नई दिल्ली. चीन के खिलाफ खेमेबाज़ी में दुनिया में अलग-अलग मोर्चे तैयार हो रहे हैं और इसका जिम्मेदार खुद चीन है. आज से दस वर्ष बाद की चीन के राजनीतिक अस्तित्व वाले चित्र की कल्पना की जाए तो चीन की स्थिति बहुत दुखद और दुर्बल दिखाई देती है. अब चीन का पुराना शिकार तिब्बत चीन के अन्याय के नए शिकार ताइवान के बहुत करीब आ गया है और इस मित्रता की जड़ में जो कारण है उसका नाम चीन है.
दलाई लामा का 'करीबी दोस्त' के लिए संदेश
दुनिया भर में बौद्ध धर्म के मानने वालों के लिए आज भी दलाई लामा उतने ही पूजनीय हैं जितने वे उनके लिए हमेशा से रहे हैं. दलाई लामा के निर्वासित जीवन ने बौद्ध धर्म के श्रद्धालुओं के मन में उनके प्रति श्रद्धा और बढ़ा दी है. आज भी दलाई लामा चाहें तो दुनिया के सारे बौद्धों को एक कर सकते हैं और चीन जैसे जहरीले सांपों का इलाज कर सकते हैं. शायद दलाई लामा अब इस दिशा में ही बढ़ रहे हैं. दलाई लामा ने हाल ही में ताइवान के पूर्व राष्ट्रपति को अपना करीबी दोस्त कहा है.
ताइवान और तिब्बत की मैत्री
ताइवान और तिब्बत की मैत्री निरंतर दृढ़ होती जा रही है और साथ ही साथ यह गहरा रही मित्रता चीन के लिये चिन्ता का विषय बनता जा रहा है. पहले तो दलाई लामा ने ताइवान का दौरा करने की बात कही और उसके बाद अब ताइवानी नेता ली तेंग-हुई की मृत्यु पर उन्होंने दुख जताया है. ताइवान-तिब्बत की दोस्ती के परिदृश्य में दलाई लामा द्वारा अपने 'करीबी दोस्त' के लिए शेयर किया गया संदेश बहुत अहम माना जा रहा है.
ताइवान ने शेयर किया दलाई लामा का संदेश
दुनिया के खलनायक चीन को सबक सिखाने के लिये तैयार हो रहा यह मोर्चा उसके दो सबसे धुर विरोधी तिब्बत और ताइवान की बढ़ रही आपसी नजदीकियों से और सशक्त होता जा रहा है. तिब्बतियों के सर्वोच्च धर्मगुरु दलाई लामा ने कुछ समय पहले ताइवान की यात्रा करने की अपनी इच्छा के बारे में बताया था. अब उन्होंने ताइवान को लोकतांत्रिक व्यवस्था में तब्दील करने वाले पूर्व राष्ट्रपति ली तेंग को अपना करीबी दोस्त बताया है और उनकी मृत्यु पर दुख प्रकट किया है. ताइवानी रक्षा मंत्रालय द्वारा दलाई लामा का शोक संदेश शेयर भी किया गया है.
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