कभी डॉक्टर्स ने दी थी बैडमिंटन छोड़ने की सलाह नहीं तो चलना होगा मुश्किल, अब कॉमनवेल्थ में फहरायेंगे तिरंगा

भारतीय बैडमिंटन के युवा स्टार बी सुमित रेड्डी बर्मिंघम में खेले जाने वाले कॉमनवेल्थ गेम्स की तैयारियों में लगे हुए हैं. कॉमनवेल्थ गेम्स में देश के लिये पदक जीतने का सपना रखने वाले बी सुमित का यहां तक का सफर आसान नहीं रहा है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jul 18, 2022, 05:03 PM IST
  • 20 दिनों तक बिस्तर पर पड़े रहे थे सुमित
  • बर्मिंघम के कॉमनवेल्थ गेम्स का है बेसब्री से इंतजार
कभी डॉक्टर्स ने दी थी बैडमिंटन छोड़ने की सलाह नहीं तो चलना होगा मुश्किल, अब कॉमनवेल्थ में फहरायेंगे तिरंगा

Commonwealth Games 2022 Sumit Reddy Journey: भारतीय बैडमिंटन के युवा स्टार बी सुमित रेड्डी बर्मिंघम में खेले जाने वाले कॉमनवेल्थ गेम्स की तैयारियों में लगे हुए हैं. कॉमनवेल्थ गेम्स में देश के लिये पदक जीतने का सपना रखने वाले बी सुमित का यहां तक का सफर आसान नहीं रहा है. भारत के युवा बैडमिंटन खिलाड़ी बी सुमीत रेड्डी डबल्स में देश के लिये खेलते नजर आते हैं. जब सुमित अपने करियर के शुरुआती दौर में थे तो उनकी रीढ की हड्डी में किसी बीमारी की वजह से तीन सप्ताह बिस्तर पर थे . 

डॉक्टरों ने उन्हें बैडमिंटन छोड़ने के लिये कहा था लेकिन उनका पूरा ध्यान कोर्ट पर वापसी पर लगा था  और अब 2022 में उनका यह सपना सच होता नजर आ रहा है. जहां पर सुमीत ने राष्ट्रमंडल खेलों में भारतीय टीम में जगह बनाई है . वह मिश्रित युगल चयन ट्रायल में अश्विनी पोनप्पा के साथ उतरे और टॉप पर रहे. उन्होंने रिहैबिलिटेशन के लिये फिजियोथेरेपी की और अपने दम पर वापसी की.

20 दिनों तक बिस्तर पर पड़े रहे थे सुमित 

सुमीत ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए कहा ,‘यह 2010- 2011 की बात है . मैं एकल वर्ग में भारत के शीर्ष पांच खिलाड़ियों में था . एक दिन मेरी कमर में तकलीफ हुई और पता चला की मेरूदंड की हड्डियों में ‘एयर बबल गैप’ आ गए हैं .मुझे खेल छोड़ने के लिये कहा गया था .  मैने दस डॉक्टरों से राय ली लेकिन कोई मुझे हल नहीं दे सका . मैं 20 दिन तक बिस्तर पर था . बाथरूम जाने के लिये भी मदद लेनी पड़ती थी . शरीर के निचले हिस्से में लकवा मारने का डर था लेकिन मैं हार नहीं मानने वाला था .’ 

सुमीत ने आगे बात करते हुए कहा ,‘कुछ सप्ताह बाद मैने प्रयोग करना शुरू किये . मैने आयुर्वेद की शरण ली और हरसंभव प्रयास किये . आखिरकार रिहैब, व्यायाम और कड़े अनुशासन से मुझे फायदा मिला . मुझे एकल छोड़ना पड़ा लेकिन तीन चार साल बाद मुझे बेहतर लगने लगा .’

बर्मिंघम के कॉमनवेल्थ गेम्स का है बेसब्री से इंतजार

इसके बाद से सुमीत ने प्रतिकूल परिस्थितियों से लड़ना सीख लिया. अपने इस सफर के दौरान सुमित को ऑनलाइन ट्रोलिंग, फाउंडेशन या प्रायोजकों से सहयोग का अभाव और पैसों की कमी वाली परेशानियों का सामना करना पड़ा. 

उन्होंने कहा ,‘मुझे बैडमिंटन का जुनून है और इससे बढकर कुछ नहीं . किसी एनजीओ या फाउंडेशन ने मेरी मदद नहीं की . मेरे पास 2018 से प्रायोजक नहीं है और पिछले साल से वेतन भी नहीं मिला . मेरी और अश्विनी की टाइमिंग अच्छी है . हम खेलने को बेताब हैं . यह कठिन टूर्नामेंट होगा लेकिन मैच के दिन रैंकिंग मायने नहीं रखती . हमें दबाव का डटकर सामना करना होगा.'

तेलंगाना के आयकर विभाग में कार्यरत सुमीत ने बताया कि टूर्नामेंटों में भाग लेने के लिये छुट्टियां लेने से पहले उन्होंने सारे जरूरी दस्तावेज जमा किये लेकिन किसी ‘कन्फ्यूजन’ के चलते वेतन नहीं मिला . सुमीत ने कहा कि उन्हें बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों का बेताबी से इंतजार है.

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