Pakistan Trouble: मुनाफाखोरों ने कमाए 404 अरब रुपए, पाकिस्तानी जनता लुट गई

पाकिस्तान रोटी के लिए तरस रहा है तो सिर्फ इमरान खान की वजह से.  इमरान ने 4 बड़ी ग़लतियां की जिसकी वजह से पाकिस्तान की आम जनता को 75 रुपए किलो तक आटा खरीदना पड़ रहा है.   

Written by - Amit Kumar | Last Updated : Oct 29, 2020, 08:08 AM IST
  • इमरान की 4 ग़लतियां पड़ी भारी
  • जिसके कारण पाकिस्तान में रोटी के लिए हाहाकार
Pakistan Trouble: मुनाफाखोरों ने कमाए 404 अरब रुपए, पाकिस्तानी जनता लुट गई

नई दिल्ली: इमरान की अनदेखी की वजह से जनता की जेब पर 404 अरब रुपए का डाका पड़ गया और मुनाफाखोरों की चांदी हो गई.  

जानबूझकर इमरान ने मूंदे रखी आंखें  ?
पाकिस्तान में आटे की कीमत रॉकेट की रफ्तार से इसलिए बढ़ी क्योंकि इमरान सरकार ने गेहूं के निर्यात पर रोक नहीं लगाई, ना ही कीमत को काबू में रखने के लिए जरूरी 30 लाख टन गेहूं का आयात ही किया. 

वो भी तब जबकि इस साल की शुरूआत से ही कीमतें बढ़नी शुरू हो गई थीं. गेहूं की किल्लत की वजह से पूरे पाकिस्तान में दाम बढ़ते चले गए लेकिन पीएम इमरान की कानों पर जूं तक नहीं  रेंगी. इससे हाहाकार की नौबत आ गई.

पाकिस्तानी जनता की जेब पर 404 अरब रुपए का डाका  
एक बड़े खुलासे के मुताबिक आटे में महंगाई की आग लगने के बाद ऐसे कई मौके आए जब इमरान सरकार निर्यात बंद करने का फैसला ले सकती थी लेकिन उसने संदिग्ध ढंग से ऐसा नहीं किया.  अगर इमरान सरकार ने समय पर गेहूं और चीनी के निर्यात पर रोक लगाने का निर्णय कर लिया होता तो पाकिस्तान में इतना भयानक महंगाई बम नहीं फूटता.


इमरान के आंखें मूंदे रहने की वजह से पाकिस्तानी जनता की जेब पर सिर्फ 10 महीने में 404 अरब रुपए का डाका पड़ा. ये सारा पैसा मुनाफाखोरों की जेब में गया. इसलिए इमरान खान नियाजी शक के घेरे में हैं.

जियो न्यूज़ का बड़ा खुलासा, इमरान का पर्दाफ़ाश  
पाकिस्तानी न्यूज़ चैनल जियो न्यूज़ के खुलासे के मुताबिक इमरान के सामने 4 बड़े मौके थे, लेकिन उन्होंने कोई कदम नहीं उठाया.
- आटे की कीमत पर काबू का पहला मौका जनवरी में आया था. जब उन्हें बता दिया गया था कि इस बार गेहूं की पैदावार लक्ष्य से कम होगी, बावजूद इसके निर्यात पर रोक नहीं लगाई.  
- दूसरा मौका मई में तब आया था जब सरकार को जरूरत भर के गेहूं का स्टॉक जमा करने की सलाह दी गई थी लेकिन इमरान ने ऐसा नहीं किया. 

 

- तीसरा मौका जून में आया, जब  इमरान सरकार ने गेहूं के आयात का ऐलान किया था लेकिन इस फैसले पर मुहर नहीं लगाई, सरकार ने इसका नोटिफिकेशन जारी ही नहीं किया.  
- चौथा मौका जुलाई में आया था. जब इमरान सरकार चाहती तो हालात संभाल सकती थी. तब सरकार ने गेहूं आयात पर टैक्स में छूट का ऐलान किया लेकिन ये दिखावा साबित हुआ, गेहूं का आयात ही नहीं किया गया. 

यानी इमरान लोगों को छलते रहे

इमरान की चूक या मुनाफाखोरों से मिलीभगत!
आम लोग महंगाई की मार झेलते रहे. लेकिन इमरान सरकार गेहूं माफिया लॉबी के दबाव में खामोश रही. इसलिए शक गहरा गया है कि इमरान कि सरकार ने काली कमाई करने वाले कारोबारियों से सीक्रेट डील कर जनता को चूना लगाया. वरना कोई वजह नहीं थी कि दो जून की रोटी को तरस रही जनता को राहत पहुंचाने का फैसला ना किया जाता.

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