नई दिल्ली: वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन तनाव बढ़ा रहा है लेकिन इस बार उसे पता चल गया है कि ये 1962 वाला भारत नहीं है. मोदी सरकार (Modi Government) सरहद पर bhi चीन को ललकार रही है और कूटनीतिक क्षेत्र में भी चीन को अकेला कर दिया है.
गलवान घाटी में चीन को अपनी औकात पहले ही पता चल चुकी है. दक्षिण एशिया में चीन (China) के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए भारत (India) एक नई रणनीति पर काम कर रहा है. भारत ने इस मुद्दे पर जापान को अपने साथ कर लिया है.
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चीन के खिलाफ भारत को बड़ी कामयाबी
आपको बता दें कि भारत और जापान (India and Japan) ड्रैगन से मुकाबले के लिए तीसरे देशों को साथ लाने की संभावनाओं को तलाश रहे हैं. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जापान को भारत का सबसे भरोसेमंद साथी और एशिया में आधुनिकीकरण का प्रेरणास्रोत बताते हुए कहा कि मारुति क्रांति, मेट्रो क्रांति और बुलेट क्रांति जापान के इतिहास और उसकी क्षमता के चलते ही सफल संभव हो सकी.
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भारत और जापान पुराने दोस्त
विदेश मंत्री ने कहा कि पूर्व जापानी प्रधानमंत्री आबे शिंजो और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आपसी संवाद और रिश्तों को बेहतर बनाने की कोशिशों के चलते ही दोनों देश इतने करीब आ पाए हैं. भारत और जापान बहुत पुराने और मजबूत मित्र हैं.
अनेक मुद्दों पर एक साथ हैं जापान और भारत
FICCI की ओर से आयोजित वर्चुअल कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि भारत और जापान के पास रूस के सुदूर पूर्वी क्षेत्र (Russian far east) एवं प्रशांत महासागर के द्वीपीय देशों (Pacific Island Countries) में साथ काम करने का अवसर है. उन्होंने आगे कहा कि हमें हमें उन क्षेत्रों को देखना होगा जहां हम मिलकर काम कर सकते हैं.