसे नामचीन चेहरों को NIA का समन गया है.
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पंजाबी (Panjab) गायक दीप सिद्धू ने किसान आंदोलन के मंच से खालिस्तान की आवाज उठाई थी, तो वहीं सिख यूथ फेडरेशन के रणजीत सिंह दमदमी टकसाल ने भिंडरांवाले का महिमामंडंन करने वाली किताब बंटवाई थी.
NIA पिछले महीने 15 दिसंबर को प्रतिबंधित संगठन SFJ के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी, जिसमें कहा गया था कि प्रतिबंधित संगठन सिख्स फॉर जस्टिस यानी SFJ आतंकी संगठन खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स, बब्बर खालसा इंटरनेशनल और खालिस्तान टाइगर फोर्स के जरिये मिलकर हिन्दुस्तान के खिलाफ साजिश रच रहा है. इसके लिये विदेशों से मोटी फंडिंग भी भेजी जा रही है.
प्रतिबंधित संगठन SJF के आतंकी मुखिया गुरपतवंत सिंह पन्नू की भड़काऊ बयानबाजी के अलावा SJF के यूटयूब चैनल पर खालिस्तानी गैंग की साजिश का खुल्लमखुल्ला खेल इसके बड़े सबूत हैं. अन्नदाता आंदोलन की आड़ में हो रही ऐसी देशविरोधी साजिशों के कई सबूत सामने हैं लेकिन विपक्ष उन्हें नजरअंदाज करने में जुटा हआ है.
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अपनी सियासत चमकाने के लिये राष्ट्रहित की ऐसी अनदेखी डराती है.सवाल तो ये है क्या ऐसे चेहरे किसान आंदोलन की आड़ में हो रही देशविरोधी साजिशों के कामयाब होने का इंतजार कर रहे हैं?
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