कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के लिए सरकार के मार्गदर्शन में गठित हुई एक्सपर्ट कमिटी

भारतीय औषधि एवं होम्योपैथी निदेशालय निदेशालय द्वारा कोरोना वायरस की तीसरी लहर से निपटने की तैयारियों की समीक्षा के लिए 21 जून को एक बैठक में समिति गठित की गई.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jun 25, 2021, 01:13 PM IST
  • बच्चों के बचाव के लिए हर्बल आहार पर रहेगा जोर
  • दूध पिलाने वाली माताओं को पहनना चाहिए मास्क
कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के लिए सरकार के मार्गदर्शन में गठित हुई एक्सपर्ट कमिटी

नई दिल्ली: कोविड-19 की तीसरी लहर आने की आशंका के बीच यहां भारतीय औषधि एवं होम्योपैथी निदेशालय ने संकट से निपटने में सरकार का मार्गदर्शन करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित की है. 

पांच सदस्यीय समिति में सिद्धा विशेषज्ञ शामिल हैं जिनके पास खासतौर से बच्चों के संक्रामक रोगों का इलाज करने का अनुभव है.

बचाव के लिए हर्बल आहार पर रहेगा जोर

निदेशालय के सूत्रों के अनुसार, समिति में सिद्धा केंद्रीय अनुसंधान संस्थान (एससीआरआई) चेन्नई के प्रभारी निदेशक डॉ. पी साथियाराजेश्वरन, राष्ट्रीय सिद्धा संस्थान (एनआईएस) तंबरम की प्रोफेसर डॉ. मीनाक्षी सुंदरम, यहां गवर्नमेंट सिद्धा मेडिकल कॉलेज, व्याख्याता ग्रेड 2 के डॉ. जे श्रीराम, तमिलनाडु डॉ. एमजीआर मेडिकल विश्वविद्यालय के महामारी विज्ञान विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. जोसेफ मारिया अदईकलाम और यहां स्वाभिमान ट्रस्ट के ऑटिस्म विशेषज्ञ डॉ. प्रतिभन शामिल हैं.

निदेशालय द्वारा कोरोना वायरस की तीसरी लहर से निपटने की तैयारियों की समीक्षा के लिए 21 जून को यहां बुलाई एक बैठक में समिति गठित की गई.

डॉ. साथियाराजेश्वरन के अनुसार, समिति ने पहले ही संक्रमितों के इलाज के लिए दिशा निर्देश दे दिए हैं. उन्होंने मीडिया से कहा, 'आरटी-पीसीआर जांच जारी रहेगी. चिकित्सीय दवाओं और हर्बल आहार लेने पर जोर रहेगा.'

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दूध पिलाने वाली माताओं को पहनना चाहिए मास्क

समिति द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों में बताया गया है, 'पहली लहर में बहुत कम करीब 70,000 बच्चे संक्रमित पाए गए जबकि दूसरी लहर में ज्यादातर बच्चों में हल्का संक्रमण पाया गया.' बच्चों में संक्रमण के लिए डायरिया, उल्टी, बुखार, खांसी, आंख में संक्रमण, रक्तवाहिका संबंधी रोग जैसे लक्षण पाए गए.

इसमें कहा गया है, 'बच्चों में हो सकता है कि बीमारी के लक्षण न दिखें और वे सुपर-स्प्रेडर रहें यानी संक्रमण तेजी से फैलाते रहें. दूध पिलाने के जरिए संक्रमण फैलने के पक्ष में कोई अध्ययन नहीं आया है अत: दूध पिलाने वाली माताएं दूध पिला सकती हैं लेकिन उन्हें हमेशा मास्क पहनना चाहिए और दूध पिलाने के बाद बच्चे को देखभाल के लिए दूसरे व्यक्ति को दे देना चाहिए.'

बच्चों के आहार के लिए दिए परामर्श में शरीर में पर्याप्त रूप से पानी की उपलब्धता और हल्दी तथा काली मिर्च के साथ दूध पीना, करिसलई माल्ट, मोरिंगा पाउडर और केले का पाउडर आदि शामिल हैं.

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