इरोम शर्मिला ने कविता में बयां की अपनी दास्तान

मानवाधिकार उल्लंघन के मुद्दे पर पिछले 12 साल से उपवास कर रही इरोम शर्मिला ने 1000 शब्दों में एक लंबी कविता लिखी है।

नई दिल्ली : मानवाधिकार उल्लंघन के मुद्दे पर पिछले 12 साल से उपवास कर रही इरोम शर्मिला ने 1000 शब्दों में एक लंबी कविता लिखी है। ‘बर्थ’ यानि ‘जन्म’ शीषर्क वाली उनकी यह कविता ‘आइरन इरोम टू जर्नी- व्हेयर द एबनार्मल इज नार्मल’ नामक एक किताब में आयी है। लेखक और वृत्तचित्र फिल्मकार मिन्नी वैद्य ने यह किताब लिखी है और राजपाल एंड संस ने इसे प्रकाशित किया है। किताब इरोम शर्मिला की जिंदगी पर आधारित है कि कैसे उन्होंने सैन्य बल विशेषाधिकार कानून (एएफएसपीए) के खिलाफ अपनी भूख हड़ताल शुरू की थी।
मिन्नी वैद्य ने कहा है, ‘‘उस समय वह 28 साल की थी और अब वह दुनियाभर में सबसे लंबे समय तक ‘भूख हड़ताल’ करने का रिकार्ड बना चुकी हैं।’’ किताब में उनके परिवार के निकट सदस्यों का साक्षात्कार और उन लोगों के बारे में भी जिक्र है जिन्होंने पिछले 12 साल में उनकी मदद की। मणिपुरी कार्यकर्ता पर दो किताबें लिख चुकी दीप्ती मेहरोत्रा ने किताब की भूमिका लिखी है। (एजेंसी)

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