नई दिल्ली: यूक्रेन में रूस ने ऐसी तबाही बरसाई जिससे पूरी दुनिया में आक्रोश है, साथ ही यूक्रेन के साथ सभी की संवेदनाएं हैं. इस बीच अमेरिका के एक फैसले से रूस को मिर्ची लगनी तय मानी जा रही है. दरअसल, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने यूक्रेन को दस करोड़ डॉलर की जैवलिन हथियार रोधी मिसाइलों के हस्तांतरण की मंगलवार को मंजूरी दे दी.
यूक्रेन को अबतक कितनी सैन्य सहायता?
बाइडेन प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी. इसके साथ ही, बाइडेन के जनवरी 2021 में अमेरिका का राष्ट्रपति पद संभालने के बाद से वाशिंगटन द्वारा यूक्रेन को दी गई सैन्य सहायता 2.4 अरब डॉलर पर पहुंच गई है.
व्हाइट हाउस ने मंगलवार देर रात घोषणा की कि बाइडेन ने यूक्रेन को दस करोड़ डॉलर की मिसाइल सहायता देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जो रूस के आक्रमण के बाद पिछले महीने संसद द्वारा यूक्रेन के लिए अनुमोदित 13.6 अरब डॉलर की व्यापक सहायता राशि का हिस्सा है.
बाइडन प्रशासन के एक अधिकारी ने नाम उजागर ना करने की शर्त पर बताया कि यूक्रेन को जैवलिन मिसाइलों की आपूर्ति की जाएगी, जो यूक्रेनी सेना द्वारा रूसी आक्रमण से निपटने के लिए मांगी गई थी.
चीन ने फिर दिया रूस का साथ
यूक्रेन में तबाही की तस्वीरें किसी से छिपी नहीं हैं. इस बीच संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में रूस ने अपना बचाव करते हुए सफाई पेश की है. बूचा नरसंहार के आरोपों को रूस ने शांति वार्ता से साजिश करार दिया है. वहीं चीन ने एक बार फिर रूस का साथ दिया. चीन ने कहा कि बूचा पर कोई भी फैसला जल्दबाजी होगी.
वहीं UNSC के मंच पर भारत ने बूचा में हुई हत्याओं की निंदा करते हुए कहा कि हमने युद्ध की शुरुआत से ही कूटनीति और बातचीत के रास्ते पर चलने के सुझाव पर जोर दिया था.
चेरनोबिल न्यूक्लियर प्लांट पर कंट्रोल
यूक्रेन के नेशनल गार्ड ने कहा कि उनकी डिवीजन ने चेरनोबिल परमाणु ऊर्जा संयंत्र (एनपीपी) साइट पर पहुंच कर ऊर्जा संयंत्र को अपने नियंत्रण में ले लिया है. नेशनल गार्ड ने मंगलवार को फेसबुक पर कहा, "चेरनोबिल एनपीपी साइट पर राष्ट्रीय रक्षकों का प्रमुख कार्य अपनी परमाणु सुविधाओं की सुरक्षा और रक्षा के साथ-साथ परमाणु सामग्री की भौतिक सुरक्षा सुनिश्चित करना है."
साइट की सुरक्षा और इसके परिवहन बुनियादी ढांचे की जांच यूक्रेन के सशस्त्र बल करते हैं. समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, 24 फरवरी से चेरनोबिल परमाणु ऊर्जा संयंत्र पर नियंत्रण रखने वाले रूस के सैनिकों ने 31 मार्च को संयंत्र छोड़ दिया. कीव से लगभग 110 किमी उत्तर में चेरनोबिल परमाणु संयंत्र को 26 अप्रैल, 1986 को मानव इतिहास में सबसे खराब परमाणु दुर्घटनाओं में से एक का सामना करना पड़ा था.
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