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नई दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय का चार साल का स्नातक पाठ्यक्रम शुरू होने में कुछ ही दिन बाकी हैं लेकिन इससे पहले यह बात सामने आयी है कि दाखिले का इंतजार कर रहे बहुत सारे छात्र अभी भी नए पैटर्न को लेकर संशय में हैं।
रिसर्च एजेंसी मार्केट एक्सेल डेटा मैट्रिक्स के एक सर्वेक्षण में इस साल 12वीं की परीक्षा देने वाले दिल्ली के 5,000 छात्रों को शामिल किया गया था। सर्वेक्षण के अनुसार 78 प्रतिशत छात्रों ने कहा कि इन बदलावों की वजह से उन्हें करियर को लेकर अपनी योजनाओं की समीक्षा करनी पड़ेगी।
सर्वेक्षण से जुड़े सवाल के जवाब में दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र कल्याण मामलों के डीन जेएम खुराना ने पीटीआई से कहा, ‘‘12वीं की परीक्षा दे चुके लगभग 3,000 छात्र कुलपति और उनकी टीम के साथ बातचीत के सत्र में शामिल हुए। इनमें से लगभग 90 प्रतिशत छात्रों ने लिखित प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्हें चार साल का यह नया पाठ्यक्रम समझ में आ रहा है और वह इससे संतुष्ट हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘वैसे छात्र जो अभी भी संशय में हैं, उन्हें पाठ्यक्रम के बारे में ठीक से पता नहीं होगा और विश्वविद्यालय इस वजह से 20 से 30 मई के बीच उनके लिए खुले सत्र का आयोजन करेगा। छात्र और उनके अभिभावक इस दौरान अपने संदेह दूर कर सकते हैं और इस पाठ्यक्रम के बारे में व्यापक जानकारी हासिल कर सकते हैं।’’
सर्वेक्षण के अनुसार 43 प्रतिशत छात्रों ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय को चार साल का पाठ्यक्रम शुरू नहीं करना चाहिए क्योंकि स्नातक पूरा करने के लिए तीन साल काफी हैं और एक और साल केवल समय की बर्बादी होगी। वहीं 22 प्रतिशत छात्रों ने पाठ्यक्रम को लेकर सकारात्मक जवाब देते हुए कहा कि चार साल के पाठ्यक्रम से छात्रों को ज्ञान और कौशल अर्जित करने में मदद मिलेगी। 35 प्रतिशत छात्रों ने कहा कि वह इस बात को लेकर अभी भी अनिश्चित हैं कि दिल्ली विश्वविद्यालय का यह फैसला लागू किया जाना चाहिए अथवा नहीं । सर्वेक्षण के अनुसार डीयू के पाठ्यक्रम को लेकर नकारात्मक जवाब देने वालों में से 58 प्रतिशत छात्रों ने कहा कि उनके पास जामिया मिल्लिया इस्लामिया, गुरू गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय और दूसरे विश्वविद्यालयों में अपनी पसंद के पारंपरिक पाठ्यक्रम में दाखिले का विकल्प अभी भी है।
चार साल के पाठ्यक्रम को सही ना मानने वाले छात्रों में से 23 प्रतिशत ने इसकी वजह एक साल बर्बाद होना, 21 प्रतिशत ने तीन साल काफी होना, 17 प्रतिशत ने प्रस्तावित पाठ्यक्रम में पढ़ाई के दौरान नौकरी संबंधी प्रशिक्षण सुविधा न होना और 8 प्रतिशत ने पढ़ाई का अतिरिक्त भार बताया।
इस साल के शैक्षणिक सत्र से शुरू किया जाने वाला डीयू का चार साल का नया पाठ्यक्रम शिक्षकों और छात्रों द्वारा ‘इसके कार्यान्वयन में जल्दबाजी’ को लेकर आपत्ति किए जाने के बाद से विवादों में रहा है। सीताराम येचुरी समेत वाम मार्चे के नेताओं ने मामला प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के सामने भी उठाया।
इस नए पाठ्यक्रम के तहत वर्तमान में जारी 10वीं, 12वीं और फिर 3 साल स्नातक की पारंपरिक व्यवस्था से अलग व्यवस्था होगी। अगर कोई छात्र दो साल बाद पाठ्यक्रम छोड़ता है तो उसे डिप्लोमा, तीन साल बाद बैचलर की डिग्री और चार साल पूरे करने पर बैचलर ऑनर्स या बीटेक डिग्री दी जाएगी। (एजेंसी)