इंदौर जिला प्रशासन, जिसने इस वर्ष जुलाई में घोषणा की थी कि बच्चों को भीख देना या उनसे उत्पाद खरीदना अपराध है, ने अब चेतावनी दी है कि 1 जनवरी, 2025 से किसी को भी भीख देने वालों के खिलाफ FIR दर्ज की जाएगी.
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Beggar-Free Indore: 1 जनवरी 2025 से इंदौर में भिखारियों को पैसे देना आपको कानूनी परेशानी में डाल सकता है. शहर के प्रशासन ने घोषणा की है कि अगर कोई भी व्यक्ति भीख देते हुए पकड़ा गया तो उसके खिलाफ एफआईआर (प्रथम सूचना रिपोर्ट) दर्ज की जाएगी.
अपनी साफ-सुथरी सड़कों और प्रगतिशील पहलों के लिए मशहूर इंदौर अब सार्वजनिक स्थानों पर भीख मांगने वालों पर नकेल कसने जा रहा है. जिला कलेक्टर आशीष सिंह ने इस कदम की पुष्टि करते हुए कहा, "भीख मांगने के खिलाफ हमारा जागरूकता अभियान इस महीने (दिसंबर) के अंत तक शहर में चलेगा. अगर कोई व्यक्ति 1 जनवरी से भीख मांगता हुआ पाया जाता है, तो उसके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की जाएगी."
इतना कड़ा रुख क्यों?
भीख मांगने पर प्रतिबंध शहर को साफ करने और संगठित भीख मांगने वाले नेटवर्क से निपटने के एक बड़े प्रयास का हिस्सा है. सिंह ने बताया कि कई भिखारी अवैध समूहों का हिस्सा हैं और उन्हें इस जीवन में मजबूर किया जाता है. उन्होंने कहा, "हमने पहले ही ऐसे कई समूहों को तोड़ दिया है और बहुत से व्यक्तियों का पुनर्वास किया गया है."
उन्होंने लोगों से भिखारियों को पैसे देना बंद करने का भी आग्रह किया. सिंह ने कहा, "मैं इंदौर के सभी लोगों से अपील करता हूं कि वे लोगों को भीख देकर पाप के भागीदार न बनें."
इंदौर में भिक्षावृत्ति विरोधी अभियान
इंदौर का भिक्षावृत्ति विरोधी अभियान सरकार की SMILE परियोजना (आजीविका और उद्यम के लिए हाशिए पर पड़े व्यक्तियों के लिए सहायता) का हिस्सा है. केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्रालय द्वारा शुरू किए गए इस कार्यक्रम का उद्देश्य दीर्घकालिक समाधान प्रदान करके शहरों को भिखारी मुक्त बनाना है.
लोगों को सड़कों से हटाने के बजाय, SMILE उनका पुनर्वास करने पर ध्यान केंद्रित करता है. यह भीख मांगने में फंसे लोगों को अपना जीवन फिर से शुरू करने में मदद करने के लिए चिकित्सा देखभाल, शिक्षा, कौशल प्रशिक्षण और नौकरी के अवसर प्रदान करता है. इसका लक्ष्य उन्हें सम्मान और स्वतंत्रता के साथ जीने में सक्षम बनाना है.
बड़ी समस्या का समाधान
लोगों को पैसे देने से रोकने से भीख मांगने की प्रवृत्ति कम हो सकती है, लेकिन इससे मूल कारण का समाधान नहीं होता. सामाजिक न्याय मंत्रालय भीख मांगने को “गरीबी का सबसे चरम रूप” बताता है और इस बात पर जोर देता है कि दीर्घकालिक समाधान महत्वपूर्ण हैं.
मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है, "अधिकांश लोगों के लिए भीख मांगना कोई विकल्प नहीं है - यह जीवनयापन का साधन है. एफआईआर से फिलहाल समस्या रुक सकती है, लेकिन वास्तविक समर्थन के बिना यह खत्म नहीं होगी."