भूमि अधिग्रहण संबंधी विधेयक लोकसभा में पेश

भूमि अधिग्रहण संबंधी ‘भूमि अर्जन, पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्थापन विधेयक 2011’ विधेयक को चर्चा और उसे पारित कराने के लिए आज लोकसभा में पेश किया गया।

ज़ी मीडिया ब्यूरो
नई दिल्ली : डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरती कीमत पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बयान की मांग करते विपक्ष के हंगामे के बीच गुरुवार को लोकसभा में भूमि अधिग्रहण विधेयक पेश कर दिया गया।
एक घंटे के स्थगन के बाद सदन की कार्यवाही शुरू होने पर केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने भूमि अधिग्रहण और पुनर्वास विधेयक पेश कर दिया। विभिन्न दलों के सदस्य लगातार यह मांग करते रहे कि प्रधानमंत्री सदन में उपस्थित हों और रुपये की गिरावट को रोकने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी दें।
इसके बाद सदन की कार्यवाही 12.30 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। इस महत्वपूर्ण विधेयक में कहा गया है कि निजी परियोजनाओं के लिए जमीन अधिग्रहण से पहले 80 प्रतिशत भूस्वामियों और सार्वजनिक-निजी परियोजनाओं के लिए 70 प्रतिशत भूस्वामियों की सहमति लेना अनिवार्य होगा।
मिशन-2014 से पहले केंद्र की यूपीए सरकार आम आदमी को रिझाने की पूरी कोशिश कर रही है। इसी कोशिश के तहत आज लोकसभा में भूमि अधिग्रहण विधेयक को पेश किया गया। कहा जा रहा है कि इस नए विधेयक में भूमि अधिग्रहण से प्रभावित लोगों को न्याय दिलाने पर जोर होगा। बिल में ग्रामीण क्षेत्रों में जमीन अधिग्रहण होने पर प्रभावित परिवारों को जमीन के बाजार मूल्य का चार गुना और शहरी क्षेत्रों में दो गुना मूल्य देने का प्रस्ताव किया गया है।
इस विधेयक में प्रस्ताव किया गया है कि भूमि अधिग्रहण से प्रभावित लोगों को विकास में भागीदार बनाया जाए ताकि अधिग्रहण के बाद उनकी सामाजिक व आर्थिक स्थिति सुधरे। जयराम रमेश ने कहा कि यह विधेयक ‘भूमि अधिग्रहण, पुनर्स्थापना एवं पुनर्वास में पारदर्शिता तथा उचित मुआवजे का अधिकार विधेयक, 2012’ भूमि अधिग्रहण मामलों में अब तक होने वाले अन्याय को दूर करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
सरकार ने इस दिशा में कदम उठाते हुए मजबूत कानूनी पूर्वापेक्षाएं तय की हैं जिन्हें भूमि अधिग्रहण से पहले पूरा करना होगा। यह विधेयक सदियों पुराने भूमि अधिग्रहण कानून 1894 की जगह लेगा जिसमें आज के हिसाब से अनेक कमियां हैं। इस विधेयक को दो सर्वदलीय बैठकों के बाद पेश किया जा रहा है जिसमें सरकार ने भाजपा नेता सुषमा स्वराज तथा वामदलों द्वारा सुझाए गए पांच प्रमुख सुझावों को स्वीकार किया है। मौजूदा भूमि अधिग्रहण कानून 1894 में बना था। सरकार इसे नए कानून से बदलने वाली है। हाल ही में यूपीए के महत्वाकांक्षी खाद्य सुरक्षा बिल को भी लोकसभा में मंजूरी मिली है।

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