जन्मदिन विशेष: राजनीतिक सुख भोगने के लिए अपनी ही बात से पलट गईं प्रियंका गांधी

राजनीति एक जंग है, साम दाम दंड भेद की नीति ही सबसे बड़ा हथियार होती है. कहते हैं कि जंग और इश्क में सबकुछ जायज है, तभी तो प्रियंका गांधी वाड्रा ने सियासत का सुख भोगने की चाहत में अपनी बात से ही पलट गईं और उन्होंने एक बड़ा कदम उठा लिया.

Written by - Ayush Sinha | Last Updated : Jan 12, 2021, 04:52 AM IST
  • प्रियंका की बातों पर कोई भरोसा कैसे करे?
  • अपनी बात से पलटने में माहिर हैं 'मैडम'
  • ..और 13 साल की उम्र में ही इश्क कर बैठीं
जन्मदिन विशेष: राजनीतिक सुख भोगने के लिए अपनी ही बात से पलट गईं प्रियंका गांधी

कांग्रेस की डूबती नैया को पार लगाने के लिए जिस प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपनी जुबान से पलटी मार ली, उनका आज जन्मदिन है. गांधी परिवार की महारानी प्रियंका ने अपने परिवार की सबसे बड़ी धरोहर 'कांग्रेस' पार्टी को मुश्किल वक्त से निकालने के लिए अपनी सारे बड़े-बड़े दावे, प्रण, उसूल को दरकिनार कर दिया. प्रियंका ने उन सारी बातों को पल भर में भुला दिया, जिसे वो सालों तक दोहराती रहीं. जिस राजनीति के बाहर रहकर प्रियंका सेवा करने की बात कहती थी, वही प्रियंका उस वक्त राजनीति में कूद पड़ीं जब कांग्रेस की हालत सबसे ज्यादा डांवाडोल हो गई.

कांग्रेस को बचाने के लिए प्रियंका का दांव

प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) के बारे में किसी ने कल्पना भी नहीं की थी कि वो कभी राजनीति में इतनी गर्मजोशी के साथ एंट्री करेंगी. प्रियंका की निगाहें इस वक्त सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश पर हैं. ऐसा लग रहा है कि प्रियंका के सियासी सफर का पहले पड़ाव यूपी ही है, तभी तो वो उत्तर प्रदेश की राजनीति में सबसे ज्यादा सक्रिय भूमिका अदा करती हैं. लेकिन आज भी हर कोई इस असमंजस में है कि प्रियंका ने आखिर राजनीति में एंट्री क्यों की है?

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वर्ष 1999 की बात है, जब चुनाव अभियान के दौरान एक इंटरव्यू में प्रियंका ने ये साफ-साफ शब्दों में कहा था कि उन्हें राजनीति में उतरने की कोई चाहत नहीं है और ना ही वो सियासत में अपनी किस्मत आजमाएंगी. उस वक्त उन्होंने ये कहा था कि 'मेरे दिमाग में यह बात बिलकुल स्पष्ट है कि राजनीति शक्तिशाली नहीं है, बल्कि जनता अधिक महत्वपूर्ण है और मैं उनकी सेवा राजनीति से बाहर रहकर भी कर सकती हूं.' राजनीति में उतरने को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में प्रियंका ने कहा था कि मैं यह बात हजारों बार दोहरा चुकी हूं कि मैं राजनीति में जाने की इच्छुक नहीं हूं.

अपनी ही बात से पलट गईं प्रियंका

आखिरकार प्रियंका ने सालों बाद अपने बात से पलटी मार ही ली और लोकसभा चुनाव 2019 से कुछ समय पहले सियासत में उतर गईं. भला राजनीति ने दूरी बरतने वाली प्रियंका ने कैसे सियासत का ही अपना सफर चुन लिया? इस सवाल का जवाब पूरा देश जानता है. वर्ष 2014 के बाद से कांग्रेस (Congress) पार्टी ऐतिहासिक हार का सामना कर रही है, पार्टी के भीतर और देश में पार्टी को लेकर कलेश मचा हुआ है. कांग्रेस के नाम से सिर्फ एक ही ख्याल जेहन में आता है और वो है गांधी परिवार.. ऐसे में कांग्रेस की डूबती नैया को पार लगाने के लिए कई सारे दांव खेले गए, लेकिन पार्टी की हालत बद से बदतर होती जा रही थी, ऐसे में प्रियंका ने सोचा कि अपनी दादी की छवि का सहारा लेकर खुद के जरिए हर मोर्चे पर फेल हो रही कांग्रेस को इस मुश्किल दौर से निकाला जाए. खैर..

