नई दिल्ली: देश में सार्वजनिक क्षेत्रों की बैंकों के निजीकरण को लेकर देश के नौ बैंक यूनियनों ने सोमवार से दो दिन की देशव्यापी हड़ताल का ऐलान किया है.
यूनियनों ने दावा किया है कि इस हड़ताल में सार्वजनिक क्षेत्रों में काम करने वाले दस लाख कर्मचारी शामिल होंगे.
विफल हुई सरकार के साथ वार्ता
वित्तीय वर्ष 2021-22 का बजट पेश करते हुए भारत सरकार की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विनिवेश योजना के तहत दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण की घोषणा की थी.
भारत सरकार इससे पहले आईडीबीआई बैंक में अपनी अधिकांश हिस्सेदारी को LIC को बेचकर उसका निजीकरण कर चुकी है. साथ ही बीते चार वर्षों में सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की 14 बैंकों को अन्य बैंकों में विलय कर दिया है.
सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकों में निजीकरण के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए कई बैंक यूनियनों ने सरकार के इस कदम के प्रति विरोध जाहिर किया था.
बैंक हड़ताल का ऐलान करने से पहले बैंक यूनियनों ने कई बार सरकार से इस मुद्दे पर बातचीत करने का प्रयास किया था.
सार्वजनिक क्षेत्रों की बैंकों के निजीकरण के मुद्दे को लेकर वित्त मंत्रालय और बैंक यूनियनों के बीच 4, 9 और 10 मार्च को बैठक हुईं.
हालांकि इन बैठकों में यूनियन और मंत्रालय के बीच सुलह नहीं हो सकी.
सरकार के साथ वार्ता विफल होने के बाद हो बैंक यूनियनों ने दो दिन की देशव्यापी हड़ताल का ऐलान किया है.
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कामकाज हुआ प्रभावित
देश में सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकों की दो दिनों की हड़ताल का सोमवार को पहला दिन था. सोमवार को बैंकिंग क्षेत्र से जुड़ा कामकाज प्रभावित रहा.
हड़ताल का सबसे अधिक प्रभाव नकद की जमा और निकासी पर देखने को मिला. कई ग्राहक चेक क्लियर न होने के कारण भी परेशान दिखाई दिए.
बैंक बंद होने के कारण ग्राहक नकद निकासी के लिए एटीएम पर निर्भर रहे. जिस कारण कई ऐटीएम के बाहर लंबी कतारें दिखाई दीं.
हालांकि अधिकतर एटीएम सुचारू रूप से काम करते रहे.
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