Makar Sankranti पर हुआ Haridwar Mahakumbh का आगाज, स्नान के लिए पहुंचे श्रद्धालु

हरिद्वार और ऋषिकेश उत्तराखंड में दो स्थान हैं, जहां देवताओं के साथ महादेव और महाविष्णु दोनों का निवास है. मकर संक्रांति पर लोगों ने गंगा मां की धारा में पुण्य की डुबकी लगाई.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jan 14, 2021, 10:16 AM IST
  • जनश्रुति के अनुसार भगवान राम ने वनवास का एक हिस्सा हरिद्वार में बिताया था
  • मकर संक्रांति पर आकर लोग स्नान कर शिव और सूर्य की आराधना करते हैं
Makar Sankranti पर हुआ Haridwar Mahakumbh का आगाज, स्नान के लिए पहुंचे श्रद्धालु

नई दिल्लीः Haridwar Mahakumbh 2021 का शुभारंभ मकर संक्रांति के साथ हो गया. इसी के साथ लोगों ने गंगा मां की धारा में पुण्य की डुबकी लगाई. कुंभ का स्वरूप इस बार बदला हुआ दिखेगा, जिसकी बानगी मकर संक्रांति के स्नान के साथ दिखाई दी.

Corona काल के चलते लोगों की संख्या में कमी रही, लेकिन आगे आने वाले शाही स्नान के मौके पर भीड़ जुट सकती है. ग्रहों की गति के कारण योग ऐसा बना है कि इस बार Haridwar Mahakumbh 12 के बजाए 11वें साल में पड़ रहा है. यह 83 साल बाद पहली बार है कि 12 साल से कम समय में कुंभ का योग बना है.

लोगों ने किया गंगा स्नान
मकर संक्रांति के पावन मौके पर हरकी पैड़ी सहित हरिद्वार गंगा तीर के सभी स्नान घाटों पर ब्रह्म मुहूर्त से स्नान का क्रम शुरू हो गया. श्रद्धालु मुंह अंधेरे ही पहुंचने लगे थे. Covid Guideline के चलते इस बार कम ही श्रद्धालु कुंभ पहुंचे, लेकिन लगभग यही स्थिति आगे के दिनों में भी दिखाई देगी.

श्रद्धालु सुबह से ही गंगा स्नान के लिए स्नान घाटों पर पहुंचने लगे और हर हर गंगे जय मां गंगे के जय घोष के साथ मकर संक्रांति पर्व का पुण्य प्राप्त करने को गंगा में डुबकी लगाने लगे. मकर राशि में सूर्य के प्रवेश के मौके पर  तकरीबन लाखों की संख्या तक में श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना है. पांच लाख तक लोग पहुंच सकते हैं. मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में चलते हैं और इसे ही सूर्य की मकर संक्रांति कहा जाता है. स्नान के लिए व्यवस्था की गई है.  

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इसलिए मकर संक्रांति पर हरिद्वार पहुंचते हैं श्रद्धालु
हरिद्वार और ऋषिकेश उत्तराखंड में दो स्थान हैं, जहां देवताओं के साथ महादेव और महाविष्णु दोनों का निवास है. जहां ऋषिकेश के लिए कहा जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान निकला विष शिव ने इसी स्थान पर पिया था.

विष पीने के बाद उनका गला नीला पड़ गया और उन्हें नीलकंठ के नाम से जाना गया. इसी कारण मकर संक्रांति के मौके पर आकर लोग स्नान कर शिव और सूर्य की आराधना कराते हैं. महादेव को गंगाजल चढ़ाते हैं. ताकि विष का प्रभाव कुछ कम हो. 

हरिद्वार से जुड़ीं कई कथाएं
जनश्रुति के अनुसार भगवान राम ने वनवास का एक हिस्सा यहां भी बिताया था. हरिद्वार के आस-पास के जंगलों में उनके प्रवास की कई कथाएं यहां मौजूद हैं. एक और मौके पर जब वे यहां आए तब गंगा पार करने का कोई साधन नहीं था. ऐसे में उनके भाई लक्ष्मण ने रस्सियों से पुल बनाया था. 

रस्सी से बना लक्ष्मण झूला इसका प्रमाण माना जाता है. पौराणिक आधार पर कहा जाता है कि एक ऋषि रैभ्य ने यहां ईश्वर के दर्शन के लिए कठोर तपस्या की थी. उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान हृषीकेश के रूप में प्रकट हुए. तब से इस स्थान को ऋषिकेश नाम मिला. 

भगवान विष्णु के घर का द्वार है हरिद्वार
हरिद्वार मैदानी भाग का अंतिम स्थल है. इसके बाद आगे महाविष्णु का घर है. इसे वैकुंठ का द्वार भी कहते हैं. इसलिए मकर संक्रांति के मौके पर लोग आकर हरिद्वार में खुद को शुद्ध करते हैं. इसके बाद जब आगे चारधाम यात्रा का मार्ग खुलता है तब वे आगे बढ़ते हैं.

सूर्य के राशि परिवर्तन के साथ आध्यात्म के नए युग की शुरुआत होती है. कुंभ के दौरान मकर संक्रांति इसी का परिचय देती है. 

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