वृंदावनः उत्तर प्रदेश के CM Yogi रविवार को वृंदावन पहुंचे हैं. यहां वह Haridwar Mahakumbh से पहले ब्रज भूमि पर कुंभ बैठक मेले का शुभारंभ कर रहे हैं. यह मेला 40 दिन तक चलेगा. इसकी छटा Mahakumbh जैसी ही आकर्षण का केंद्र रही है साथ ही वैष्णन संतों का जमावड़ा यहां की विशेषता रही है.
वृंदावन में यमुना नदी किनारे यह धार्मिक आयोजन उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद करा रहा है. वृंदावन कुंभ बैठक मेले में देशभर से हजारों साधु-संत शामिल होंगे. इसके लिए राज्य सरकार ने भव्य व्यवस्थाएं की हैं.
क्या आपको पता है वृंदावन कुंभ के बारे में?
CM Yogi के इस आयोजन में पहुंचने से पहले इस बारे में लोगों की दिलचस्पी बढ़ रही है कि आखिर वृंदावन में कौन सा कुंभ लगता है.
दरअसल Kumbh आयोजन के लिए चार स्थान हरिद्वार, प्रयाग, उज्जैन और नासिक निर्धारित हैं. ऐसे में वृंदावन कुंभ के बारे में लोगों को कम जानकारी है.
दिव्य कुंभ कहलाता है आयोजन
इसे दिव्य कुंभ या वैष्णव कुंभ भी कहते हैं. संत समाज बताते हैं कि यहां Kumbh लगने की परंपरा बहुत पुरानी है. हालांकि ऐतिहासिक तथ्य पर इसकी प्राचीनता की गणना स्पष्ट नहीं है. लेकिन यह दावा किया जाता है है कि औरंगजेब के शासन काल में जब सनातन धर्म के लिए संकटपूर्ण समय था उस समय भी यहां लोगों का समागम यमुना किनारे होता था.
यहीं से Haridwar जाएंगे वैष्णव साधु
Haridwar Mahakumbh में नागा साधु जो कि शैव संप्रदाय से होते हैं, उनका अधिक आधिपत्य रहता है. ऐसे में एक-दो बार वैष्णव साधुओं से उनके बीच मतभेद की बातें भी सामने आती रही हैं.
हालांकि इसे लेकर भ्रम अधिक है. Haridwar में कुंभ लगने से पहले वैष्णव साधक वृंदावन में एकजुट होकर हरिद्वार के लिए रवाना होते थे. यमुना नदी भी गंगा की तरह पवित्र है.
रोचक रहा है इतिहास
हरिद्वार से पहले वृंदावन में आयोजित होने वाले कुंभ मेला बैठक का रोचक इतिहास रहा है. यहां कभी हाथियों के रेले निकला करते थे. इसके अलावा संतो की विशेष सवारियां भी होती थीं. वृंदावन के लिए यह हाथी साधु-संतों के बीच कौतूहल का विषय बनते थे. हालांकि अब यहां हाथी नहीं लाए जाते.
बताते हैं कि 1986 में आयोजित कुंभ में यहां एक हाथी उत्तेजित हो गया था, जिसे बड़ा हादसा हो गया था. सांप-अजगर भी इस मेले का आकर्षण होते थे.
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