नई दिल्ली. बड़ा मुश्किल काम है ख़ुद का मूत्र पीना. ऐसा तो बस उस हालत में सम्भव है जब इंसान की जान अटकी हो या जाने वाली हो. पर दुनिया में आज कुछ लोग ऐसे भी हैं जो निजी तौर पर अपने घर में शिवाम्बु सेवन कर रहे हैं.
यूरोफेजिया दिया गया है नाम इसे
भारत में वर्षों से नहीं बल्कि सदियों से चिकित्सा की इस पद्धति को स्वमूत्रपान या शिवाम्बु सेवन के नाम से जाना जाता है. आज भारत से बाहर प्रसारित इस थेरेपी को यूरोफेजिया का नाम दिया गया है जबकि कुछ लोग इसे 'यूरीन थेरेपी' भी कहते हैं.
नेविंग्टन की योग शिक्षिका की ज़िंदा मिसाल
नेविंगटन की रहने वाली केलि ओकली एक योग शिक्षिका हैं. 33 वर्षीय केली ने दावा किया था कि ख़ुद का मूत्र पीने से उन्हें अपनी लंबी स्वास्थ्य समस्याओं से निजात मिली थी. उनको हाशिमोटो की थायरॉइड की बीमारी और लंबे दर्द से निजात मिला था.
दो साल पहले शुरू किया था
दो साल पहले उनको यूरोफेजिया की जानकारी मिली थी तब उन्होंने स्वमूत्रपान शुरू कर दिया था. केली अब न केवल हर दिन एक जार ताज़ा मूत्र पीती हैं बल्कि सूती कपड़े को मूत्र में भिगोकर अपने पूरे चेहरे पर लगाती हैं. उनका दावा है कि इससे उनकी त्वचा 'चमकदार' हुई है.
कारण बताती हैं केली
इस मुश्किल चिकत्सा को अपनाने का जो कारण केली देती हैं वह अत्यंत प्रेरणास्पद है. केली का कहना है कि - "मैंने सुना था कि यह प्रतिरक्षा तंत्र को दोबारा स्थापित करता है, अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है और त्वचा के लिए अच्छा होता है. इसलिए मैंने सोचा की इसे आज़माया जाए."
लीह सैम्पसन ने कम किया वज़न
कनाडा में अलबर्टा की रहने वाली 46 वर्षीय लीह सैम्पसन ने मीडिया को बताया कि उनको अपना मूत्र पीने से शरीर का वज़न कम करने में मदद मिलती है. वे कहती है कि पहले उनका वज़न 120 किलोग्राम था और वे वजन कम करने के लिए बेकरार थीं. उनको वड़ी हैरानी हुई जब मूत्र के सेवन से इसमें मदद मिली.
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