आपकी आंखों की रोशनी छीन रही है मोबाइल की लाइट, रिपोर्ट में हुआ हैरान करने वाला खुलासा

अगर आपको और आपके बच्चों को मोबाइल की लत लग चुकी है, तो ये आपकी आंखों के लिए चिंता का विषय है. मोबाइल की लाइट भारतीयों की आंखों की रोशनी छीन रही है. ऐसा दावा किया गया है कि आधे भारतीय बच्चों की आंखों को खतरा है.

Written by - Pooja Makkar | Last Updated : Feb 10, 2023, 04:21 PM IST
  • आंखों की रोशनी छीन रही है मोबाइल की लाइट
  • आधे भारतीय बच्चों की आंखों पर मंडरा रहा खतरा
आपकी आंखों की रोशनी छीन रही है मोबाइल की लाइट, रिपोर्ट में हुआ हैरान करने वाला खुलासा

नई दिल्ली: आपमें से जितने लोग भी सोने से पहले मोबाइल में WhatsApp अपडेट, Instagram Feed, Facebook post वगैरह वगैरह चेक करने वाले हैं. ये खबर उन सबके लिए है. सोचिए आपने लाइट्स ऑफ की और फिर सोने से पहले मोबाइल चेक करने लगे और अचानक आपको दिखाई ही देना बंद हो जाए तो, ये सच में हुआ है.

मोबाइल की लाइट ने छीन ली आंखों की रोशनी
हैदराबाद की एक 30 साल की महिला का ये रोज का रूटीन था और अचानक एक रात उसे मोबाइल ही नहीं, कुछ भी देखने में मुश्किल होने लगी. डॉक्टरों ने उसकी परेशानी को Computer Vision Syndrome का नाम दिया है. घंटों तक स्क्रीन देखने से होने वाली बीमारियों की लिस्ट बहुत लंबी है, लेकिन सबसे ज्यादा प्रभावित हमारी आंखें होती हैं.

एम्स के नेत्र रोग विभाग के अनुमान के मुताबिक स्कूली बच्चों में भी मोबाइल की स्क्रीन से चिपके रहने से रोशनी धीरे-धीरे कम हो रही है. 2015 में किए गए एम्स के आंकलन में 10 प्रतिशत स्कूली बच्चों में (Myopia) मायोपिया की बीमारी देखी गई थी, लेकिन 2050 तक भारत के लगभग आधे तकरीबन 40 प्रतिशत बच्चे मायोपिया की बीमारी के शिकार हो चुके होंगे.

इस बीमारी में पास की चीजे तो ठीक दिखती हैं, लेकिन दूर की चीजें धुंधली दिखने लगती हैं.

क्या आप जानते हैं ऐसा क्यों होता है?
घर में मां बाप अक्सर टोकते हैं कि टीवी पास से मत देखो. नजर कमजोर हो जाएगी. दरअसरल, अगर आप देर तक पास की चीजों जैसे मोबाइल, किताब या नजदीक से टीवी स्क्रीन पर फोकस करते रहते हैं, तो दूर की नजर धुंधली होने लगती है. आंखों की दूर तक फोकस करने की आदत कम होती जाती है.

जब भारत के प्रधानमंत्री को भी ये सलाह देनी पड़े कि बच्चे स्क्रीन टाइम में कटौती करें तो आप समझिए की समस्या कितनी बड़ी हो चुकी होगी. हाल ही में मन की बात कार्यक्रम में पीएम मोदी ने बच्चों को स्क्रीन टाइम कम करने की सलाह दी.

हालांकि मामला केवल बच्चों का नहीं है. ज्यादातर लोग ये बहाना बनाते हैं कि मोबाइल काम की वजह से जरूरी हो चुका है तो एक मोबाइल फोन बनाने वाली कंपनी का सर्वे सबकी पोल खोल रहा है.

वीवो कंपनी के इस सर्वे के मुताबिक फोन पर वक्त काट रहे लोगो में से.. 

76 प्रतिशत लोग फोटो और वीडियो देखने के लिए इन साइट्स का इस्तेमाल कर रहे हैं.

72 प्रतिशत लोग पुराने दोस्तों से कनेक्ट करने के लिए सोशल मीडिया इस्तेमाल करते हैं.

68 प्रतिशत लोग खबर देखने के लिए सोशल मीडिया साइट्स का इस्तेमाल करते हैं.

66 प्रतिशत लोग मनोरंजन के लिए फोन का इस्तेमाल करते हैं.

डॉक्टरों की सलाह है कि दूर की चीजों पर बीच बीच में फोकस करते रहें. ज्यादा देर तक स्क्रीन का इस्तेमाल करने वालों के लिए 20-20-20 वाला फॉर्मूला कारगर साबित हो सकता है. स्क्रीन टाइम कितना होना चाहिए इसका कोई फॉर्मूला तो नहीं है, लेकिन एम्स के नेत्र रोग विभाग के मुताबिक पूरे दिन में 2 घंटे से ज्यादा मोबाइल की स्क्रीन से ना चिपकें और हर 20 मिनट में एक ब्रेक जरूर लें.

भारत में 45 वर्ष से ज्यादा उम्र के 34% लोगों की आंखों की रोशनी कमजोर है. मोबाइल, लैपटाप या टैब की स्क्रीन से चिपके भारत को ये सलाह देना बेकार है कि वो स्क्रीन का इस्तेमाल ना करें, लेकिन डॉक्टरों के मुताबिक जितनी बड़ी स्क्रीन होगी, परेशानी उतनी कम होगी.

इसे भी पढ़ें- रोबोट को कौन सी भारतीय महिला लगती है सबसे खूबसूरत, चेहरा देख हर हिरोइन को होगी जलन

Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.

ट्रेंडिंग न्यूज़