नई दिल्ली: गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर एक नई मुश्किल में फंस गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को नरेंद्र मोदी की पेशी नानावटी आयोग में नहीं होने पर गुजरात सरकार और नानावटी कमीशन से जवाब मांगा है।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को जनसंघर्ष मोर्चा की जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों को नोटिस जारी किया। सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि नरेंद्र मोदी को नानावती आयोग के सामने जानबूझकर नहीं बुलाया गया, जिसपर अदालत ने गुजरात सरकार और नानावटी आयोग को नोटिस जारी कर पूछा है कि नरेंद्र मोदी की आयोग के सामने पेशी क्यों नहीं की गई। इस बाबत जवाब दाखिल करने के लिए चार हफ्ते का वक्त दिया गया है।
नानावटी आयोग का गठन 2002 में गोधरा ट्रेन अग्निकांड के बाद राज्य में बड़े पैमाने पर हुए सांप्रदायिक दंगों के बाद किया गया था जिसमें एक हजार से अधिक लोग मारे गए थे। आयोग 27 फरवरी 2002 से 31 मई 2002 के बीच हुए 4145 मामलों की जांच कर चुका है।