नई दिल्लीः द नेशनल इंटरेस्ट मैगजीन की रिपोर्ट में रूस (Russia) के सुखोई SU 57 को अमेरिका (Amrica) के सबसे ताकतवर फाइटर जेट F-35 से बेहतर माना गया है. रूस की पांचवीं पीढ़ी का ये स्टील्थ लड़ाकू विमान परमाणु मिसाइल के साथ साथ एडवांस हाइपरसोनिक मिसाइल (Missile) को भी फायर करने में सक्षम है. रूस का सुखोई SU-57 लड़ाकू विमान कई तरह के घातक हथियारों से लैस है जो परमाणु मिसाइल (Nuclear Missile) से लेकर परंपरागत हथियारों को लेकर उड़ सकता है. खर्च के मामले में भी रूस की पांचवी पीढ़ी का सुखोई SU-57 अमेरिका के F-35 से किफायती है.
रूसी विमान ऑफ्टरबर्नर का इस्तेमाल किए बगैर भी 2 हजार 500 किमी. प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ सकता है. रूस के सुखोई SU-57 में 101 केएस इंफ्रारेड सर्च सिस्टम लगा हुआ है जो छुपे हुए दुश्मनों को ट्रैक कर सकता है. इसकी स्पीड और एरोडॉयनमिक इसे घातक शिकारी बनाता है.
दुश्मन नजदीक हो या दूर सुखोई SU-57 से बच नहीं सकता. इसमें कम दूरी की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें लगी हैं जबकि 150 किमी. दूर तक हवा से जमीन पर अटैक करने वाली एडवांस मिसाइलें लगी हैं.
सबसे खतरनाक बात ये है कि रूसी ब्रह्मास्त्र सुखोई SU-57 विम्पेल R 37 M हाइपरसोनिक मिसाइल के अलावा परमाणु हमला करने में सक्षम Kh-47M2 Kinzhal मिसाइल से भी लैस है. रूस ने अपनी एयरफोर्स को दुनिया की सबसे ताकतर फोर्स बनाने के लिए सुखोई SU-57 का मास प्रोडक्शन शुरू कर दिया है. मतलब साफ है कि अमेरिका की बेचैनी बढ़ी हुई है क्योंकि ये विमान अमेरिका के किसी भी फाइटर जेट को जंग के मैदान में धूल चटा सकता है.
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अमेरिका के सैन्य ठिकाने निशाने पर
रूस के नए फाइटर जेट से अमेरिका के तमाम सैन्य ठिकाने असुरक्षित हो गए हैं . अमेरिका इस बात से परेशान है कि एडवांस स्टील्थ टेक्नोलॉजी से बने रूसी फाइटर जेट को रडार भी जल्द पकड़ नहीं पाता. अमेरिका के सहयोगी नाटो देशों में भी हड़कंप मचा हुआ है. नाटों देशों को डर है कि रूस ने अगर तुर्की और ईरान जैसे देशों को ये विमान बेचा तो उन्हें खतरा बढ़ जाएगा. अमेरिका ने तुर्की पर रूसी मिसाइल डिफेंस सिस्टम S-400 खरीदने पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए हैं.
माना जा रहा है कि अमेरिका अभी से इतनी सख्ती इसीलिए कर रहा है कि तुर्की पांचवीं पीढ़ी के रूसी विमानों को नहीं खरीद पाए. हालांकि तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन इन विमानों को खरीदने के लिए उत्सुक बताए जा रहे हैं .
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रूस के सुखोई SU-57 के विंग स्पैन 13.95 मीटर हैं जबकि अमेरिका के F-35 फाइजट जेट के विंग स्पैन की लंबाई 10.7 मीटर है. रूस का सुखोई SU-57 35 हजार किलो वजन लेकर उड़ने में सक्षम है और अधिकतम 2440 किमी. प्रति घंटे की स्पीड से उड़ सकता है.
जबकि अमेरिका का F-35 जंगी जेट 31,800 किलो वजन ले जाने में सक्षम है और अधिकतम 2000 किमी. प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भर सकता है. खर्च और मेंटीनेंस के मामले में रूसी फाइटर जेट काफी सस्ता है जबकि अमेरिकी जेट महंगा है .
रूसी ‘ब्रह्मास्त्र’ पर भारत की नज़र
रूस के पांचवीं पीढ़ी के इस बाहुबली विमान पर भारत की भी नजर है. रूस भी भारत को सुखोई SU-57 बेचने का इच्छुक बताया जा रहा है. लेकिन भारत ने अभीतक खरीद के लिए अपने पत्ते नहीं खोले है। उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक भारत ये विमान तभी खरीदेगा जब रूसी एयरफोर्स इसका इस्तेमाल शुरू कर देगी.
हर तरह के ट्रायल में कामयाब होने के बाद रूस में इस विमान का मास प्रोड्क्शन शुरू हो चुका है और जल्द ही सुखोई SU-57 रूसी एयरफोर्स की ताकत बन जाएगा.
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