नई दिल्लीः हरि अनंत हरि कथा अनंता. गोस्वामी तुलसीदास के इस कथन को श्रीहरि विष्णु सृष्टि के प्रारंभ से सत्य सिद्ध करते आ रहे हैं. सृष्टि निर्माण के साथ ही उसके पालन-पोषण की जिम्मेदारी खुद भगवान ने अपने हाथों में उठा रखी है और इसी दायित्व का निर्वाह करते हुए वह कभी मत्स्य बन जाते हैं,
कभी कूर्म तो कभी हंस. कभी नृसिंह बनकर दुष्ट दलन करते हैं, परशुराम बनकर क्रोध करते हैं तो राम और कृष्ण का अवतार लेकर दीनों को हृदय से लगा लेते हैं.
भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी है सौभाग्य शाली
श्रीहरि का यही स्वरूप अनंत कहलाता है, देवर्षि नारद ने जब प्रभु के विस्तृत स्वरूप के वर्णन की इच्छा व्यक्त की तो श्रीभगवान द्वारा अपने स्वरूप का विस्तार उन्हें दिखाया गया, जिससे नारद को श्री सच्चिदानंद सत्यनारायण स्वरूप का ज्ञान हो गया.
भाद्रपाद मास की शुक्लपक्ष की चतुर्दशी तिथि श्रीहरि के उसी अविनाशी और अनंत स्वरूप के प्रति आभार प्रकट करने का दिन है. इसे अनंत चतुर्दशी के तौर पर मान्यता दी जाती है. अनंत चतुर्दशी इस बार 1 सितंबर को है.
14 भुवनों की हुई थी रचना
पौराणिक मान्यताओं के आधार पर वर्णित है कि महाभारत काल से अनंत चतुर्दशी व्रत की शुरुआत हुई. यह भगवान विष्णु का दिन माना जाता है. अनंत भगवान ने सृष्टि के आरंभ में चौदह लोकों की रचना की थी. इनमें तल, अतल, वितल, सुतल, तलातल, रसातल, पाताल, भू, भुवः, स्वः, जन, तप, सत्य, मह शामिल हैं. इन लोकों की रचना करने के बाद इनके संरक्षण व पालन के लिए श्रीहरि को 14 नामों से भी पुकारा भी गया.
दक्षिण भारत में मनाते हैं ओणम
14 प्रमुख स्वरूपों और कई चराचर जीवों के रूप में प्रकट होने के कारण श्रीविष्णु अनंत कहलाए और चतुर्दशी की यह तिथि अनंत कहलाई. उत्तर भारत के राज्यों में इसकी बहुत मान्यता है. वहीं दक्षिण भारत में इसी समय पांच दिन तक ओणम का पर्व मनाया जाता है.
जिनमें परिवर्तनी एकादशी, वामन द्वादशी, त्रयोदशी, अनंत चतुर्दशी और पूर्णिमा शामिल हैं. ओणम पर्व राजा बलि की दानवीरता और श्रीहरि के वामन अवतार में अनंत स्वरूप को स्मरण करने का दिन है.
इसलिए बांधे जाते हैं अनंता
श्रीहरि के स्वरूप से सदैव अपनी निकटता के लिए श्रद्धालु अनंत चतुर्दशी के दिन अनंता धागा बांधते हैं. 14 गांठ वाले इस पीले धागे को अनंत स्वरूप ही माना जाता है.
जिसे माताएं अपनी संतानों को बांधती हैं. स्त्री-पुरुष दंपती अनुष्ठान-पूजन कर ब्राह्मण आचार्य से भी इसका बंधन कराते हैं.
14 लोकों की प्रतीक हैं अनंत की 14 गांठें
पुरुष दाएं तथा स्त्रियां बाएं हाथ में अनंत धारण करती हैं. अनंत राखी के समान रुई या रेशम के कुंकू रंग में रंगे धागे होते हैं और उनमें चौदह गांठ होती हैं. इन्हीं धागों से अनंत का निर्माण होता है. श्रीहरि की पूजा करके तथा अपने हाथ के ऊपरी भाग में या गले में धागा बांध कर या लटका कर (जिस पर कोई भी पवित्र विष्णु मंत्र पढ़ा गया हो) व्रती अनंत व्रत को पूर्ण करता है.
यदि हरि अनंत हैं तो 14 गांठ हरि द्वारा उत्पन्न 14 लोकों की प्रतीक हैं. यह धर्म के 10 लक्षणों और चार युगों की भी प्रतीक है.
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