प्रियंका गांधी वाड्रा ने सियासत में एंट्री की तो कांग्रेस पार्टी और तेजी से बिखरने लगी. ऐसे में ये सवाल उठना लाजमी है कि आखिर कांग्रेस की ऐसी टूटती-फूटती हालत का असल जिम्मेदार कौन है? कांग्रेस की बर्बादी का कारण में राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के साथ-साथ अब प्रियंका का भी नाम जुड़ता दिख रहा है.

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प्रियंका गांधी वाड्रा की एंट्री के बाद से मानो कांग्रेस की बर्बादी का अध्याय शुरू हो गया. कई मेहनती और जमीनी नेताओं को दरकिनार किया जाने लगा. दिग्गज नेताओं की तो मानिए शामत ही आ गई. पार्टी भले ही बिखरने लगी हो, लेकिन कांग्रेस की बागडोर सिर्फ परिवार के सदस्यों के हाथों में ही होती है. मतलब साफ है राहुल गांधी की विफलता के बाद प्रियंका का सियासत में एंट्री करना सबसे बड़ा एक्सपेरिमेंट है. जिसकी सबसे बड़ी परीक्षा अगले वर्ष होने वाले उत्तर प्रदेश चुनाव में होगी.

13 साल की उम्र में प्यार कर बैठी प्रियंका

वर्ष 1997 की बात है, जब गांधी परिवार (Gandhi Family) की बेटी प्रियंका गांधी वाड्रा ने शादी करने का फैसला किया. कहा जाता है कि प्रियंका और रॉबर्ट वाड्रा की मुलाकात देश की राजधानी दिल्ली (Delhi) में एक कॉमन दोस्त के घर पर हुई थी. प्रियंका की लव स्टोरी वाकई काफी दिलचस्प है. वो जब 13 साल की थीं, तभी उन्होंने स्कूल में पढ़ाई करते वक्त रॉबर्ट को देखा था. पहली नजर में जादू चल गया और दोनों इश्क में पड़ गए. रॉबर्ट काफी डरते थे, क्योंकि वो देश के सबसे बड़े राजनीतिक परिवार की बेटी थी. लेकिन आखिरकार प्रियंका को रॉबर्ट ने प्रपोज कर ही दिया. बात आगे बढ़ती गई और फिर उन दोनों का रिश्ता शादी में तब्दील हो गया.

प्रियंका को किसने बताया अपनी पत्नी

प्रियंका गांधी वाड्रा और रॉबर्ट वाड्रा (Robert Vadra) की शादी को लेकर विवाद भी हो चुका है. एक अजीबो-गरीब बात उस वक्त सामने आई थी, जब एक शख्स ने कोर्ट में याचिका दायर करके दावा किया था कि प्रियंका मेरी पत्नी हैं और कानूनी रूप से शादी की है. उस शख्स ने ये मांग भी की थी कि प्रियंका और रॉबर्ट की शादी को रोका जाए. हालांकि अदालत ने इस याचिका को खारिज कर दिया था.

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12 जनवरी 1972 को जन्मी प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपनी स्कूली पढ़ाई मॉर्डन स्कूल से की और दिल्ली यूनिवर्सिटी (Delhi University) के जीसस एंड मैरी कॉलेज से उन्होंने मनोविज्ञान की पढ़ाई की है. प्रियंका गांधी को दो बच्चे हैं, एक बेटा और एक बेटी. बेटे का नाम रेहान वाड्रा और बेटी का नाम मिराया वाड्रा है. देखने वाली बात ये होगी कि जिस राजनीतिक सुख को भोगने के लिए अपनी ही बात से प्रियंका गांधी पलट गई हैं, क्या वो इस लक्ष्य को हासिल कर पाती हैं?

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