MP हाईकोर्ट के Ex. जज रोहित आर्य BJP में शामिल; मुनव्वर फारुकी का बेल किया था रद्द
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MP हाईकोर्ट के Ex. जज रोहित आर्य BJP में शामिल; मुनव्वर फारुकी का बेल किया था रद्द

MP High Court Ex judge Rohit Arya Joins BJP: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के साबिक जज रोहित आर्य रिटायरमेंट के भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल हो गए हैं. उन्होंने कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी के काम-काज के तरीके और बीजेपी की नीतियों से मुतासिर होकर उन्होंने ये फैसला किया है. 

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के साबिक जज रोहित आर्य

MP High Court Ex judge Rohit Arya Joins BJP: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट  के साबिक जज रोहित आर्य रिटायरमेंट के तीन महीने बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल हो गए हैं.  उन्होंने बीजेपी में शामिल होने के पीछे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के काम और पार्टी की नीतियों का हवाला दिया है. आर्य शनिवार को भोपाल में भाजपा कार्यालय में पार्टी में शामिल हो गए.  
ये वो ही जज (सेवानिवृत्त) हैं, जिन्होनें ने 2021 में कोमेडियन मुनव्वर फारुकी को जमानत देने से इनकार कर दिया था, जिन पर इंदौर में एक प्रोगराम के दौरान धार्मिक भावनाओं को आहत करने और कोविड-19 प्रोटोकॉल को तोड़ने का इलज़ाम था.

भोपाल में भाजपा कार्यालय में नई भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) पर एक वर्कशॉप को ख़िताब करते हुए आर्य ने इस कानून को आम आदमी को इन्साफ दिलाने के मकसद से एक बड़ा सुधार बताया है.  आर्य ने कहा, ‘‘भारतीय दंड संहिता को बदलकर भारतीय न्याय संहिता करना एक बड़ी बात है.  मैं इसके लिए केंद्र सरकार के प्रति अपना आभार जताता हूं. आने वाले दिनों में बीएनएस लोगों की जीवन में सुधार लेकर आएगी.’’ 

रोहित आर्य को 12 सितंबर 2013 में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट का जज नियुक्त किया गया था, और वह 26 मार्च 2015 को स्थायी जज बने थे. वह 27 अप्रैल 2024 को रिटायर हो गए थे. रोहित आर्य ने सोमवार को कहा कि उन्होंने आम लोगों से संबंधित मुद्दों पर कई अच्छे फैसले दिए हैं. इसके साथ ही उन्होंने इस बात पर हैरानी जताई कि कोमेडियन मुनव्वर फारुकी मामले में उनके द्वारा दिए गए फैसले को बार-बार हाईलाइट  क्यों किया जाता है? 

 अपने करियर के दौरान की गई पहलों का जिक्र करते हुए रोहित आर्य ने ग्वालियर में ‘समाधान आपके द्वार’ प्रोग्राम को शुरू किए जाने के मौके को याद किया, जब वह एक प्रशासनिक न्यायाधीश थे. रोहित आर्य ने कहा, ‘‘मैंने नौ जिलों में यह पहल शुरू की थी, जिसके बेहद कार आमद  नतीजे मिले.  पहली बार, विभिन्न स्तरों पर लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए न्यायपालिका, राजस्व, पुलिस, वन, बिजली और स्थानीय निकायों को एक साझा मंच पर लाया गया था.’’

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