WW-3 शुरू: दक्षिण चीन सागर में गरजीं मिसाइलें

चीन ने अमेरिका के दो नेवी शिप को निशाना बनाकर तीसरे विश्वयुद्ध की ज्वाला को और भभका दिया है. गुस्से से आगबबूला अमेरिका चीन से पूरा हिसाब चुकता करने के मूड में है. चीन ने बस एक कदम और बढ़ाया तो उसका विनाश तय वक्त से पहले हो सकता है.

Written by - Rajendra Kumar | Last Updated : Dec 13, 2020, 05:18 AM IST
  • साउथ चाइना सी में चीन-अमेरिका में जंग
  • चीन ने अमेरिकी नेवी शिप पर मिसाइल दागी
  • चीन ने अमेरिका पर जासूसी का आरोप लगाया
WW-3 शुरू: दक्षिण चीन सागर में गरजीं मिसाइलें

नई दिल्ली: जिस खतरे से दुनिया बचना चाहती थी वो अब सिर पर खड़ा है.  पहले दुनिया पर महामारी का कोरोना बम फोड़ने वाले चीन ने अब थर्ड वर्ल्ड वॉर का आगाज कर दिया ह. जंग की शुरूआत समंदर के भीतर हुई है जहां चीन और अमेरिका आमने-सामने खड़े हैं. चीनी बादशाह जिनपिंग साउथ चाइना सी पर टोटल कंट्रोल चाहता है उसकी यही जिद WW-3 की जड़ बन गई है. 

चीन ने अमेरिका के दो नेवी शिप को निशाना बनाकर तीसरे विश्वयुद्ध की ज्वाला को और भभका दिया है. गुस्से से आगबबूला अमेरिका चीन से पूरा हिसाब चुकता करने के मूड में है. चीन ने बस एक कदम और बढ़ाया तो उसका विनाश तय वक्त से पहले हो सकता है.

चीन का ‘दक्षिण दहन'

अमेरिका ने भूमाफिया जिनपिंग की समंदर में मौत की पटकथा तैयार कर दी है. अपने मिशन को अंजाम तक पहुंचाने के लिए अमेरिका ने अपने दो नेवी जंगी बेड़े USS Makin Island और USS Somerset साउथ चाइना सी में न सिर्फ उतार दिए हैं बल्कि उन्हें अग्रिम मोर्चे पर रवाना कर दिया है. अमेरिका की इसी चाल को चीन समझ नहीं पाया और उसने वो गलती कर दी जो चीन की मौत का फरमान साबित होने वाली है. 

चीन का आरोप है कि अमेरिका के वॉरशिप ने दक्षिण चीन सागर में हदें पार की और चीन के प्रभुत्व वाले समुद्री इलाके में दाखिल हो गया जिसके जवाब में चीन ने हमला किया . खबरों के मुताबिक इस हमले में चीन ने लंबी दूरी तक मार करने वाले हथियारों और मिसाइलों का इस्तेमाल किया. इसके बाद से दक्षिण चीन सागर में चीन और अमेरिका के बीच तनाव चरम पर है. जानकारों का कहना है कि चीन की इस हरकत के बाद साउथ चाइना सी में अमेरिका और चीन के बीच खुली वॉर का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ गया है.

अमेरिका ने चीन को घेरा

चीनी दावे के मुताबिक अमेरिका का यूएसएस माकिन वॉरशिप ताइवान की तरफ से समंदर में दाखिल हुआ जबकि यूएसएस सॉमरसेट फिलीपींस की तरफ से समंदर में दाखिल हुआ. दरअसल चीन जिस इलाके को अपना समुद्री इलाका बताता है अमेरिका उसे चीन का समुद्री इलाका नहीं मानता. लिहाजा अमेरिका समय -समय पर चीन का इम्तिहान लेने के लिए अपने जंगी जहाज साउथ चाइना सी के उस हिस्से में भेजता है जिस पर चीन अपना दावा जताता है. बीते रविवार को भी ऐसा ही हुआ अमेरिका ने अपने दो नेवी शिप चीनी समुद्री सीमा में भेजे. दोनों के बीच समुद्री सीमाओं का झगड़ा अब वर्ल्ड वॉर में बदलता दिख रहा है.

