हिजबुल्लाह के फाउंडर को इजराइल ने भेजा था 'Book Bomb', ये है 40 साल पुराने वेलेंटाइन डे का किस्सा!

Hezbollah Founder Book Bomb: हिजबुल्लाह के संस्थापक को मारने की मोसाद ने प्लानिंग की थी. उन्होंने 1984 में वेलेंटाइन डे पर अली अकबर मोहतशामीपोर को बुक बम भेजा था. ये दावा इजरायली पत्रकार की एक किताब में किया गया है.

Written by - Ronak Bhaira | Last Updated : Aug 25, 2024, 12:09 PM IST
  • रॉनेन बर्गमैन की किताब में दावा
  • मोसाद ने की थी मारने की प्लानिंग
हिजबुल्लाह के फाउंडर को इजराइल ने भेजा था 'Book Bomb', ये है 40 साल पुराने वेलेंटाइन डे का किस्सा!

नई दिल्ली: Hezbollah Founder Book Bomb: हिजबुल्लाह ने इजराइल पर बड़ा धमाका किया है. करीब 300 से ज्यादा रॉकेट दागे गए हैं, इसके बाद देश में इमरजेंसी लागू कर दी गई है. इजराइल के लिए हिजबुल्लाह बड़ा खतरा बन चुका है. हालांकि, ऐसा नहीं है कि इजराइल ने हिजबुल्लाह को खत्म करने की कोशिश नहीं की. समय-समय पर इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने हिजबुल्लाह को कमजोर करने के प्रयास किए हैं. लेकिन वे ज्यादातर मौकों पर नाकाम साबित हुए. ऐसा ही किस्सा तब हुआ, जब इजराइल ने हिजबुल्लाह के फाउंडर सदस्यों में से एक अली अकबर मोहतशामीपोर को मारना चाहा.

वेलेंटाइन डे पर मारने का था प्लान
यह साल 1984 की बात है, तब तक हिजबुल्लाह बन चुका था. महज 2 साल के भीतर ही हिजबुल्लाह आतंक पर्याय बन गया था. अकबर मोहतशामीपोर ने ही साल 1978 के बाद लेबनान में शिया विद्रोहियों का एक गुट तैयार किया था, जिसे हिजबुल्लाह नाम दिया गया. इस गुट ने इजराइली सेना के साथ लड़ाई लड़ी और आखिरकार इजराइल को लेबनान से हटना पड़ा. अली अकबर ने अमेरिकी दूतावासों और यूएस मरीन अड्डों पर भी हमला करवाया था, इसमें 300 से अधिक लोग मारे गए थे. वह अमेरिका और इजराइल के लिए नासूर बनता जा रहा था. लिहाजा, उसके खात्मे का प्लान बनाया गया, दिन चुना गया 14 फरवरी, 1984 यानी वेलेंटाइन डे. 

इजरायल ने भेजा पार्सल, इसमें थी किताब
14 फरवरी, 1984 को सीरिया की राजधानी दमास्कस में ईरानी दूतावास पर एक पार्सल आया. ये पार्सल अली अकबर मोहतशामीपोर के नाम का था. अली अकबर तक ये पार्सल पहुंचाया गया. इसमें एक चिट्ठी और एक किताब थी. अली अकबर ने चिट्ठी खोली, इसमें लिखा था- हमारी दोस्ती को स्वीकार करने के लिए ये किताब स्वीकार करें. अली अकबर ने जैसे ही किताब खोली तो एक जोरदार धमाका हुआ.

अली अकबर मोहतशामीपोर की जान बची या नहीं?
धमाके के बाद पूरे कमरे में धुआं-धुआं हो गया. धमाका इतना खतरनाक था कि जान बचना मुश्किल थी. फिर भी अली अकबर मोहतशामीपोर की जान बच गई. लेकिन उसका एक हाथ उखड़कर दूर गिर गया. जबकि दूसरे हाथ की दो उंगलियां भी कट गईं. अली अकबर को समय से अस्पताल पहुंचा दिया गया और उसकी जान बच गई. इस किस्से को इजरायली पत्रकार रॉनेन बर्गमैन ने 2018 में आई अपनी किताब 'Rise and Kill First: The Secret History of Israel's Targeted Assassinations' में बताया था. साथ ही ये दावा भी किया कि ये बुक बम इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने भेजा था.

नोट: यह किस्सा इजरायली पत्रकार रॉनेन बर्गमैन की किताब  'Rise and Kill First: The Secret History of Israel's Targeted Assassinations' से लिया गया है.

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