नई दिल्ली: Bangladesh Polictical Crisis: बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार के तख्तापलट और उनके देश छोड़े जाने के बाद से काफी कुछ बदल चुका है. वहीं मुहम्मद युनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार शेख हसीना के फैसलों को लगातार पलटते हुए नजर आ रही है. बता दें कि युनुस सरकार ने शेख हसीना द्वारा बांग्लादेश में बसाए गए रोहिंग्या शरणार्थियों को देश से बाहर निकालने का फैसला ले रही है. इसके लिए अमेरिका बांग्लादेश की मदद करने वाला है.
बांग्लादेश में बसे रोहिंग्या
बता दें कि बांग्लादेश में पहले से ही 10 लाख से अधिक रोहिंग्या शरणार्थी रह रहे हैं. साल 2017 में म्यांमार सेना की कार्रवाई के बाद से ही ये म्यांमार से भागकर बांग्लादेश आ गए थे. इनमें से अधिकतर मुसलमान हैं. बांग्लादेश में उस वक्त शेख हसीना की ही सरकार थी. उस वक्त म्यांमार के साथ हुए समझौते में बांग्लादेश को इन शरणार्थियों को वापस म्यांमार भेजना था, हालांकि तब कोई भी रोहिंग्या वापस अपने देश नहीं गया. इसको लेकर शेख हसीना ने काफी कोशिशें की, लेकिन सब विफल रही. अंत में हसीना की सरकार ने रोहिंग्या को कई जिलों में बसा दिया और उन्हे खाने-पीने की चीजें मुहैया करवा दीं.
शरणार्थियों की वापसी को लेकर बैठक
शेख हसीना के सत्ता से बेदखल होते ही कई रोहिंग्या वापस बांग्लादेश में घुसने लगे, जिससे युनुस सरकार की चिंता बढ़ गई हैं. ऐसे में इन्हें बाहर करने के लिए प्लान बनाया जा रहा है. मुहम्मद युनुस ने एक हाई लेवल मीटिंग करते हुए रोहिंग्या शरणार्थियों को किसी दूसरे देश में बसाने को लेकर मंथन किया. इस मीटिंग में इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर माइग्रेशन (IOM) के अधिकारी भी शामिल हुए. वहीं IOM के प्रमुख अब्दुसत्तोर एसोव ने कहा,' हम रोहिंग्याओं को अमेरिका समेत कई विकसित देशों में बसा सकते हैं. अमेरिकी पहले ही कई सैकड़ों रोहिंग्याओं को अपने देश में शरण देने का ऐलान कर चुका है. इस प्रक्रिया में तेजी लानी चाहिए.'
दुनिया का सबसे बड़ा रिफ्यूजी कैंप
बता दें कि बांग्लादेश के कॉक्स बाजार में सबसे ज्यादा रोहिंग्या शरणार्थी रहते हैं. इसे विश्व का सबसे बड़ा रिफ्यूजी भी कैंप भी बोला जाता है. मुहम्मद युनुस ने बांग्लादेश के अधिकारियों से कहा कि इनका पलायन लगातार होना चाहिए और शरण देने वाले मुल्कों से इस पर बातचीत होती रहनी चाहिए. अब्दुसत्तोर एसोव ने कहा कि बांग्लादेश में 12 साल बाद फिर से माइग्रेशन शुरु होने वाला है. हमें आशा है कि इसपर हम सफल होंगे.
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