Corona Mask: जापान की स्टडी का दावा गलत, असल में तीन परत वाले मास्क ही सबसे अधिक सुरक्षित

मेकैनिकल इंजीनियरिंग विभाग में प्राध्यापक सप्तर्षि बसु ने कहा,‘‘ आप सुरक्षित हैं लेकिन आपके आस-पास मौजूद लोग सुरक्षित नहीं है.’’ अध्ययन में कहा गया है कि तीन परत वाले मास्क या एन-95 मास्क सर्वाधिक सुरक्षित हैं. इससे पहले अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) ने कुछ हफ्तों पहले ही ऐसा सुझाव दिया था.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Mar 6, 2021, 03:04 PM IST
  • जापान की रिकेन एंड कोब यूनिवर्सिटी ने दो मास्क को बताया था बेअसर
  • तीन परत वाले मास्क या एन-95 मास्क सर्वाधिक सुरक्षित: IISC का शोध
Corona Mask: जापान की स्टडी का दावा गलत, असल में तीन परत वाले मास्क ही सबसे अधिक सुरक्षित

बेंगलुरु: बेंगलुरु के भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) के शोधकर्ताओं ने कोरोना से बचाव के लिए मास्क पहने को लेकर एक जरूरी शोध जारी किया है.

शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि एक अध्ययन में पता चला है कि कई परतों वाले मास्क व्यक्ति को हवा में अथवा किसी गैस में घुले सूक्ष्म ठोस कण या द्रव्य की बूंदों (एअरोसॉल) के संपर्क में आने से रोकने के लिए सर्वाधिक प्रभावी होते हैं.

जापान में की गई स्टडी का दावा गलत
यह अध्ययन ठीक ऐसे समय में आया है, जबकि जापान की रिकेन एंड कोब यूनिवर्सिटी की तरफ से जारी की गई स्टडी में शोधकर्ताओं ने कहा था कि एक साथ 2 मास्क लगाना कोविड-19 इंफेक्शन से नहीं बचा सकता.

इस स्टडी में दावा किया गया था कि वायरस को फैलने से रोकने के लिए चेहरे पर बेहतर तरीके से फिट होने वाला 1 मास्क ही काफी है, 2 मास्क लगाने के फायदे बेहद सीमित हैं. 

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क्या कहता है आईआईएससी का शोध
आईआईएससी ने अपनी स्टडी के रिजल्ट पर आधारित अध्य्यन सामने रखा है. शोध करने वालों के अनुसार जब किसी व्यक्ति को खांसी आती है तब मुंह या नाक से निकली द्रव्य की बड़ी बूंदें (200 माइक्रोन से बड़ी) तेज गति से मास्क की अंदरूनी परत से टकराती हैं और मास्क में अंदर घुस जाती हैं फिर आगे जा कर छोटी बूंदों में टूट जाती है.

इनके हवा में या किसी गैस में घुलने की अधिक आशंका है. इस प्रकार इनमें सार्स-सीओवी-2 जैसे वायरस हो सकते हैं.

शोध में यह आया सामने
संस्थान ने शनिवार को एक बयान में कहा कि दल ने हाई कैपिसिटी वाले कैमरे के जरिए एक परत, दो परत और कई परतों वाले मास्क पर खांसने के दौरान निकले द्रव्य कणों के मास्क से टकराने और कपड़े में घुसने के बाद इनके आकार का अध्ययन किया.

अध्ययन में कहा गया कि एक और दो परत वाले मास्क में इन छोटी बूंदों का आकार सौ माइक्रोन से कम पाया गया और इस प्रकार इनमें ‘एयरोसॉल’ बनने की क्षमता थी जो लंबे समय तक हवा में मौजूद रह कर संक्रमण फैला सकते हैं.

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अमेरिका में भी हुई थी स्टडी
मेकैनिकल इंजीनियरिंग विभाग में प्राध्यापक सप्तर्षि बसु ने कहा,‘‘ आप सुरक्षित हैं लेकिन आपके आस-पास मौजूद लोग सुरक्षित नहीं है.’’ अध्ययन में कहा गया है कि तीन परत वाले मास्क या एन-95 मास्क सर्वाधिक सुरक्षित हैं. इससे पहले अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) ने कुछ हफ्तों पहले ही ऐसा सुझाव दिया था.

CDC ने कहा था कि अगर एक की बजाए 2 मास्क एक साथ लगाए जाएं तो यानी डबल मास्किंग (Double Masking) को अपनाया जाए तो कोरोना वायरस (Coronavirus) के संपर्क में आने के खतरे को कम किया जा सकता है. 

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