पटना: लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव की भारतीय जनता पार्टी से नजदीकियां बढ़ने के कई संकेत मिल रहे हैं. पिछली बार उन्होंने भाजपा के साथ जाकर बिहार में मुख्यमंत्री का पद हासिल करने की बात कही थी. जिसके बाद रविवार को उन्होंने एक बार फिर से भाजपा से नजदीकी के संकेत दिए हैं.
रघुवंश के बयान से शुरु हुआ मामला
राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने बयान दिया था कि महाराष्ट्र में बदले सियासी समीकरण का असर बिहार में भी दिखेगा. उन्होंने भविष्वाणी की थी की महाराष्ट्र की ही तर्ज पर बिहार में भी भाजपा के सभी विरोधी राजनीतिक दल एक साथ खड़े हो सकते हैं. रघुवंश प्रसाद सिंह ने अप्रत्यक्ष तौर पर इस बात की तरफ इशारा किया था कि भाजपा को सबक सिखाने के लिए आरजेडी को जेडीयू का हाथ मिला लेना चाहिए.
क्या कभी लालू जैसे नेता बन पाएंगे तेजस्वी
कांग्रेस हो गई उत्साहित
रघुवंश के बयान पर उनकी पार्टी में जितनी हलचल नहीं मची उससे ज्यादा कांग्रेस का खेमा उत्साह में आ गया. बिहार कांग्रेस के प्रवक्ता राजेश राठौड तुरंत दावा करने उतर आए कि भाजपा और जेडीयू के बीच रिश्ते सामान्य नहीं हैं. इसलिए महाराष्ट्र का प्रयोग बिहार में भी दोहराया जा सकता है. राजेश राठौड ने धारा 370, राम मंदिर और एनआरसी जैसे मामलों की दुहाई दी, जिन्हें लेकर भाजपा और जेडीयू में मतभिन्नता है.
तेजस्वी के बयान पानी फेरा
लेकिन लालू यादव के बेटे और फिलहाल राष्ट्रीय जनता दल के सर्वेसर्वा की भूमिका निभाने वाले तेजस्वी यादव ने रघुवंश और कांग्रेस के उत्साह पर तुरंत पानी फेरते हुए बयान दिया कि उन्होंने इस मामले पर अपना स्टैंड क्लीयर कर दिया है. अब मामले पर कोई बयान की जरुरत नहीं.
यानी तेजस्वी ने नीतीश कुमार से हाथ मिलाने की सभी संभावनाओं को एक बार फिर से खारिज कर दिया.
दरअसल तेजस्वी यादव पिछले कुछ दिनों से लगातार जेडीयू पर हमला कर रहे हैं, जबकि भाजपा की आलोचना करने से बचते आ रहे हैं. जिसे देखकर लगता है कि आरजेडी और तेजस्वी में कुछ खिचड़ी पक रही है. शायद यही वजह है कि तेजस्वी ने जेडीयू के साथ जाने की सभी संभावनाओं को खारिज कर दिया.