समंदर में 6 देशों का दावा- चीन की दादागीरी

SCSPI के दावे के मुताबिक साउथ चाइना सी में 6 देशों की समुद्री सीमाएं मिलती हैं. इनमें चीन, ताइवान, फिलीपींस, सिंगापुर, वियतनाम, ब्रुनेई शामिल हैं. लेकिन चीन दादागीरी और अपनी ताकत के दम पर साउथ चाइना सी के बड़े हिस्से पर अपना दावा जताता है जिसे अमेरिका नहीं मानता. इसी बात पर दोनों मुल्कों के बीच समंदर में मौत का नया खेल शुरू हो गया है जिसे वर्ल्ड वॉर 3 की शुरूआत माना जा रहा है. 

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SCSPI बीजिंग बेस्ड एक थिंकटैंक है जो साउथ चाइना सी में पश्चिमी देशों के जंगी बेड़ों के मूवमेंट को ट्रैक करता है जिसके मुताबिक लाइव फायर के दौरान चीन ने लंबी दूरी तक मार करने वाले हथियारों का इस्तेमाल किया  जिसमें चीनी नेवी के 056 ए कोरवेटी, एनशी, योंगझोऊ और गुयांगयुआन एंटीशिप शामिल हैं . समंदर में अमेरिका को दहलाने के लिए चीन ने जहां उसके दो बड़े जंगी बेड़ों पर हमला किया वहीं एक डमी जहाज को समंदर में धव्स्त कर दिया। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने धमकी दी है कि अगर अमेरिका ने साउथ चाइना सी में अपनी जंगी ताकत दिखाने की कोशिश की तो चीन उसे बख्शेगा नहीं. 

इतना ही नहीं चीन ने कहा है कि व्हाइट हाउस में ट्रंप बैठें या जो बाइडेन चीन को कोई फर्क नहीं पड़ता..मतलब साफ है कि जिनपिंग ने अमेरिका की आने वाली सरकार को भी सीधी चुनौती दी है जिसका मतलब साफ है कि अब चीन अमेरिका से आर-पार की जंग चाहता है...जबकि अमेरिका किसी भी सूरत में दक्षिण चीन सागर पर चीन की हुकूमत नहीं चाहता.  

समंदर की लड़ाई, कमाई पर नजर

दक्षिण चीन सागर का एरिया- 35 लाख स्क्वायर किमी. है . 1947 में चीन ने 11 डैश लाइन के जरिए पहली बार दक्षिण चीन सागर पर दावा किया फिर 1958 में चीन ने 9 डैश लाइन के जरिए दक्षिण चीन सागर के द्वीपों पर कब्जा जताया. चीन वियतनाम के स्पार्टली द्वीप और पार्सल द्वीप पर , फिलीपींस के स्कारबोरो शोल द्वीप और इंडोनेशिया के नातुना सागर क्षेत्र में अपना दावा जताता है . झगड़े की जड़ में कमाई है . 

दक्षिण चीन सागर में तेल  और प्राकृतिक गैस का अकूत भंडार है . यहां 11 बिलियन बैरल तेल मौजूद जबकि 190 ट्रिलियन क्यूबिक फीट नेचुरल गैस के भंडार मौजूद हैं. पूरी दुनिया का 70 फीसदी समुद्री व्यापार यहीं से होता है. हर साल 5 खरब डॉलर के सामान की आवाजाही दक्षिण चीन सागर से होती है. लिहाजा इस पर कब्जा करके चीन दुनिया के व्यापार पर कब्जा करना चाहता है जबकि अमेरिका ऐसा होने नहीं देगा. इसी बात पर चल रहा संघर्ष अब वर्ल्ड वॉर तक पहुंच गया है.

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