नए ससंद की नई पहचान: साढ़े 6 मीटर ऊंचा और साढ़े 9 टन का अशोक स्तंभ, पीएम ने किया अनावरण

पीएम मोदी ने नए ससंद भवन की पर 9,500 किलोग्राम वजनी और साढ़े 6 मीदर की ऊंचाई वाले राष्ट्रीय चिन्ह अशोक स्तंभ का अनावरण किया है. मोदी ने इस दौरान संसद भवन के निर्माण कार्य में लगे मजदूरों से भी बातचीत की.   

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jul 12, 2022, 08:01 AM IST
  • नए ससंद भवन की छत पर लगा राष्ट्रीय चिन्ह
  • पीएम मोदी ने किया अशोक स्तंभ का अनावरण
नए ससंद की नई पहचान: साढ़े 6 मीटर ऊंचा और साढ़े 9 टन का अशोक स्तंभ, पीएम ने किया अनावरण

नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन की छत पर बने राष्ट्रीय प्रतीक का सोमवार को अनावरण किया. नए ससंद भवन की छत पर अशोक स्तंभ जो कि, हमारे देश का राष्ट्रीय प्रतीक भी है उसे लगाया गया है. 

क्या है इसकी खासियत

अधिकारियों ने बताया कि कांस्य का बना यह प्रतीक 9,500 किलोग्राम वजनी है और इसकी ऊंचाई 6.5 मीटर है. उन्होंने बताया कि इसे नए संसद भवन के शीर्ष पर बनाया गया है और प्रतीक को सहारा देने के लिए इसके आसपास करीब 6,500 किलोग्राम की, स्टील की एक संरचना का निर्माण किया गया है.

पीएम मोदी ने की मजदूरों से बात

मोदी ने इस दौरान संसद भवन के निर्माण कार्य में लगे मजदूरों से भी बातचीत की. उन्होंने बताया कि नए संसद भवन की छत पर राष्ट्रीय प्रतीक लगाने का काम आठ अलग-अलग चरणों से पूरा किया गया. इसमें मिट्टी से मॉडल बनाने से लेकर कंप्यूटर ग्राफिक तैयार करना और कांस्य निर्मित आकृति को पॉलिश करना शामिल है. 

अशोक स्तंभ के बारे में

बता दें कि अशोक स्तंभ को महान सम्राट अशोक द्वारा 250 ईसा पूर्व में सारनाथ में बनवाया गया. यह स्तम्भ दुनिया भर में प्रसिद्ध है, इसे अशोक स्तम्भ के नाम से भी जाना जाता है. इस स्तम्भ में चार शेर एक दूसरे से पीठ से पीठ सटा कर बैठे हुए है. यह स्तम्भ सारनाथ के संग्रहालय में रखा हुआ है. भारत ने इस स्तम्भ को अपने राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में अपनाया है तथा स्तम्भ के निचले भाग पर स्थित अशोक चक्र को तिरंगे के मध्य में रखा है. 

नया ससंद भवन

बता दें कि, सरकार और अधिकारियों के अनुसार संसद के बढ़ते काम के कारण एक नई इमारत के निर्माण की ज़रूरत महसूस की गई. अभी का संसद भवन ब्रिटिश दौर में बना था जो लगभग 100 वर्ष (93 वर्ष) पुराना है और उसमें जगह और अत्याधुनिक सुविधाओं की व्यवस्था नहीं है.

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