अब भी राजस्थान के कई पिछड़े इलाकों में लड़कियों को सामान्य अधिकारों से वंचित रखा जाता है. कम उम्र में पढ़ाई छुड़वाकर शादी करवा दी जाती है. वहीं इसी राज्य के छोटे से गांव नवां की रहने वाली फराह हुसैन सबके लिए एक प्रेरणा से कम नहीं है. अपने मेहनत, लगन और परिवार के सहयोग से फराह ने मात्र 26 साल की उम्र में UPSC परीक्षा पास कर ली थी.
फराह हुसैन मुस्लिम समुदाय से आती है. वे कायमखानी अल्पसंख्यक कबीले से आने वाली महिला है. उनकी इस कमयाबी का सबसे बड़ा कारण उनका परिवार है. पढ़े-लिखे और अफसरों से भरे उनके परिवार में 1 IPA, 3 IAS और 5 RAS अधिकारी है. उनके पिता अशफाक हुसैन जिला कलेक्टर थे.
अधिकारियों से भरे परिवार में पली-बढ़ी फराह को बचपन से ही बड़ी अधिकारी बनना था. अपनी मेहनत और लगन से UPSC जैसा बड़ा और कठिन इम्तिहान उन्होंने पहली बार में ही पास कर लिया. बचपन से ही अधिकारी बनने का सपना देखने वाली फराह ने पहले वकालत की. मुंबई के गवर्नेमेंट लॉ कॉलेज से उन्होंने कानून की डिग्री हासिल की, जिससे वे क्रिमिनल वकील बनीं. फिर 2016 में फराह ने यूपीएससी की परीक्षा दी और बिना किसी कोचिंग के 237वीं रैंक हासिक की, जिससे वे राजस्थान की दूसरी महिला IAS अधिकारी भी बन गईं.
फराह के परिवार में 14 से ज्यादा लोग अधिकारिक पदों पर हैं. उनके पिता जिला कलेक्टर थे, तो उनके बड़े भाई राजस्थान हाई कोर्ट के वकील हैं. वहीं फराह के चाचा पुलिस में थे और दूसरे चाचा राज्य सरकारी में संयुक्त सचिव थे. साथ ही उनके दो चचेरे भाई आरएएस में कार्यकारी है.