आ रहा है कोरोना की बिलकुल सही पहचान करने वाला टेस्ट

यह टेस्ट दूसरे सभी कोरोना की मेडिकल जांच से इस तरह से अलग और बेहतर भी है क्योंकि यह  कोरोना की सटीक पहचान कर सकता है जबकि बाकी कोरोना टेस्टों में कहीं कहीं त्रुटियां भी पाई जा रही हैं...

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Apr 19, 2020, 02:19 PM IST
    1. स्विट्ज़रलैंड में हुई है इस तकनीक की खोज
    2. तीन फायदे हैं इस टेस्ट के
    3. मोलेक्यूलर रिसर्च पर आधारित है यह टेस्ट
आ रहा है कोरोना की बिलकुल सही पहचान करने वाला टेस्ट

नई दिल्ली: बहुत जल्द अब आने वाला है कोरोना के संक्रमण की पहचान करने वाला एक नया टेस्ट. इसके बारे में शोधकर्ताओं ने बताया है कि यह टेस्ट कोरोना की सटीक पहचान कर सकता है इस कारण संक्रमण फैलने की गति को नियंत्रित करने में अब इस टेस्ट की बड़ी भूमिका होगी.

स्विट्ज़रलैंड में हुई है इस तकनीक की खोज

स्विट्जरलैंड के इंस्टीट्यूट ऑफ एनवायर्नमेंटल इंजीनियरिंग में हुई है इस नई तकनीक की खोज. इस इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने प्लास्मोनिक फोटोथर्मल सेंसिंग को आधार बना कर यह कोरोना टेस्ट विकसित किया है. इस टेस्ट के माध्यम से अब डॉक्टरों को कोरोना वायरस की उपस्थिति की सटीक जानकारी मिल सकेगी.

तीन फायदे हैं इस टेस्ट के

स्विट्ज़रलैंड के चिकित्सा वैज्ञानिकों द्वारा ईजाद किये गए इस नए किस्म के कोरोना टेस्ट से एक साथ तीन फायदे हैं. एक तो इससे कोरोना के वायरस की झटपट जांच हो सकेगी दूसरा इससे कोरोना की सटीक और सही पहचान हो सकेगी और तीसरा फायदा इसका यह भी है इससे मौजूदा टेस्ट पर बढ़ते दबाव को कम किया जा सकेगा. अभी कोरोना की जांच में पॉलीमर्स चेन रिएक्शन (पीसीआर) पर आधारित टेस्ट को प्रयोग में लाया जा रहा जो कि जल्दी नतीजे लाने में नाकाम । इससे नतीजे जल्दी नहीं आते.

मोलेक्यूलर रिसर्च पर आधारित है यह टेस्ट

प्लास्मोनिक फोटोथर्मल सेंसिंग पर आधारित इस टेस्ट को मोलेक्यूलर टेस्ट भी कहा जा सकता है. शोधकर्ताओं के अनुसार इस टेस्ट की जांच की विधि किसी भी सतह पर अणुओं के बीच होने वाली परस्पर क्रियाओं और पारस्परिक गतिविधियों का पता लगा सकती है.

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इस टेस्ट को सफल बताते हुए स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं कि सटीक जांच प्रक्रिया में तेजी लाए जाने से ही कोरोना वायरस को रोकने में मदद मिल पाएगी क्योंकि तब इसके प्रसार को भी नियंत्रित किया जा सकेगा.

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