'सरकार क्यों सुन रही है अन्ना की बात'

राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने राज्यसभा में अपनी पार्टी के सांसद की ओर से लोकपाल विधेयक की प्रति फाड़ने के कई दिनों बाद अन्ना हजारे की बातों पर ध्यान देने के लिए गुरुवार को सरकार की आलोचना की और जोर देकर कहा कि कि स्थापित संवैधानिक ढांचे को अस्तव्यस्त करने के किसी भी प्रयास का वह विरोध करेंगे।


नई दिल्ली : राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने राज्यसभा में अपनी पार्टी के सांसद की ओर से लोकपाल विधेयक की प्रति फाड़ने के कई दिनों बाद अन्ना हजारे की बातों पर ध्यान देने के लिए गुरुवार को सरकार की आलोचना की और जोर देकर कहा कि कि स्थापित संवैधानिक ढांचे को अस्तव्यस्त करने के किसी भी प्रयास का वह विरोध करेंगे।

 

यादव ने लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया कि बजट सत्र में लोकपाल विधेयक आने पर उनकी पार्टी क्या रुख अपनाएगी। उन्होंने कहा कि इसका फैसला उसी समय किया जाएगा। यादव ने कहा,  संविधान में सभी संस्थाओं विधायिका, न्यायपालिका और कार्यपालिका की परिभाषित भूमिका है। यदि कोई इस ढांचे को अस्तव्यस्त करने का प्रयास करेगा तो मैं मूक दर्शक कैसे बना रह सकता हूं? देश को गलत दिशा में ढकेलने की एक साजिश है।

 

उन्होंने यह बात गत 29 दिसम्बर को उस समय राज्यसभा में लोकपाल और लोकायुक्त विधेयकों पर उनकी पार्टी की ओर से कड़ा विरोध जताने के बारे में पूछे जाने पर कही। राज्यसभा में विधेयक पारित नहीं हो सका था। सदन में जब विधेयक पर चर्चा चरम पर थी उसी समय उनके पार्टी के राजनीति प्रसाद ने विधेयक की एक प्रति फाड़कर खलबली मचा दी थी।

 

यादव ने इस बात पर जोर दिया कि उनकी पार्टी के सदस्यों के विरोध का राज्यसभा में विधेयक के पारित नहीं होने से कुछ भी लेना देना नहीं है। उन्होंने महत्वपूर्ण विधेयक को पारित होने में बाधा खड़ा करने के लिए सरकार से किसी तरह का ‘समझौता’ होने के आरोपों को भी खारिज कर दिया।  (एजेंसी)

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