`कर्मचारी की मृत्यु के बाद परिवार नौकरी का हकदार नहीं`

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सेवाकाल के दौरान किसी सरकारी कर्मचारी की मृत्यु होने की स्थिति में उसके परिजन सहानुभूति के आधार पर नौकरी का दावा नहीं कर सकते हैं। सरकारी नौकरी की अपेक्षा करने वाले ऐसे व्यक्ति के पास पद पर नियुक्ति के लिये अपेक्षित पात्रता होनी चाहिए।

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सेवाकाल के दौरान किसी सरकारी कर्मचारी की मृत्यु होने की स्थिति में उसके परिजन सहानुभूति के आधार पर नौकरी का दावा नहीं कर सकते हैं। सरकारी नौकरी की अपेक्षा करने वाले ऐसे व्यक्ति के पास पद पर नियुक्ति के लिये अपेक्षित पात्रता होनी चाहिए।
न्यायमूर्ति बीएस चौहान और न्यायमूर्ति एसए बोडे की खंडपीठ ने कहा कि सक्षम प्राधिकारी को मृतक कर्मचारी के परिवार की आर्थिक स्थिति पर विचार करना चाहिए। परिवार के इस संकट का सामना नहीं कर पाने के बारे में संतुष्ट होने के बाद ही पात्रता रखने वाले परिवार के सदस्य को नौकरी की पेशकश करनी चाहिए।
न्यायाधीशों ने कहा कि सरकारी कर्मचारी की सेवाकाल के दौरान मृत्यु हो जाने के आधार पर ही ऐसा परिवार सहानुभूति के आधार पर नौकरी का दावा नहीं कर सकता है। सक्षम प्राधिकारी को मृतक के परिवार की आर्थिक स्थिति पर गौर करना चाहिए। परिवार में पात्रता रखने वाले सदस्य को उसी स्थिति में रोजगार की पेशकश की जानी चाहिए जब प्राधिकारी इस बात से संतुष्ट हो कि रोजगार के बगैर परिवार इस समस्या का सामना नहीं कर सकेगा।
न्यायालय ने राजस्थान उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ एमजीबी ग्रामीण बैंक की अपील पर यह व्यवस्था दी। उच्च न्यायालय ने मृतक बैंक कर्मचारी के पुत्र चक्रवर्ती सिंह को सहानुभूति के आधार पर नौकरी देने का निर्देश दिया था।
सिंह के पिता बैंक में तृतीय श्रेणी के कर्मचारी थे और 19 अप्रैल, 2006 को नौकरी के दौरान ही उनकी मृत्यु हो गयी थी। चक्रवर्ती सिंह ने सहानुभूति के आधार पर नौकरी के लिए 12 मई, 2006 को आवेदन किया था। न्यायालय ने उच्च न्यायलय का निर्णय निरस्त कर दिया। (एजेंसी)

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