जानिए, उस दवा की पूरी जानकारी, जिसके लिए अमेरिका भारत के पीछे पड़ा है

कोरोना ने सारी दुनिया क हाथ-पैर बांध कर उन्हें ताले में बंद कर रखा है. ऐसे में भारत में सालों से प्रयोग हो रही एक दवा hydroxy chloroquine (हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन) ने उम्मीद बांधी है कि वह कोरोना वायरस का सामना कर सकती है. और अब इस दवा के लिए दुनिया हाथ फैलाए खड़ी है. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Apr 7, 2020, 09:21 PM IST
    • भारत ने hydroxychloroquine का आउटपुट बढ़ा दिया है. कुछ दिन पहले ही उसे उन सामानों की लिस्‍ट में जोड़ा गया था जिनका एक्‍सपोर्ट नहीं किया जा सकता.
    • hydroxy chloroquine के सेवन से सिरदर्द, चक्कर, भूख कम, पेट दर्द, उल्टी और त्वचा पर लाल चकत्ते पड़ सकते हैं.
जानिए, उस दवा की पूरी जानकारी, जिसके लिए अमेरिका भारत के पीछे पड़ा है

नई दिल्‍लीः कोरोना संकट के बीच पिछले दिनों भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने कोरोना वायरस के उपचार के लिए हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन के उपयोग का सुझाव दिया था. इसके बाद अचानक सभी का इस दवा पर ध्यान गया था. परिषद की ओर से कहा गया था कि इस दवा का इस्तेमाल संक्रमित और संदिग्ध दोनों ही परिस्थितियों में किया जा सकता है.

अमेरिका भी इस दवा की भारत से मांग कर रहा है. आखिर क्या है ऐसा इस दवा में ऐसा, जानते हैं विस्तार से-

दवा नहीं, उम्मीद की एक किरण है 
कोरोना ने सारी दुनिया क हाथ-पैर बांध कर उन्हें ताले में बंद कर रखा है. कहीं से कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है. चिकित्सा विज्ञान समझ ही नहीं पा रहा है कि आखिर किस फार्मूले से इस वायरस को काबू किया जाए. प्रयोग-अनुसंधान जारी है, लेकिन नतीजा अभी तक सामने नहीं आया है.

ऐसे में भारत में सालों से प्रयोग हो रही एक दवा hydroxy chloroquine (हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन) ने उम्मीद बांधी है कि वह कोरोना वायरस का सामना कर सकती है. और अब इस दवा के लिए दुनिया हाथ फैलाए खड़ी है. 

मलेरिया की दवा है
जिस दवा ने भारत को ऐसे शीर्ष पर ला पहुंचाया है, वह दवा मलेरिया की है. भारत हर साल सीजन में मलेरिया का सामना करता है. यह दवा मलेरिया के रोगियों को दी जाती है. इसके अलावा आर्थराइटिस में भी इसका प्रयोग किया जाता है.

परिषद ने कहा था कि इस दवा का प्रयोग कोविड-19 में संक्रमित और संदिग्ध दोनों ही मामलों में किया दा सकता है. अमेरिका में भी कोरोना वायरस के उपचार के मामले मे हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन देकर देखी गई तो इसके परिणाम सकारात्मक आए, तभी से अमेरिका इसकी मांग कर रहा है. 

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भारत से ही मांग पर जोर क्यों है
इस दवा को लेकर भारत से बढ़ी मांग को लेकर भी बड़ी वजह है. दरअसल भारत इसका बड़ा उत्पादक देश है. भारत में हर साल मलेरिया के मरीज सामने आते हैं. इसके अलावा दवा का आर्थराइटिस और ल्यूपस जैसी बीमारियों में इस्तेमाल होने के कारण उत्पादन और अधिक है.

दुनियाभर में भारत ही इस दवा को 70 फीसदी सप्लाई करता है. IPA (इंडियन फार्मास्‍यूटिकल अलायंस) के मुताबिक भारत के पास इस दवा को बनाने की क्षमता इतनी है कि वह 30 दिन में 40 टन दवा बनाई जा सकती है. इसलिए भारत से विश्व भर में इसकी मांग की जा रही है. अमेरिका भी इसलिए भारत से इस दवा की मांग कर रहा है.

भारत ने बढ़ाया आउटपुट
भारत ने hydroxychloroquine का आउटपुट बढ़ा दिया है. कुछ दिन पहले ही उसे उन सामानों की लिस्‍ट में जोड़ा गया था जिनका एक्‍सपोर्ट नहीं किया जा सकता. सरकार अभी इस बात का पता लगा रही है कि COVID-19 से निपटने में कितनी दवा भारत में लेगी.

हालांकि, अमेरिका की गुजारिश पर निर्यात पर लगा बैन हटा दिया गया है. 

इसके साइड इफेक्ट भी हैं
यह स्पष्ट है कि दवा कोरोना की नहीं मलेरिया की है. केवल इससे रोकथाम में कुछ उम्मीद नजर आई है. इस दवा के कई साइड इफेक्ट भी हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी इस बारे में चेताया है. hydroxy chloroquine के सेवन से सिरदर्द, चक्कर, भूख कम, पेट दर्द, उल्टी और त्वचा पर लाल चकत्ते पड़ सकते हैं.

ओवर डोज से रोगी बेहोश भी हो सकता है. खैर, जब तक कोरोना की दवा नहीं खोज ली जाती तब तक महामारी से युद्ध में यही दवा सही. 

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