नई दिल्ली: दुनिया की दिग्गज ई-कॉमर्स कंपनी के मालिक जैक मा को जमीन निगल गई कि आसमां खा गया. आखिर दो महीने से जैक मा कहां है. डेटा को लेकर चीन का जिद्दी तानाशाह जिनपिंग जैक मा के पीछे पड़ा हुआ है. अरबपति जैक मा के गायब होने के पीछे भी जिनपिंग को ही कसूरवार माना जा रहा है. पड़ोसी मुल्कों की जमीन हड़पने को बेताब रहने वाला जिनपिंग अब अलीबाबा की संपत्ति हड़पना चाहता है. माना जा रहा है कि दिग्गज कारोबारी जैक मा को उसी ने गायब कराया है.
अक्सर ट्विटर पर अपने समर्थकों का उत्साह बढ़ाने वाले जैक मा (Jack Ma) ने आखिरी ट्वीट भी 19 अगस्त 2020 को 8 बजकर 52 मिनट पर किया था जिसमें उन्होंने अफ्रीका में बिजनेस हीरोज के फाइनलिस्ट में शामिल किए जाने पर खुशी जाहिर की थी. लेकिन इस ग्लोबल फंक्शन में शामिल होने से पहले ही जैक मां को जिनपिंग की कम्युनिस्ट पार्टी की नजर लग गई और उन्हें ऐसी अंधेरी सुरंग में धकेल दिया गया जहां से अबतक उनका कुछ अता- पता दुनिया के सामने नहीं आया है. इस बीच अमेरिकी अखबार वाल स्ट्रीट जनरल (Wall Street General) ने बड़ा खुलासा किया है. अखबार के मुताबिक चीन का राष्ट्रपति जिनपिंग चाहता है कि जैक मा अपनी कंपनी के यूजर्स के सभी डेटा उसे सौंप दे.
ग्राहक मेरे भगवान हैं- जैक मा
जैक मा ने रात-दिन कारोबार में खपाकर ग्राहक ही तो बनाए हैं और उनका भरोसा जीतने के लिए अपना सबकुछ दांव पर लगाया है. जैक मा की जिंदगी की फिलॉसफी है कि ग्राहक भगवान हैं और अलीबाबा (Alibaba) में ग्राहकों का नंबर सबसे पहले आता है उसके बाद कर्मचारी दूसरे नंबर पर आते हैं और फिर तीसरे नंबर पर शेयरहोल्डर. जैक मा कहते हैं कि जब कारोबार पर दबाव बढ़ेगा और कंपनी संकट में आएगी तो सबसे पहले शेयरहोल्डर भागेंगे क्योंकि वो सिर्फ मुनाफे के लिए जुड़े हैं जबकि ज्यादातर कर्मचारी डटे रहेंगे और कंपनी को बचाने के लिए संघर्ष करेंगे लेकिन वो ग्राहक ही हैं जो कंपनी को संकट से बचाएंगे.
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जैक मा और जिनपिंग में दुश्मनी क्यों?
दरअसल चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (Communist Party of China) जैक मा के उस बयान से बुरी तरह खफा है जिसमें उन्होंने चीनी सरकार के बैंकिग नियमों की बखिया उधेड़ी थी. जैक मा ने कहा था कि चीन के सरकारी बैंकों को ब्याज कमाने की बुरी आदत है और बैंक सूदखोर हैं. उन्होंने जिनपिंग से बैंकिग नियम बदलने को भी कहा था. उन्होंने सरकारी बैंकों को बुजुर्गों का क्लब कहकर उनका मजाक भी उड़ाया था. जैक का यही बयान जिनपिंग को खटक गया. जैसा हर एक तानाशाह को लगता है वैसै ही जिनपिंग को जैक की बैंकिंग सुधार की बातें अच्छी नहीं लगीं और उन्होंने इसे सरकार पर हमला मान लिया. फिर क्या था चीन की सरकार उनके पीछे पड़ गई अलीबाबा (Alibaba) की मुश्किलें बढ़ती चली गईं.
जिनपिंग के जासूसी फंडे पर जैक का डंडा
दरअसल चीन की ज्यादातर कंपनियां वहां की सरकार के लिए जासूसी का काम करती हैं वो न सिर्फ अपने ग्राहकों के डेटा शेयर करती हैं बल्कि उनकी जरूरी सूचनाएं भी शेयर करती हैं. जिनपिंग (Xi Jinping) भी चाहते थे कि जैक मा का अलीबाबा ग्रुप भी जासूसी में मददगार बने ताकि दुनिया में जासूसी का सबसे बड़ा डेटा बैंक ड्रैगन बना सके लेकिन जैक मा अब चीन से निकलकर वैश्विक कारोबारी बन चुके हैं लिहाजा उन्होंने जिनपिंग के जासूसी फंडे को मानने से इनकार कर दिया .
