भारत की दवा कामयाब लग रही है अमेरिका में

भारत ने जो दवा अमेरिका को भेजी है, वह वास्तव में संजीवनी का काम करती दिखाई दे रही है. अब लग रहा है कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन में कोई तो ऐसी ख़ास बात थी कि सारी दुनिया ने उसकी भारत से मांग कर दी थी.  अब अमेरिका में दो हज़ार मरीज़ों पर उसका ट्रायल होने जा रहा है..  

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : May 15, 2020, 07:04 PM IST
    • हाइड्राक्सीक्लोरोक्विन कामयाब लग रही है अमेरिका में
    • डोनाल्ड ट्रम्प ने माना था कोरोना की दवा
    • एनआईएच ने दी जानकारी
    • सार्स-सीओवी-2 के लक्षण वाले हैं ये रोगी
 भारत की दवा कामयाब लग रही है अमेरिका में

नई दिल्ली.  भारत की दवा वरदान सिद्ध हो रही है अमरीकियों पर. जिस दवा की डोनाल्ड ट्रम्प ने मांग की और जिसकी मांग स्वीकार करने पर ट्रम्प ने मोदी को महान नेता बताया था, उस दवा में कोई तो ऐसी बात थी कि अचानक दुनिया के पचपन देशों ने भारत वही दवा मांगी और भारत ने किसी को भी निराश नहीं किया. हाइर्ड्रोक्सीक्लोरोक्विन नामक इस दवा ने अमेरिका को भी निराश नहीं किया और अब दो हज़ार कोरोना पीड़ितों पर इसका ट्रायल होने वाला है. 

 

ट्रम्प ने माना था इसे कोरोना की दवा 

हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन डोनाल्ड ट्रम्प की पसंदीदा दवा है जिसे उन्होंने  ने कोरोना का संभावित इलाज माना है. मूल रूप से यह दवा मलेरिया के मरीजों की दवा है. अब इसे अमेरिका में  कोविड-19 से संक्रमित 2000 रोगियों पर ट्रायल के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है.

एनआईएच ने दी जानकारी 

एनआईएच अमेरिका का राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान है. एनआईएच ने कोरोना रोगियों पर हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के परीक्षण शुरू कर दिए हैं और इसकी जानकारी एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से देश और दुनिया को दी. 

 

सार्स-सीओवी-2  के लक्षण वाले हैं ये रोगी 

एनआईएच ने बताया कि जिन संक्रमित रोगियों पर ये परीक्षण चल रहे हैं, उनमें सार्स-सीओवी-2 वायरस के संक्रमण देखे गए हैं और इनको ही कोरोना वायरस के संक्रमण के लिए जिम्मेदार माना जाता है. इस कारण ही रोगी को बुखार, खांसी और सांस लेने में दिक्कत महसूस होती है. एनआईएच ने बताया इस परीक्षण के दौरान रोगियों को हाइड्रोक्लोरोक्वीन दवा दी जाएगी. 

एचआईवी के मरीज भी हो सकते हैंं शामिल

एनआईएएच ने बताया कि एचआईवी के रोगियों और गर्भवती महिलाओं को भी इस शोध में शामिल किया जा सकता है. इस ट्रायल के पहले चरण में दवाई से मरीजों के सुरक्षित होने की जानकारी प्राप्त होती है और द्वितीय चरण में दवाई के असर की जानकारी मिलती है. 

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