नई दिल्लीः दुनिया के साथ-साथ सारा देश कोरोना की चपेट में है और केंद्र व राज्य सरकार सख्ती से इससे निपटने में लगी हुई हैं. इसके लिए लोगों को जागरुक किया जा रहा है और सतर्क रहने के लिए अपील भी की जा रही है. देशभर में तालाबंदी जैसा माहौल है और कहीं न कहीं हर मन में डर समाया हुआ है. इसके बावजूद हम भारतीयों का जो मिजाज है, उसे देखकर इस पंक्ति कि कुछ बात ऐसी है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी को बोल्ड और कैपिटल में फील करते हुए बोलने का मन करता है.
आखिर ऐसा क्यों कह रहे हैं
ऐसा इसलिए कह रहे हैं कि दुनिया जिस आलम में दहशत वाले मोड में चली गई है, वहां भी हम जिंदादिली से मौज काट रहे हैं. ठीक है कि कुछ दिन क्रिकेट मैच नहीं, घूमना-फिरना नहीं, अर्थव्यवस्था की चिंता भी है, लेकिन अब जो स्थिति है उसे तो स्वीकार करना ही होगा. तो हमने इसे स्वीकार किया है और जीवन के इस बेरंग को भी रंगीन बना ले रहे हैं. कोरोना जानता नहीं है कि वह किस देश में आया है? यह भारत है जहां मृत्यु भी उत्सव है, गान है.
सोशल मीडिया देख आइए, जिंदादिली की नदियां बह रही हैं
कोरोना भले ही चीन से निकला हो और पूरी दुनिया के सफर से होकर भारत आया होगा, लेकिन यहां आकर वह बुरी तरह फंस गया है. वह तो यहां अभी केवल 127 लोगों को चपेट में ले पाया है, लेकिन सोशल मीडिया यूजर ने कोरोना का जमकर कचूमर निकाला है. कवियों ने कविताएं लिख डाली हैं, लेखकों ने व्यंग्य रच डाले हैं, गीतकारों ने गीत बना लिए हैं, बॉलिवुड ने तो दो-दो फिल्में रजिस्टर्ड करा ली हैं.
इन सबसे कोरोना बच कर निकला ही था तो मीम बनाने वालों के हत्थे चढ़ गया, फिर देखिए कोरोना की कैसी शामत आई, डालते हैं एक नजर-
जब आशिक की गलियों से निकला कोरोना
कोरोना से सबसे बड़ी गलती हुई कि वह आशिक की गली गुजर गया. जैसे ही उसने मुहब्बत की इस गली में पैर रखा कि निकम्मा हो गया बेचारा, वरना खुदको तो बड़ा काम का समझता था. एक आशिक की जैसे ही कोरोना पर नजर पड़ी, बोल बैठा-
ये कोरोना तो बस कुछ दिनों की बात है,
इश्क तो सदियों से लाइलाज है.
बस एक बार शायरी की झड़ी क्या लगी, बरसात होने लगी. भीग ही गया ये मुआं वायरस. दूसरे आशिक ने तपाक से जवाब दिया.
उसकी चपेट में थे मोहल्ले के सारे लड़के
वो लड़की भी कोई कोरोना से कम न थी.
निठल्लों के बीच जाना तो और महंगा पड़ गया
आशिक की गली से निकल कोरोना ने सोचा कि निठल्लों की गली चलते हैं. उन्हें तो ऐसे भी कोई काम नहीं, खाली बैठे रहते हैं. बस यहीं गलती कर गया वायरस. यहां उसकी जो भद्द पिटी, बेचारा मुंह दिखाने के काबिल नहीं रहा. एक घर के सामने से गुजरा तो कुछ यूं आवाज आई,
इसी बीच मच्छर ने अपने बेटे से कहा, कोरोना का कोर्स कर पगले, इसमें करियर है.
निठल्लों के बीच भी शायर कम नहीं बैठे थे. एक ने छींकते-खांसते फरमाया
बड़ी तन्हा-बेपरवाह से गुजर रही थी जिंदगी गालिब
अब छींक भी आ जाए तो दुनिया गौर से देखती है.
हंसने-हसाने वाले यहीं नहीं रुके, उन सारे मसलों को भी लपेट लिया जो हमेशा वाद-विवाद के हिस्से में रहे हैं. एक विचारक टाइप विदूषक ने बड़ा मासूम सवाल किया. ये कोरोना नमस्कार करवा रहा है, दाढ़ी कटवा रहा है. शाकाहारी बनवा रहा है. अग्निसंस्कार करा रहा है. तो कोरोना को संघी घोषित कर दें, या थोड़ा और इंतजार कर लें. इतना सुनकर कोरोना में बिल्कुल हिम्मत नहीं बची. कहां तो वह खुद को माओ के देश का आया समझ रहा था, और कहां ये भारतीय ने उसे भी आर्य घोषित कराने पर तुले हैं.
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मायानगरी पहुंच गया वायरस, लेकिन बच्चन ने रगड़ दिया
कोरोना ने सोचा, यहां से निकलो मायानगरी चलते हैं. वहां चमक-धमक है. आलिया-दीपिका-करीना हैं, शाहरुख-सलमान-आमिर हैं. अपनी जगह उन बड़े लोगों के बीच में हैं. लेकिन बेचारे का ये प्लान भी फिसड्डी निकला. यहां घुसते ही वह सदी के महानायक बच्चन के चंगुल में आ गया. फिर तो बच्चन की अवधी कविता में वह ऐसा ढिमलाया कि चकरा कर गिर ही पड़ा. बच्चन की कविता आप यहां सुनिए.
T 3468 - Concerned about the COVID 19 .. just doodled some lines .. in verse .. please stay safe .. pic.twitter.com/80idolmkRZ
— Amitabh Bachchan (@SrBachchan) March 12, 2020
यहां से दुम दबा कर भागा ये वायरस शाहरुख के फैन के पंजे में फंस गया. उसने इन पंजों सेनेटाइजर से धोकर गिटार पर रख दिया और जमकर रगड़ दिया. इस लड़के ने शाहरुख की फिल्म का गाना उठाया, 'चलते चलते' फिल्म के गाने 'सुनो ना सुनो ना सुन लो ना' की धुन पर खुद का लिखा कोरोना कोरोना गा दिया.
https://www.facebook.com/tjgambhir57/videos/505145627057723/
फिर जब अपने फेसबुक पर पोस्ट किया तो दुनिया दिवानी हो गई है कोरोना गिटार पर दम तोड़ गया.
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बस यही जिंदादिली हराएगी कोरोना को
खैर यह तो रही मजाक की बात, लेकिन सत्य इस मजाक से परे नहीं है. वैसे भी वेदों का ज्ञान जितना धीरता-गंभीरता को तवज्जो देता है उतना ही हास्य को महत्व देता है. श्रीकृष्ण ने अपने एक शत्रु को तो केवल हंस-हंसकर हरा दिया था, जबकि भीम-अर्जुन जैसे योद्धा हार गया था. इस अनुभव के बाद ही कृष्ण गीता के ज्ञान में आत्मा को अजर-अमर बता पाए थे और मृत्यु को नए जीवन का मार्ग. जो कि तय है.
निश्चित है. महादेव के इस देश में जहां श्मशान भी उत्सव भूमि है वहां मृत्यु का भी क्या डर. वैसे भी इच्छामृत्यु के वरदान वाले देश को कोरोना क्या मिटा पाएगा. केवल सचेत रहिए, सतर्क रहिए और खुश रहिए.