नई दिल्ली. यूरोपियन यूनियन को मॉरीशस को लेकर दो बड़े संदेह हैं - एक तो ये कि यह देश ब्लैकमनी अर्थात मनी लॉन्डरिंग का एक बड़ा स्रोत है और दूसरा ये कि मॉरीशस आतंकी फंडिंग से भी जुड़ा हुआ है. अब यूरोपियन यूनियन के सत्ताइस देश मॉरीशस को एक अक्टूबर से ब्लैक लिस्ट करने वाले हैं.
यूरोपियन यूनियन का आरोप
ईयू अर्थात यूरोपियन यूनियन मॉरीशस को दस दिन बाद ब्लैक लिस्ट करने जा रहा है. ईयू ने मॉरीशस पर भारी आरोप लगा दिये हैं और अब अक्टूबर से ईयू के देशों के द्वारा मॉरीशस को प्रतिबन्धित कर दिया जायेगा. ईयू का सवाल है कि 2019 में 1,439 करोड़ डॉलर की जीडीपी वाला मॉरीशस आखिर किस तरह बड़े-बड़े देशों में में निवेश कर सकता है. इसका मतलब है कि मॉरीशस मनी लाॉन्डरिंग में लगा हुआ है.
एफएटीएफ की लिस्ट थी आधार
यूरोपीय यूनियन के इस फैसले का आधार एफएटीएफ की लिस्ट है जिसको नजर में रख कर उसने यह कदम उठाया है. एफएटीएफ अर्थात फाइनेन्शियल एक्शन टास्क फोर्स दुनिया भर में मनी लॉन्डरिंग और आतंकी गतिविधियों की फंडिंग पर नजर रखने वाली एक वैश्विक संस्था है. इसमें शामिल 39 देशों में एक भारत भी इसका सदस्य है. लेकिन भारत की प्रमुख वित्तीय संस्था सेबी ने कहा है कि मॉरीशस भारत में काम करेगा.
मॉरीशस पूरी दुनिया में करता है निवेश
दुनिया के जीडीपी पायदानों पर नजर डालें तो मॉरीशस दुनिया में 123 वें नंबर की जीडीपी है. इस देश से सारी दुनिया में निवेश हेतु पैसा जाता है. अब जब ईयू मॉरीशस पर दो बड़े आरोप लगा कर अक्टूबर में इसे प्रतिबन्धित करने वाला है, इस पर प्रतिक्रिया देते हुए भारत में शेयर बाजार के रेगुलेटर सेबी का कहना है कि वह मॉरीशस को एक एफपीआई के रूप में भारत में परमिशन देना जारी रखेगी और साथ में उस पर निगरानी भी रखेगी.
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