नई दिल्ली. जो काम पुलिस नहीं करा सकी अब जनता कराएगी. शाहीन बाग़ में प्रदर्शन के नाम पर पैसा ले कर धरने पर बैठे लोग प्रदर्शन के बहाने राष्ट्र-विरोधी एजेंडा चमका रहे हैं. यहां न केवल सीएए, एनआरसी और एनपीआर का विरोध हो रहा है बल्कि पकिस्तान समर्थक नारे भी सुनने में आ रहे हैं. इन नकली प्रदर्शनकारियों ने सवा महीने से अधिक वक्त से यहां की मेन रोड जाम कर रखी है और पुलिस तथा प्रशासन की लाख कोशिशों के बाद भी ये लोग ये जगह खाली करने को तैयार नहीं हैं.
पुलिस को दी एक सप्ताह की मोहलत
शाहीन बाग़ रोड खुलवाने का पक्का फैसला ले लिया है शाहीन बाग़ के आसपास रहने वाले लोगों ने. उन्होंने साफ़ तौर पर घोषणा कर दी है कि अब ये काम हम लोग ही करेंगे. हालांकि इस घोषणा के समानांतर ही उन्होंने पुलिस से एक आखिरी बार इस विषय में निवेदन किया है और पुलिस को एक हफ्ते का समय भी दिया है. पर इन लोगों को और उन लोगों को भी जो वहां पर धरना दिए बैठे हैं, पता है कि पुलिस कुछ नहीं कर सकती, पुलिस के हांथ बंधे हैं. धरने वालों की चतुराई इसी बात से जाहिर है कि यहां पर महिलाओं को बच्चे गोदी में ले कर बैठा दिया है ताकि पुलिस पूरी तरह से बेबस हो जाये और धरने का ड्रामा बेरोकटोक जारी रहे.
चालीस दिन से बंद है मेन रोड
शाहीन बाग़ में चालीस दिन से चल रहे धरने की वजह से यहां की मेन रोड बंद पड़ी है. कालिंदी-कुंज और सरिता विहार को जोड़ने वाली ये सड़क यहां की मुख्य सड़क है जो कि बंद होने के कारण न केवल यहां के लोगों को आने-जाने में बहुत असुविधा हो रही है बल्कि दुकानों के बंद होने की वजह से लाखों रुपयों का व्यावसायिक नुकसान भी यहां के लोगों को हुआ है.
कल की गई पत्रकारों से मारपीट
शाहीन बाग़ में धरने पर बैठे लोग और उनके इरादे कल शुक्रवार को एक बार फिर बेनकाब हो गए जब उन्होंने वहां पहुंचे एक न्यूज़ चैनल के पत्रकारों के साथ मारपीट की और उनके कैमरे तोड़ दिए. स्थिति की गंभीरता तो इसी बात से स्पष्ट है कि इन लोगों ने पत्रकारों को बंधक बनाने की भी कोशिश की किन्तु सही समय पर पुलिस के आ जाने से इनके मंसूबे धरे के धरे रह गए.
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