नई दिल्ली. ऐसा पहली बार हुआ है पिछले तीस सालों में जब कश्मीर घाटी में आतंक का सपोर्ट सिस्टम लंगड़ा रहा है. इसके पास न अब पैसा ढंग से बचा है न आतंकी. नए आतंकियों की भर्ती तो लगभग खत्म ही हो गई है. और इस कामयाबी का पूरा श्रेय जाता है देश की मोदी सरकार को.
सुरक्षा एजेंसियों की कामयाबी
इसमें कोई संदेह नहीं कि मोदी सरकार के गृह मंत्रालय की सफल नीतियों और योजनाओं के कारण आज कश्मीर को आतंक की घाटी नहीं कहा जा सकता. लेकिन कश्मीर में जो सीधा काम पूरे श्रम और समर्पण के साथ किया है वो किया है देश के सुरक्षा बलों ने. यहां तैनात सुरक्षा बलों ने पत्थर खा खा कर भी नागरिकों को निशाना नहीं बनाया बल्कि आतंकियों को लगभग पूरा साफ़ कर दिया है यहां.
घुसपैठ लगभग समाप्त हो गई है
पहली बार ऐसा देखा जा रहा है जब कश्मीर घाटी में आतंक के समर्थन का तंत्र पूरी तरह ध्वस्त हो गया है. और तो और अब यहां बुरहानी वानी जाया कोई दूसरा आतंकी पोस्टर ब्वॉय भी जीवित नहीं बचा है. न केवल सुरक्षा बलों को पाकिस्तान से आतंकी घुसपैठ रोकने में सफलता मिली है, बल्कि उन्होंने घाटी में हथियारों और पैसे की सप्लाई चैन को भी तोड़ने में लगभग पूरी कामयाबी हासिल कर ली है.
धारा तीन सौ सत्तर के खात्मे के सुपरिणाम
घाटी में आतंक का समूल नाश करने का मूल श्रेय मोदी सरकार के साहस को ही जाता है जिसने इस चुनौतीपूर्ण लक्ष्य को सफलतापूर्वक हासिल कर लिया. आज अनुच्छेद 370 हटने के बाद कश्मीर प्रदेश प्रशासनिक रूप से पूरी तरह भारत के तौर-तरीकों में घुल-मिल चुका है. कश्मीरी में अब विकास की चर्चा और उसकी गहरी चाहत लोगों की बातों में अक्सर दिखाई देती है. इतनी ही बड़ी कामयाबी यहां ये भी है कि तीस वर्षों में प्रथम बार जम्मू-कश्मीर में आतंकियों का लगभग सफाया हो चुका है.
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