CWG 2022: रेसलिंग में कब लागू होता है नॉर्डिक सिस्टम, जानें क्या है ये प्रणाली, विनेश-पूजा का है गोल्ड मुकाबला

बर्मिंघम में खेले जा रहे कॉमनवेल्थ गेम्स में भारतीय पहलवानों ने शानदार आगाज किया और शुक्रवार को 6 पदक जीतकर भारतीय टीम को पदकतालिका में पांचवे पायदान पर पहुंचा दिया है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Aug 6, 2022, 04:47 PM IST
  • रेसलिंग में मिलते हैं 2 ब्रॉन्ज मेडल
  • क्या होता है नॉर्डिक सिस्टम
CWG 2022: रेसलिंग में कब लागू होता है नॉर्डिक सिस्टम, जानें क्या है ये प्रणाली, विनेश-पूजा का है गोल्ड मुकाबला

Commonwealth Games: बर्मिंघम में खेले जा रहे कॉमनवेल्थ गेम्स में भारतीय पहलवानों ने शानदार आगाज किया और शुक्रवार को 6 पदक जीतकर भारतीय टीम को पदकतालिका में पांचवे पायदान पर पहुंचा दिया है. भारत के लिये बजरंग पुनिया, साक्षी मलिक और दीपक पुनिया ने गोल्ड मेडल जीते तो वहीं पर अंशु मलिक को फाइनल में हार के बाद सिल्वर से संतोष करना पड़ा. दिव्य काकरण ने नॉर्डिक सिस्टम से ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया तो वहीं पर मोहित ग्रेवाल भी कांस्य जीतने में कामयाब रहे.

बर्मिंघम खेलों के 9वें दिन एक बार फिर से भारतीय पहलवानों पर पदक की बारिश हो सकती है, जिसमें उसके 6 पहलवान रवि कुमार, दीपक नेहरा, पूजा सिहाग, विनेश फोगाट, पूजा गहलोत और नवीन एक्शन में नजर आयेंगे. इस दौरान विनेश फोगाट और पूजा गहलोत नॉर्डिक सिस्टम के तहत अपनी-अपनी कैटेगरी में पदक जीतने की दावेदारी पेश करेंगी.

रेसलिंग में मिलते हैं 2 ब्रॉन्ज मेडल

ऐसे में सवाल यह है कि आखिर क्या होती है नॉर्डिक प्रणाली और रेसलिंग में इसका इस्तेमाल कब होता है. तो इसका जवाब यह है कि रेसलिंग इकलौता ऐसा खेल है जिसमें खिलाड़ियों के पास दो ब्रॉन्ज मेडल जीतने का मौका होता है. दरअसल रेसलिंग के खेल में खिलाड़ी दो तरह से आगे बढ़ते हैं. पहला वो जनरल सिस्टम होता है जिसके तहत खिलाड़ी जीत हासिल करते हुए क्वार्टर फाइनल, सेमीफाइनल और फाइनल के लिये क्वालिफाई करते हुए गोल्ड हासिल करता है.

इसमें फाइनल जीतने वाले खिलाड़ी को गोल्ड, हारने वाले को सिल्वर और दोनों सेमीफाइनल मैच में हारे हुए प्रतियोगियों के बीच खेले गये मैच के विजेता को ब्रॉन्ज मेडल दिया जाता है. हालांकि ब्रॉन्ज मेडल मैच में हारने वाले खिलाड़ी के पास भी पदक जीतने का मौका बरकरार रहता है.

रेपचेज के तहत जीत सकते हैं दूसरा ब्रॉन्ज

रेसलिंग में इस सिस्टम के साथ ही एक और सिस्टम चल रहा होता है जिसे कहते रेपचेज, इसके तहत ग्रुप मैचों के दौरान हारे हुए खिलाड़ियों को आपस में मैच खेलना होता है और इसमें जीत हासिल करने वाला खिलाड़ी ब्रॉन्ज मेडल मैच में हारे हुए खिलाड़ी के साथ भिड़ता है और जीत हासिल करने वाले खिलाड़ी को दूसरा ब्रॉन्ज मेडल मिल जाता है.

क्या और कब लागू होता है नॉर्डिक सिस्टम

हालांकि नॉर्डिक सिस्टम इससे अलग होता है, यह क्रिकेट के राउंड रोबिन फॉर्मेट की तरह होता है जिसमें हर टीम को विपक्षी टीम के खिलाफ एक मैच खेलना होता है. नॉर्डिक सिस्टम में हर पहलवान को अपने भारवर्ग की कैटेगरी में हर पहलवान के साथ खेलना होता है. इसमें सबसे ज्यादा जीत हासिल करने वाले पहलवानों के आधार पर रैंकिंग की जाती है. 

सबसे ज्यादा जीत हासिल करने वाले को पहला स्थान मिलता है और अगर दो खिलाड़ी समान अंक पर होते हैं तो उनके बीच मैच कराकर विजेता घोषित किया जाता है. यह सिस्टम तब लागू किया जाता है जब उस भार वर्ग में 6 या उससे कम प्रतिद्वंदी भाग ले रहे होते हैं. इस प्रणाली में सिर्फ एक ही ब्रॉन्ज मेडल दिया जाता है.

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