देश के सभी मस्जिदों और मदरसों में घुसपैठ कर रहा है PFI

कट्टरपंथी संगठन और दिल्ली दंगे (Delhi Riots) की साजिश के आरोपी पापुलर फ्रंट आफ इंडिया (PFI) की एक और करतूत का पर्दाफाश हो गया है. सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक देश की सभी मस्जिदों और मदरसों में PFI घुसपैठ कर रहा है, जिसे लेकर सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हैं..

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Dec 22, 2020, 09:39 PM IST
  • कट्टरपंथी संगठन PFI की एक और साजिश का खुलासा
  • मस्जिदों और मदरसों में घुसपैठ की कोशिश में जुटा PFI
  • PFI की करतूत को लेकर सुरक्षा एजेंसियां सतर्क
  • 2006 में हुआ था PFI का गठन, केरल समेत 7 राज्यों में सक्रिय
देश के सभी मस्जिदों और मदरसों में घुसपैठ कर रहा है PFI

नई दिल्ली: दंगों (Riots) से लेकर देश विरोधी गतिविधियों (Anti National Acticity) में संलिप्तता पाए जाने वाले कट्टरपंथी संगठन पापुलर फ्रंट आफ इंडिया (PFI) की एक और साजिश का खुलासा हुआ है. दरअसल, सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक इन दिनों PFI अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए मस्जिदों और मदरसों में घुसपैठ की कोशिशें कर रहा है.

मस्जिदों और मदरसों में PFI की घुसपैठ!

पिछले दिनों देश भर में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ हुए. प्रदर्शनों के साथ-साथ दिल्ली (Delhi) और उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में दंगे कराने की साजिश रचने वाले आरोपी संगठन PFI इन दिनों पूरे देश में अपनी पहुंच और पकड़ बढ़ाने की कोशिशों में जुटा हुआ है. सुरक्षा एजेंसियों से ज़ी मीडिया (Zee Media) को मिली जानकारी के मुताबिक पीएफआई (PFI) देश के सभी मस्जिदों और मदरसों में अपनी घुसपैठ कर रहा है.

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रिपोर्ट के मुताबिक पीएफआई (PFI) बड़ी संख्या में इमामों को अपने संगठन से जोड़ने में लगा हुआ है. मतलब साफ है कि कट्टरपंथी संगठन अपनी करतूतों से बाज नहीं आने वाला है. PFI के 'दंगा साजिश' से जुड़े कई सबूत भी सामने आ चुके हैं आपको कट्टरपंथी संगठन के गुनाहों के बारे में जरूर जानना चाहिए.

PFI पर प्रतिबंध जरूरी क्यों? जानिए

PFI का फुल फॉर्म है पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया और ये एक कट्टरपंथी संगठन है, जिसका हेडक्वार्टर केरल में है. PFI देश के लिए कैसे खतरनाक है और क्यों इसपर बैन लगाने की जरूरत है. आपको हम समझाते हैं. नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा, जिस हिंसा ने पूरे उत्तर प्रदेश में आग लगा दी थी, उस हिंसा के पीछे पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी PFI के होने के सबूत मिल चुके हैं.

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पिछले साल लखनऊ में प्रदर्शन के दौरान भड़की हिंसा मामले में पुलिस ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया था, जिसके बाद उत्तर प्रदेश के डीजीपी ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर प्रतिबंध की सिफारिश करते हुए केन्द्रीय गृह मंत्रालय को चिट्ठी लिखी थी. उत्तर प्रदेश पुलिस (UP Police) की जांच में ये खुलासा हुआ था कि पीएफआई (PFI) संगठन में  इस्लामिक स्टूडेंट मूवमेंट ऑफ इंडिया यानि सिमी के ज्यादातर सदस्य जुड़ गए हैं. इन संगठनों के लोगों के पास से पूरे राज्य में आपत्तिजनक साहित्य और सामग्री बरामद की गई है.

इसके अलावा उत्तर प्रदेश के हाथरस कांड में भी पॉपुलर फ्रंड ऑफ इंडिया (PFI) की संलिप्तता सामने आई थी. हाथरस की आड़ में PFI यूपी में दंगे की साजिश रच रही थी. दंगे की साजिश रचने वाले 4 आरोपियों को मथुरा से गिरफ्तार किया गया था. अतीकुर्रहमान, आलम, सिद्दीक कप्पन और मसूद अहमद के पास से गिरफ्तारी के दौरान 6 स्मार्टफोन, एक लैपटॉप व जस्टिस वर्ग हाथरस नाम के पंपलेट पाए गए थे. FIR में कहा गया है यह लोग शांति भंग करने के लिए हाथरस जा रहे थे.

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क्या कहता है इतिहास?

2006 में PFI का गठन हुआ था. PFI केरल समेत 7 राज्यों में सक्रिय है. वहीं 16 राज्यों में इसका असर है और 15 से ज्यादा संगठन इससे जुड़े है. माना जा रहा है कि अलकायदा का इस्लामिक बैंक PFI को फंडिंग करता है और 2017 में 6 PFI कार्यकर्ता ISIS में शामिल हुए थे.

इसी महीने की शुरुआत में PFI के कई ठिकानों पर ED ने छापेमारी की थी. 9 राज्यों के 26 अलग-अलग जगहों पर प्रवर्तन निदेशालय ने छापेमारी की थी. इस दौरान PFI के दफ्तरों और उनके पदाधिकारियों से जुड़ी जगहों पर की गई. दरअसल, इस छापेमारी का कनेक्शन दंगा फंडिंग से जुड़ा था.

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