नई दिल्ली: डायबिटीज पेशेंट के लिए एक स्टडी में जरूरी जानकारी सामने आई है. जिसके मुताबिक स्वस्थ जीवनशैली से टाइप 2 मधुमेह (टी2डी) वाले लोगों में मनोभ्रंश रोग (डिमेंशिया) का खतरा कम हो सकता है, एक नए अध्ययन (New Study) में यह बात सामने आई है.
अध्ययन में सामने आई ये बड़ी बात
अध्ययन में पाया गया कि टी2डी और अस्वस्थ जीवनशैली वाले व्यक्तियों में टी2डी के बिना और बहुत स्वस्थ जीवनशैली वाले लोगों की तुलना में मनोभ्रंश विकसित होने की संभावना अधिक थी. हालांकि, एक स्वस्थ जीवनशैली ने टी2डी विकासशील मनोभ्रंश वाले लोगों की संभावना को लगभग आधा कर दिया.
ग्लासगो विश्वविद्यालय के शोधकर्ता कार्लोस सेलिस-मोरालेस ने कहा, 'आहार, शारीरिक गतिविधि और नींद की सिफारिशों का पालन करना अच्छे स्वास्थ्य की कुंजी है और यह मधुमेह वाले लोगों में मनोभ्रंश के कम जोखिम में योगदान कर सकता है.'
सेलिस-मोरालेस ने कहा, 'हमने दिखाया है कि इन स्वस्थ जीवनशैली दिशानिर्देशों का पालन करने से मधुमेह वाले लोगों द्वारा अनुभव किए जाने वाले मनोभ्रंश के जोखिम में भी काफी कमी आती है.'
क्या होता है मनोभ्रंश रोग?
मनोभ्रंश रोग को डिमेंशिया भी कहते हैं, जिसका अर्थ 'दिमाग की क्षमता लगातार कम होना' होता है. इसके अंतर्गत आपका दिमाग सोचना कम कर देता है. बता दें, दिमाग की बनावट में शारीरिक बदलावों के परिणामस्वरूप होता है. ये बीमारी आपकी सोच, आचरण और मनोभाव को प्रभावित करते हैं.
लगभग 450,000 प्रतिभागियों को किया ट्रैक
अध्ययन के लिए स्टॉकहोम में यूरोपीय एसोसिएशन फॉर द स्टडी ऑफ डायबिटीज (ईएएसडी) की वार्षिक बैठक में प्रस्तुत किया गया, टीम ने डिमेंशिया के विकास के लिए यूके बायोबैंक अध्ययन के लगभग 450,000 प्रतिभागियों को ट्रैक किया.
445,364 प्रतिभागियों (54.6 प्रतिशत महिला) की औसत आयु 55.6 वर्ष थी और उनका पालन 9.1 वर्ष के औसत के लिए किया गया था. इस अवधि के प्रारंभ में सभी मनोभ्रंश से मुक्त थे.
जानें अध्ययन में क्या बात आई सामने
एक अस्वास्थ्यकर जीवनशैली और भी अधिक मजबूती से मनोभ्रंश से जुड़ी थी. सबसे कम स्वस्थ जीवनशैली वाले प्रतिभागियों में स्वस्थ जीवनशैली वाले लोगों की तुलना में मनोभ्रंश विकसित होने की संभावना 65 प्रतिशत अधिक थी.
आगे विश्लेषण से पता चला कि एक स्वस्थ जीवनशैली टी2डी वाले लोगों में मनोभ्रंश के जोखिम को कम करती है. मधुमेह और स्वस्थजीवन शैली वाले व्यक्तियों में मधुमेह और अस्वस्थ जीवनशैली वाले लोगों की तुलना में मनोभ्रंश विकसित होने की संभावना 45 प्रतिशत कम थी.
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