बसंत पंचमी के दिन पीले कपड़े क्यों पहनते हैं?

मान्यता है कि बसंत पंचमी (Basant Panchami 2021) के दिन पीले कपड़े पहने जाते हैं. पीला कपड़ा पहनना एक तरह से प्रकृति के साथ एक हो जाना या उसमें मिल जाने का प्रतीक है. यह बताता है कि हम प्रकृति से अलग नहीं है. जैसी प्रकृति वैसे ही हम भी हैं. आध्यात्म के नजरिए से देखें तो पीला रंग प्राथमिकता को भी दर्शाता है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Feb 5, 2021, 03:41 PM IST
  • पीला रंग मानसिक-शारीरिक स्वास्थ्य को मजबूत बनाता है
  • सकारात्मक लाने वाला, जड़ता को दूर करने वाला है पीला रंग
बसंत पंचमी के दिन पीले कपड़े क्यों पहनते हैं?

नई दिल्लीः जब वासंती रुत बहार बनकर छाती है तो प्रकृति को देखकर ऐसा लगता है कि उसने पीली चुनरी ओढ़ ली है. उगने वाले सूरज की पीली किरणों के कारण क्षितिज तक पीला रंग फैल जाता है. खेत सरसों के पीले फूलों से भरे होते हैं तो पेड़ों पर पनपने वाली नई कोपलें भी पीलापन लिए अभी सिर उठा रही हैं.

प्रकृति का यह पीलापन चेतना की ओर लौटने का संकेत होता है. यह बताता है कि सर्दी के मौसम के कारण जिस तरह समय ठहरा हुआ सा या धुंध भरा लग रहा था, अब वह आगे बढ़ रहा है और परिवर्तन ला रहा है. परिवर्तन के रंग में रंगी धरती इसी दौरान बसंत पंचमी (Basant Panchami) मनाती है. 

बसंत पंचमी के दिन क्यों पहनते हैं पीले कपड़े
मान्यता है कि बसंत पंचमी (Basant Panchami Significance) के दिन पीले कपड़े पहने जाते हैं. पीला कपड़ा पहनना एक तरह से प्रकृति के साथ एक हो जाना या उसमें मिल जाने का प्रतीक है. यह बताता है कि हम प्रकृति से अलग नहीं है. जैसी प्रकृति वैसे ही हम भी हैं. आध्यात्म के नजरिए से देखें तो पीला रंग प्राथमिकता को भी दर्शाता है.

कहते हैं कि जब ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई थी तब तीन ही प्रकाश की आभा थी. लाल-पीली और नीली. इनमें से पीली आभा सबसे पहले दिखी. (हालांकि ब्रह्मांड की उत्पत्ति किसने देखी?) आध्यात्म के इसी नजरिए को सम्मान देते हुए बसंत पंचमी को पीले कपड़े पहने जाते हैं. यह खुशनुमा अहसास देता है, नएपन को महसूस कराता है. सकारात्मकता लाता है, जड़ता को दूर करता है. इसलिए पीला रंग बसंत की मांग बन जाता है. पीला रंग हमारे स्नायु तंत्र को संतुलित और मस्तिष्क को सक्रिय रखता है. इस तरह यह ज्ञान का रंग भी बन जाता है. ज्ञान की देवी सरस्वती के विशेष दिन इसलिए पीले वस्त्र पहनते हैं. 

चिकित्सा विज्ञान भी मानता है पीले को शुभ
चिकित्सा विज्ञान मानता है कि रंगों का हर किसी के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर सबसे पहला प्रभाव पड़ता है. अगर आप किसी तनाव भरे माहौल या बहुत व्यस्त शेड्यूल से निकल कर आ रहे हैं तो पीला रंग आपको स्फूर्ति दे सकता है. पीला रंग जोश, ऊर्जा एवं उत्साह का प्रतीक है. रंग चिकित्सा के जानकार कहते हैं कि ऑफिस प्लेस पर पीले फूलों वाले पौधे रखने चाहिए. आप अपनी टेबल पर भी पीले फूल रख सकते हैं. घर में आप किचन में भी इस रंग का प्रयोग कर सकते हैं. गहरे रंग जोश, ऊर्जा और सकारात्मकता देते हैं, हल्के रंग शांत रखते हैं. पीला रंग हल्का भी है और गहरा भी.

यह आपके मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत बनाता है. पीले रंग के उपयोग से रक्त में लाल और श्वेत कणिकाओं का विकास होता है. पीला रंग रक्त संचार भी बढ़ाता है.  सूजन, टॉन्सिल, मियादी बुखार, नाड़ी शूल, अपच, उल्टी, पीलिया, खूनी बवासीर, अनिद्रा और काली खांसी को दूर करने में पीला रंग लाभदायक है. इसका सबसे सटीक उदाहरण है हल्दी. 

मांगलिक कार्य में पीला रंग प्रमुख है. यह भगवान विष्णु के वस्त्रों का रंग है. पूजा-पाठ में पीला रंग शुभ माना जाता है. केसरिया या पीला रंग सूर्यदेव, मंगल और बृहस्पति जैसे ग्रहों का कारक है और उन्हें बलवान बनाता है. इससे राशियों पर भी प्रभाव पड़ता है. पीला रंग आपकी खुशी का प्रतीक है तो इस बसंत पंचमी (Basant Panchami) रंग जाइए पीले रंग में.

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