'FDI पर निर्णय सरकार के बयान के बाद'

खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के विवादास्पद फैसले को रोके जाने की पेशकश पर मुख्य विपक्षी दल ने बीजेपी ने कहा कि इस बारे में सरकार की ओर से औपचारिक एवं स्पष्ट बयान आने के बाद ही वह संसद में अपने भविष्य के रूख के बारे में निर्णय करेगी।

नई दिल्ली: खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के विवादास्पद फैसले को रोके जाने की पेशकश पर मुख्य विपक्षी दल ने बीजेपी ने कहा कि इस बारे में सरकार की ओर से औपचारिक एवं स्पष्ट बयान आने के बाद ही वह संसद में अपने भविष्य के रूख के बारे में निर्णय करेगी।

 

इस मुद्दे सहित विभिन्न मामलों को लेकर हंगामे के कारण 22 नवंबर से शुरू हुए शीतकालीन सत्र में संसद अभी तक ठप्प है।

 

लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने बताया कि वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने उनसे इस पेशकश के बारे में बात की और कहा कि विपक्ष संसद को चलने दे जिससे वह एफडीआई पर सरकार के रूख के संबंध में सदन में बयान दे सकें।

 

यह पूछे जाने पर कि मुखर्जी ने उनसे इस फैसले को वापस लेने की बात कही या सिर्फ फिलहाल रोके जाने का भरोसा दिलाया, सुषमा ने कहा कि वित्त मंत्री ने इस मामले में विस्तार से बात नहीं की और यही कहा कि वह सदन में सरकार के रूख को स्पष्ट करेंगे।

 

उन्होंने कहा, ‘मैंने प्रणब दा से कहा कि चूंकि उन्होंने पिछली सर्वदलीय बैठक में कहा था कि वह प्रधानमंत्री से बात करके दोबारा लौटेंगे, इसलिए बुधवार, सात दिसंबर की सुबह उन्हें ऐसी ही बैठक बुलाकर सरकार का रूख स्पष्ट करना चाहिए।’ बाद में सुषमा ने संसदीय कार्य मंत्री पवन कुमार बंसल से भी बात की और सर्वदलीय बैठक बुलाने पर जोर डाला।

 

इस सवाल पर कि सरकार ने नीति में बदलाव करने का समय दिए जाने के नाम पर केवल इस निर्णय को वापस लेने की बजाए फिलहाल सिर्फ रोके जाने की बात कही तो भाजपा का क्या रूख होगा, विपक्ष की नेता ने कहा कि उनका दल एफडीआई के अपने रूख पर दृढ़ है। लेकिन अंतिम निर्णय करने से पहले वह ये देखना चाहेगा कि बुधवार को संप्रग शासन की ओर से क्या पेशकश आती है।

 

सुषमा ने कहा कि एफडीआई गतिरोध समाप्त हो जाने पर भी कालेधन के मुद्दे पर भाजपा संसद में अपने कार्यस्थगन प्रस्ताव के तहत चर्चा कराने का दबाव बनाए रखेगी। पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने मुखर्जी की पेशकश पर कहा कि उनका दल खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के फैसले को वापस लेना चाहता है न न कि उस पर कुछ समय के लिए रोक लगाना।

 

सिन्हा ने कहा कि सरकार इतने दिन बर्बाद करने के बाद अब सर्वानुमति बनाने के लिए उठी है जबकि उसे यह निर्णय करने से पहले अपने सहयोगी दलों तथा विपक्ष से विचार विमर्श करना चाहिए था। इस मुद्दे का हल ढूंढने के लिए उन्होंने भी सर्वदलीय बैठक बुलाए जाने की मांग की।

 

उन्होंने कहा कि सरकार को सभी महत्वूपर्ण नीतियों के बारे में विपक्ष को पहले से विश्वास में लेना चाहिए भले ही उन विषयों पर संसद में मतदान की आवश्यकता हो या नहीं हो।

 

सिन्हा ने कहा कि सरकार ने संसद का सत्र जारी रहने के दौरान खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का बड़ा नीतिगत फैसला कर डाला, जबकि उसे ऐसा करने से पहले विपक्ष से बात करनी चाहिए थी। (एजेंसी )

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