जैक पर मोनोपोली के गलत इस्तेमाल का आरोप
ई- कॉमर्स कंपनी अलीबाबा के संस्थापक जैक मा करीब 15 कंपनियों के मालिक हैं जिनमें करोड़ों ग्राहक हैं. उनकी बड़ी कंपनियों में टाउबाउ , टीमॉल, अलीबाबा डॉट कॉम हैं. जिनपिंग ने पहले जैक मा के बिजनेस मॉडल को बदलने की कोशिश की ताकि ई कॉमर्स के क्षेत्र में उनके एकाधिकार को खत्म किया जा सके. लेकिन जब जैक मा टस से मस नहीं हुए तो अलीबाबा के वित्तीय कारोबार करने वाली शाखा एन्ट ग्रुप पर एक्शन शुरू किया. महज दो दिन में 15 लाख करोड़ का जैक को झटका लगा. जैक की कंपनी अली पे पर बिचौलिया बनकर मोटा मुनाफा कमाने का आरोप है. चीनी सरकार का दावा है कि जैक मा ग्राहकों के डेटा का इस्तेमाल कर उनकी आदतों के मुताबिक बैंकों से लोन दिलाते हैं और अगर ग्राहक बैंकों का पैसा नहीं लौटाए तो इसकी कोई जिम्मेदारी जैक की कंपनियों की नहीं होती.
चीन इसी वित्तीय खतरे को खत्म करना चाहता है जबकि जैक मा इसे जिनपिंग का दकियानूसी विचार मानते हैं. जिनपिंग ने जैक मा के एक और प्रोजेक्ट को बड़ा झटका दिया है। उन्होंने उन्होंने जैक की कंपनी एन्ट ग्रुप के 2 लाख 76 हजार करोड के आईपीओ को रद्द कर दिया है। जिनपिंग इस बात से भी डरा हुआ है कि कहीं जैक मा अपना कारोबार चीन से समेटकर अमेरिका न भाग जाएं इसीलिए उनके विदेश जाने पर पाबंदी लगा दी गई है.
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जैक मा का ’ग्लोबल’ अवतार
जैक मा को दुनियाभर की स्टार्टअप कंपनियों का गुरू माना जाता है. जैक ने 1999 में महज 17 लोगों के साथ ई कॉमर्स कंपनी अलीबाबा की नींव रखी थी. लेकिन जैक दुनिया में राज करना चाहते थे वो अमेरिका के सिलिकॉन वैली (Silicon Valley) में मौजूद बड़ी से बड़ी कंपनियों को कारोबार में पछाड़ने का ख्वाब देखते थे. इसके लिए वो अपने कर्मचारियों को एक ही संदेश देते थे कि उन्हें सुबह 8 से शाम 5 बजे वाली नौकरी नहीं करनी है बल्कि अलग करना है. वो कहते थे कभी हार मत मानो आज कठिन है कल और बदतर होगा लेकिन परसों धूप खिलेगी.
जैक मा की मेहनत और उनके जुनून पर दुनिया को एतबार था तभी तो महज एक साल के भीतर साल 2000 में सॉफ्ट बैंक ने 20 मिलियन डॉलर का निवेश अलीबाबा में किया. साल 2003 में जैक मा के लिए मुश्किलों भरा दौर आया जब चीन में सार्स जैसे जानलेवा वायरस ने हमला बोल दिया. अलीबाबा के कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम करना पड़ा. लेकिन वो जैक मा क्या जो मुश्किलों से हार जाएं उन्होंने इसी साल ज्ंवइंव की शुरूआत की. साल 2014 में उन्होंने दुनिया का सबसे बड़ा आईपीओ अलीबाबा का लॉन्च किया. साल 2011 में जैक मा का कारोबार 117 अरब डॉलर का था और जो अब बढ़कर 58.4 मिलियन डॉलर यानी 4 हजार 266 अरब रूपए हो चुका है. दुनिया में अलीबाबा की कंपनियों का जलवा आप इस बात से समझ सकते हैं कि पिछले साल महज 11 दिन में उन्होंने 5.52 लाख करोड़ का बिजनेस किया.
साल 2020 में एक समय ऐसा भी था कि हर सेकंड अलीबाबा को 5 लाख 83 हजार ऑर्डर मिलते थे. लेकिन फिर सितंबर 2019 में जैक मा ने रिटायरमेंट ले लिया और इसका भी जश्न उन्होंने जमकर मनाया. जैक मा ने न सिर्फ अपनी किस्मत बदली बल्कि चीन के बारे में दुनिया का अवधारणा बदल दी लेकिन जिनपिंग को जैक मा का ग्लोबल अवतार रास नहीं आया और अब जिनपिंग उनके कारोबार को मटियामेट करने पर तुले हैं.
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